Advertisement
प्रभात खबर व यूनिसेफ की पहल, बाल अधिकार यात्रा का आयोजन, बच्चों में शिक्षा के साथ संस्कार भी बेहद जरूरी – राज्यपाल
पटना : प्रभात खबर व यूनिसेफ की तरफ से शुक्रवार को बाल अधिकार यात्रा का आयोजन किया गया. राजभवन से राजधानी वाटिका तक रैली निकाली गयी. इसमें आधे दर्जन स्कूलों के करीब 700 बच्चों ने भाग लिया. कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल लालजी टंडन ने किया. उन्होंने कहा कि शिक्षा बच्चों का अधिकार है. शिक्षित बच्चे […]
पटना : प्रभात खबर व यूनिसेफ की तरफ से शुक्रवार को बाल अधिकार यात्रा का आयोजन किया गया. राजभवन से राजधानी वाटिका तक रैली निकाली गयी. इसमें आधे दर्जन स्कूलों के करीब 700 बच्चों ने भाग लिया. कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल लालजी टंडन ने किया. उन्होंने कहा कि शिक्षा बच्चों का अधिकार है.
शिक्षित बच्चे ही वैज्ञानिक बनते हैं. देश का मान-सम्मान बढ़ाते हैं.
कार्यक्रम में डिप्टी सीएम सुशील मोदी सहित विभिन्न धर्मों के गुरुओं ने भी हिस्सा लिया. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य के सभी स्कूलों में छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालयों की सुविधा की पहल की जा रही है. इसे मौके पर यूनिसेफ के बिहार प्रमुख असदुर्रहमान भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि बाल अधिकार यात्रा के लिए प्रभात खबर धन्यवाद का पात्र है. आयोजन में हिस्सा ले रहे कई स्कूलों के बच्चों ने पूरे कार्यक्रम के दौरान उत्साह से हिस्सा लिया और खूब नारे लगाये.
शिक्षा के साथ संस्कार भी होना चाहिए
जैसे हर किसी का अधिकार होता है वैसे ही आप बच्चों के भी अधिकार होते हैं और आपका अधिकार है शिक्षित होने का. शिक्षित बच्चे ही वैज्ञानिक बनते हैं. देश का मान सम्मान बढ़ाते हैं. शिक्षा के साथ संस्कार भी होना चाहिए. यह बात राज्यपाल लालजी टंडन ने शुक्रवार को प्रभात खबर व यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में राजभवन के पास स्थित आयोजित बाल अधिकार यात्रा के आयोजन में अपने संबोधन के दौरान कही.
यह यात्रा राजभवन से राजधानी वाटिका तक निकाली गयी. गो ब्लू थीम पर आधारित इस कार्यक्रम का आगाज राज्यपाल ने ब्लू कलर के गुब्बारों को उड़ा कर किया.
स्वच्छता का रखें ख्याल
राज्यपाल लालजी टंडन ने इस पहल के लिए प्रभात खबर व यूनिसेफ को बधाई दी. उन्होंने बच्चों से कहा कि आपको स्वच्छता का भी ख्याल रखना होगा. जहां पर रहें, वहां पर सफाई का ख्याल रखें. हर व्यक्ति का सामाजिक कर्तव्य भी है कि स्कूल के बाहर भी शिक्षा दे. आज बेटा या बेटी में कोई अंतर नहीं है सब छात्र हैं.
बदलते समाज में एक दृढ़ विश्वास पैदा कर के शिक्षा हासिल कर सकते हैं. आपके अंदर आक्रोश होना चाहिए कि जो हमारा है, वही हमारा है. एक ऐसा भी वक्त था जब बच्चे अभाव के कारण निरक्षर रह जाते थे लेकिन अब वक्त बदल रहा है. सभी के लिए अनंत आकाश है. जहां तक बढ़ना है बढ़िये, कई योजनाएं आप सभी के लिए हैं. इनमें भोजन के साथ ही पुस्तकें भी दी जा रही हैं.
आपका कर्तव्य है कि विद्यालय का पर्यावरण, टीचर्स के साथ सभ्य व्यवहार करें. छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो आप सभी के लिए ही बेहतर होगा. आप देश के निर्माता बनें.
बच्चों ने लगाये नारे
आयोजन में हिस्सा ले रहे कई स्कूलों के बच्चों ने पूरे कार्यक्रम के दौरान उत्साह से हिस्सा लिया और खूब नारे लगाये. इन बच्चों ने अपने हाथों में कई तख्तियां पकड़ी थीं. जिस पर परेशानियों को है निबटाना, जितना हो पढ़ना सीखें, भेदभाव से लड़ना सीखें तथा ऐसा स्कूल जहां न कोई स्पेशल हो, न कोई डर हो जहां खुल कर रह सके जैसे कई और नारे लिखे हुए थे. सभी बच्चों को ब्लू रंग के स्टॉल्स दिये गये थे. जिनको उन्होंने अपने गले में धारण किया था.
हर वर्ष आयोजन
इससे पहले यूनिसेफ के असदुर्रहमान ने कहा कि हर वर्ष इसका आयोजन किया जाता है. भारत सरकार ने भी इस मुहिम को अपनाया हुआ है. बाल अधिकार यात्रा में राज्यपाल का अाना सुखद है. प्रभात खबर भी इसके लिए धन्यवाद का पात्र है. जबकि प्रभात खबर के बिहार स्टेट हेड अजय कुमार ने कहा कि स्कूलों को कैसे विकसित किया जाये, यह समाज की जिम्मेदारी है.
यह सबकी जिम्मेदारी है कि बच्चे सुरक्षित कैसे पहुंचे. हम वक्त वक्त पर ऐसी पहल करते हैं. बाल अधिकार यात्रा के तहत हिस्सा ले रहे बच्चों से राजभवन से राजधानी वाटिका तक रैली भी निकाली.
क्या है बाल अधिकार यात्रा
विश्व बाल दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाली बाल अधिकार यात्रा बच्चों के अधिकारों की वकालत के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है. हर साल 20 नवंबर को पूरी दुनिया में विश्व बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. वर्ष 1954 में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 20 नवंबर को विश्व भर के बच्चों के बीच एकता और सजगता को प्रोत्साहित करने के लिए विश्व बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. 1989 में इसी दिन संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने बच्चों के अधिकारों के घोषणापत्र को मान्यता दी थी. उसी दिन के उपलक्ष्य में 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस के रूप में चुना गया.
ऐसे आयोजनों से खुशी
बाल अधिकार यात्रा के दूसरे चरण में राजधानी वाटिका में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इस तरह के आयोजन से हर्ष होता है. विश्व बाल दिवस का आयोजन हो रहा है. राज्य के सभी स्कूलों में छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा की पहल की जा रही है. नल-जल योजना का विस्तार स्कूलों तक किया जा रहा है. बच्चों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने की पहल हो रही है.
बच्चे भी कर्तव्य को समझें. आप सभी से आग्रह है कि वह छोटी-छाेटी चीजें जैसे पौधों को लगाने पर भी ध्यान दें. कम से कम एक पौधा लगायें और उसे संरक्षण दे. देश में कई जगहों पर जल का संकट है. स्कूलों, घरों में पानी को बचायें साथ ही ऊर्जा को भी बचायें. बिजली ऑफ है या ऑन, इस बात का भी ख्याल रखे.
नदियों, तालाब को प्रदूषित होने से बचाना है. आयोजन में पद्मश्री सुधा वर्गिस, यूनिसेफ बिहार के प्रमुख असदुर्रहमान, यूनिसेफ की निपुण गुप्ता, अविनाश उज्ज्वल के अलावा बड़ी संख्या में स्कूली छात्र, शिक्षक व अन्य लोग उपस्थित थे.
धर्मगुरुओं ने भी उठायी बच्चों के विकास की बात
राजधानी वाटिका में विभिन्न धर्मों के गुरुओं ने भी हिस्सा लिया और छात्रों को संबोधित किया. इसके तहत आचार्य सुदर्शन ने कहा कि बच्चों में मुस्कान होनी चाहिए. उनके चेहरे हमेशा प्रफुल्लित होने चाहिए. आज बच्चों की पीठ पर भारी बस्ते का बोझ होता है. स्कूल जेल जैसा हो रहा है. ऐसा नहीं होना चाहिए.
इसे बदलने की जरूरत है. वही सिस्टर ज्योतिशा ने कहा कि यह खुशी का दिन है. आप लोग कर्तव्य करें. शिक्षा हमारा मौलिक अधिकार है. स्कूलों में खुशी का माहौल होना बहुत जरूरी है. जबकि खानकाह मुजीबिया के हबीबुल्लाह ने कहा कि बच्चों के विकास के बारे में सोचना होगा. साथ ही स्कूल जाने तक इन बच्चों की सुरक्षा का भी इंतजाम होना चाहिए.
राजधानी वाटिका में शिक्षा के अधिकार को लेकर किलकारी के बच्चों द्वारा एक नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया गया. जिसमें बच्चों ने यह संदेश दिया कि शिक्षा पर सबका अधिकार है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement