Advertisement
पटना : पीएचडी में प्लेगरिज्म रोकने को नये सॉफ्टवेयर खरीदेगी पीयू
शोध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उठाये जायेंगे कदम पटना : शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने व थिसिस चोरी (प्लेगरिज्म) को रोकने के लिए पटना विश्वविद्यालय नये सॉफ्टवेयर खरीदेगी. यूजीसी ने इसको लेकर विवि को पहले ही निर्देश जारी किये थे. वहीं अब राजभवन ने भी पीयू को इस पर रोकथाम के लिए कदम उठाने […]
शोध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उठाये जायेंगे कदम
पटना : शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने व थिसिस चोरी (प्लेगरिज्म) को रोकने के लिए पटना विश्वविद्यालय नये सॉफ्टवेयर खरीदेगी. यूजीसी ने इसको लेकर विवि को पहले ही निर्देश जारी किये थे. वहीं अब राजभवन ने भी पीयू को इस पर रोकथाम के लिए कदम उठाने को कहा है.
विवि के कुलपति प्रो रास बिहारी सिंह ने इसके लिए नये सॉफ्टवेयर खरीदने की घोषणा सीनेट में की. जल्द ही यह सॉफ्टवेयर पीयू में होगा और इसके बाद कॉपी पेस्टिंग या सिनॉप्सिस से लेकर थिसिस तक की जो चोरी पीएचडी में हुआ करती थी, उसपर अब रोक लगेगी. अगर किसी शोधार्थी ने ऐसा किया तो उस पर कार्रवाई करते हुए उसका पीएचडी रद्द कर दिया जायेगा.
सॉफ्ट कॉपी में भी लिया जा रहा थिसिस : यूजीसी के नये नियमों के अनुसार अब थिसिस की एक सॉफ्ट कॉपी विश्वविद्यालय को जमा करनी है और एक कॉपी शोधार्थी अपने पास रखेंगे. उक्त थिसिस को वेबसाइट पर अपलोड भी किया जायेगा. जिसे अन्य छात्र देख सकते हैं.
एक कॉपी यूजीसी को भी जायेगी. यूजीसी को अगर किसी थिसिस में प्लेगरिज्म का शक हुआ तो जांच के बाद प्लेगरिज्म पाये जाने पर थिसिस को तत्काल रद्द किया जा सकता है. शोधार्थी के इस हरकत से विवि की भी बदनामी होगी. यही वजह है कि विश्वविद्यालयों को पहले अपने स्तर पर ही चेक प्वाइंट लगाने की बात कहीं गयी है. पीयू में इससे पहले यह सॉफ्टवेयर नहीं थी. इस सॉफ्टवेयर के बाद पीयू तुरंत थिसिस को सॉफ्ट काॅपी के माध्यम यह चेक कर लेगी कि इसमें चोरी की गयी है अथवा नहीं. अगर थिसिस दूसरे किसी छात्र से मिला तो विवि उस पर तुरंत कार्रवाई करेगी और थिसिस एप्रुव नहीं होगा.
सुपरवाइजर पर भी होगी कार्रवाई : पीएचडी चूंकि सुपरवाइजर को कराना है और उसे ही थिसिस को चेक कर पास करना है. ऐसे में चोरी पकड़े जाने पर शोधार्थी के साथ शिक्षक पर भी कार्रवाई हो सकती है.
यूजीसी द्वारा जारी नये नियमों के अनुसार थीसिस में प्लेगरिज्म यानी साहित्य चोरी पाये जाने और डिग्री मिल जाने की स्थिति में शिक्षकों को वेतन वृद्धि और नये छात्रों के सुपरविजन के अधिकार नहीं दिये जायेंगे. वहीं शोधार्थी दोषी पाया जाता है तो उसका रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जा सकता है. यूजीसी ने साफ तौर पर कहा है कि अगर चोरी पकड़ी गयी तो शोधार्थी का रजिस्ट्रेशन रद्द होने के साथ ही शोध कराने वाले प्रोफेसर की नौकरी पर भी संकट पड़ सकता है. यूनिवर्सिटी, कॉलेज, शोधार्थी और शोध कराने वाले शिक्षक नये गाइड लाइन को यूजीसी के वेबसाइट पर देख सकते हैं.
शोध में चोरी रोकने के लिए नये नियम में कोई भी व्यक्ति इसकी शिकायत संबंधित संस्थान से कर सकता है. इसके साथ ही संस्थान खुद भी इस मामले पर संज्ञान ले सकता है.
इस मामले की जानकारी विभागीय शैक्षिक सत्यनिष्ठा पैनल (डीएआईपी) करेगा. डीएआईपी ऐसी शिकायत की प्राप्ति की जांच करेगा. इसके बाद उच्चतर शिक्षा संस्थान की संस्थागत शैक्षिक सत्यनिष्ठा नामसूची (आईएआईपी) को अपनी सिफारिशें सौंपेगा. सभी विभाग डीएआईपी बनायेंगे और इसके बाद उच्च शिक्षण संस्थान (यूनिवर्सिटी) आईएआईपी बनायेगा.
देना होगा शपथ पत्र : नये नियम में यह साफ तौर पर कहा गया है कि थीसिस, डिजर्टेशन या इस तरह का अन्य कोई दस्तावेज जमा करने से पहले शोधार्थी को एक शपथपत्र देना होगा. उसमें उल्लेख करना होगा कि दस्तावेज छात्र के द्वारा खुद तैयार किया गया है और असली काम है. उसमें यह भी उल्लेख करना होगा कि संस्थान द्वारा साहित्यिक चोरी पकड़ने वाले उपकरण से दस्तावेज की गहन जांच कर ली गयी है. प्रत्येक सुपरवाइजर को एक सर्टिफिकेट जमा करना होगा, जिसमें उल्लेख करना होगा की शोधार्थी द्वारा किया गया काम चोरी मुक्त है.
साहित्यिक चोरी के स्तर
चोरी को चार स्तरों लेवल 0, लेवल 1, लेवल 2 और लेवल 3 में बांटा गया है.लेवल 0 में क्या है : अगर थीसिस में 10 प्रतिशत तक समानता या मामूली समानता पायी जाती है तो इसे लेवल ‘शून्य’ में रखा जायेगा. शून्य लेवल में रहने पर किसी तरह के दंड का प्रावधान नहीं है.
लेवल एक : थीसिस में 10 प्रतिशत से लेकर 40 % तक समानता पायी गयी तो, शोधार्थी को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. इस लेवल में छह महीने के अंदर निर्धारित समय पर छात्र को संशोधित स्क्रिप्ट जमा करने के लिए कहा जायेगा. अगर डिग्री मिल चुकी है तो मैन्युस्क्रिप्ट वापस लेने को कहा जायेगा.
लेवल दो : 40 से लेकर 60 प्रतिशत तक की समानता रहने पर एक साल तक संशोधित आलेख नहीं जमा कर सकते हैं. अत: पुन: एक साल के बाद ही संशोधित थीसिस जमा हो सकता है. शोध कराने वाले शिक्षकों को भी एक साल तक इन्क्रिमेंट नहीं मिलेगा और दो सालों तक नये स्कॉलर का सुपरवाइजर बनने पर रोक लगा दी जायेगी.
लेवल तीन : 60 प्रतिशत से अधिक समानता रहने पर रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जायेगा. डिग्री मिल चुकी है तो मैन्युस्क्रिप्ट वापस लेना होगा. वहीं गाइड को दो सालों तक इन्क्रिमेंट नहीं मिलेगा, तीन सालों तक किसी नये स्कॉलर का सुपरवाइजर बनने पर रोक.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement