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पटना हाईकोर्ट ने कहा- जो हाईकोर्ट का आदेश समझ नहीं सकता, वह बिहार बोर्ड का अध्यक्ष रहने लायक नहीं
पटना : पांच रिट याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने कहा कि जोहाईकोर्ट का आदेश समझ ही नहीं सकता वह भला बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष के पद पर कैसे रह सकता है. ऐसे व्यक्ति को इस पद पर रहने का अधिकार नहीं है. अध्यक्ष के इसी रवैये के कारण संबंधित पक्षों […]
पटना : पांच रिट याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने कहा कि जोहाईकोर्ट का आदेश समझ ही नहीं सकता वह भला बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष के पद पर कैसे रह सकता है. ऐसे व्यक्ति को इस पद पर रहने का अधिकार नहीं है. अध्यक्ष के इसी रवैये के कारण संबंधित पक्षों को काफी परेशानी होती है. तल्ख टिप्पणी के साथ कोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर के खिलाफ अवमानना के पांच अलग-अलग मुकदमे चलाने का निर्देश शुक्रवार को दिया.
न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की एकल पीठ ने शुक्रवार को पांच स्कूलों की तरफ से दायर पांच रिट याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पाया कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने अदालती आदेश का अवमानना किया है. श्री किशोर के इस गैरकानूनी कार्य पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा दायर करने का आदेश दिया है.
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष द्वारा पांच स्कूलों की संबद्धता को रद्द किये जाने के आदेश को गलत और गैरकानूनी पाते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने निरस्त कर दिया था. एकलपीठ के आदेश को बोर्ड ने खंडपीठ में चुनौती दी जिसपर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को सही पाते हुए बोर्ड की अपील को खारिज कर दिया.
खंडपीठ ने केवल परीक्षा समिति को इतनी ही छूट दी कि अगर समिति चाहे तो इन स्कूलों की संबद्धता को लेकर फिर से नया आदेश नियमानुसार पारित कर सकता है . कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पाया कि इन विद्यालयों के संबद्धता रद्दीकरण संबंधी परीक्षा समिति के आदेश को हाईकोर्ट द्वारा निरस्त कर दिए जाने के बाद भी समिति इन स्कूलों को संबद्धता नहीं दे रही थी .
कोर्ट ने पाया कि समिति के इस गैरकानूनी और तानाशाही रवैये के कारण ही इन पांच कॉलेजों के इंटर कक्षाओं के छात्रों को ऑनलाइन दाखिले की सुविधा से वंचित रखा गया. परीक्षा समिति के इस तानाशाही रवैये को लेकर पांच इंटर कॉलेजों की ओर से पांच अलग अलग याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की .
शुक्रवार को श्रीराम चंद्र सीनियर सेकेंडरी स्कूल व अन्य चार स्कूलों की ओर से दायर रिट याचिका को सुनते हुए कोर्ट ने आनंद किशोर के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने का निर्देश देते हुए परीक्षा समिति के अध्यक्ष को कहा कि वे आठ अक्तूबर को अपना जबाब देते हुए यह बताये की क्यों नहीं उनके विरुद्ध अवमानना का मामला चलाने के लिए आरोप का गठित किया जाये.
सुनवाई के दौरान बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष की तरफ से जो जवाब दायर हुआ उसे देख कर हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया अध्यक्ष द्वारा हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुए पाया. अध्यक्ष की तरफ से बताया गया की चूंकि खंडपीठ ने समिति को इन स्कूलों के एफिलिएशन पर पुनः विचार कर आदेश पारित करने की छूट दे रखी है इसलिए इन स्कूलों का एफिलिएशन अभी विचारार्थ है .
हाई कोर्ट ने हैरानी जताया की जब इन स्कूलों की एफिकियेशन को रद्द करने संबंधी परीक्षा समिति के आदेश को हाई कोर्ट ने पिछले वर्ष ही निरस्त कर दिया था और हाईकोर्ट के आदेश के बाद इन स्कूलों का रद्द हुआ एफिलिएशन स्वतः पुनर्जीवित हो उठा तो फिर इन स्कूलों का एफिलिएशन होने को बोर्ड द्वारा कैसे नहीं स्वीकार किया जा रहा है?
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि समिति के अध्यक्ष हाई कोर्ट आदेश को या तो समझते नहीं या जानबूझकर आदेश की अवेहलना करते है. ऐसी स्थिति में ये अपने पद पर बने रहने लायक नहीं हैं. अदालत ने इस मामले की सुनवाई की अगली तिथि आठ अक्तूबर निर्धारित की है. उस दिन आनंद किशोर को अवमानना के मामले में हाईकोर्ट में अपना जवाब देना है.
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