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पटना : न शेड, न टॉयलेट, 260 महिला ट्रेनी को लगाया चौराहों पर
सुविधाओं की कमी से महिला सिपाहियों के लिए ट्रैफिक ट्रेनिंग बनी मुसीबत पिछले माह ही पटना ट्रैफिक पुलिस को 300 प्रशिक्षु सिपाही मिले हैं. इनमें 260 महिला सिपाही जबकि 40 पुरुष सिपाही हैं. 31 अगस्त को 260 महिला सिपाहियों को शहर के 106 ट्रैफिक पोस्टों पर तैनात कर दिया गया. इनमें हड़ताली मोड़ और वोल्टास […]
सुविधाओं की कमी से महिला सिपाहियों के लिए ट्रैफिक ट्रेनिंग बनी मुसीबत
पिछले माह ही पटना ट्रैफिक पुलिस को 300 प्रशिक्षु सिपाही मिले हैं. इनमें 260 महिला सिपाही जबकि 40 पुरुष सिपाही हैं. 31 अगस्त को 260 महिला सिपाहियों को शहर के 106 ट्रैफिक पोस्टों पर तैनात कर दिया गया.
इनमें हड़ताली मोड़ और वोल्टास गोलंबर जैसे चौराहों पर दो-दो की संख्या में दो शिफ्टों में महिला सिपाहियों को लगाया गया जबकि डाकबंगला चौराहा जैसे अतिव्यस्त चौराहे पर चार-चार की संख्या में डबल शिफ्ट में लगाया गया. पूर्व से भी डबल शिफ्ट में महिला सिपाहियों की तैनाती होने के कारण डाकबंगला चौराहा जैसे स्थल पर इनकी संख्या हर शिफ्ट में छह तक पहुंच गयी. इतनी बड़़ी संख्या में तैनाती के बावजूद इन महिला सिपाहियों के लिए किसी तरह की सुविधा की व्यवस्था ट्रैफिक आउटपोस्ट पर नहीं की गयी है.
जहां पहले से धूप से बचने के लिए शेड नहीं हैं, ऐसे चौराहों और ट्रैफिक प्वाइंट्स पर न शेड बनाया गया है और न टॉयलेट की सुविधा दी गयी है. परिणाम है कि जरूरी सुविधाओं की कमी से महिला सिपाहियों को ट्रैफिक ट्रेनिंग में हर दिन कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है.
अनुपम कुमार की रिपोर्ट
जरूरी सुविधाओं की कमी से परेशानियों से होना पड़ रहा दो-चार
42 जगहों पर निर्माण से रखरखाव तक का प्रस्ताव भेजा है
ट्रैफिक आऊट पोस्ट पर रेस्ट रूम, पीने का पानी, महिला शौचालय, मूत्रालय जैसी सुविधाओं की बहाली के तीन चरण है स्थल चयन, निर्माण और रखरखाव. हमने 42 जगहों पर ट्रैफिक आऊटपोस्ट के पास ऐसे रेस्ट रुम के लिए स्थल चयन से लेकर निर्माण और रखरखाव तक का प्रस्ताव बना कर डीएम और कमिश्नर को भेजा है.
उम्मीद है जल्द ही इन पर काम शुरू होगा. 24 से नवतैनात ट्रेनी महिला सिपाहियों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जा रहा है. जब तक वे वापस लौटेंगी, उम्मीद है रेस्ट हाउस के निर्माण का कार्य बहुत हद तक पूरा हो चुका रहेगा.
— पीएन मिश्र, ट्रैफिक एसपी
आउटपोस्ट के आसपास हो पानी का नल
31 अगस्त से डयूटी कर रही हूं. आउटपोस्ट के आसपास पानी का नल लगाया जाना चाहिए क्योंकि लगातार धूप में खड़े रहने पर इसकी बहुत जरूरत महसूस होती है. आसपास टॉयलेट की व्यवस्था हो तो और बेहतर है.
— प्रियंका कुमारी
मॉल में जाना पड़ता है, पर वहां भी टॉयलेट का गेट टूटा
टॉयलेट सुविधा नहीं हाेने से बगल के मॉल या पेट्रोल पंप पर जाना पड़ता है. पेट्रोल पंप के पुरुष कर्मियों के द्वारा भी टायलेट के इस्तेमाल से वहां असुविधा होती है जबकि मॉल में भी स्थिति ठीक नहीं और गेट टूटा है.
— अंशु कुमारी
सिर्फ कभी-कभी आता पानी का जार
धूप में लगातार डयूटी करना पड़ता है. बार बार प्यास लगती है, लेकिन पानी की व्यवस्था नहीं है. पानी का जार सिर्फ कभी-कभी आता है. इससे परेशानी होती है और अगल बगल के दुकान से मांगकर पानी पीना पड़ता है.
— खुशबू कुमारी
लंच लेने व सुस्ताने के लिए हो छोटी जगह
लंच लेने के लिए जगह नहीं है. आउटपोस्ट केबिन है पर वहां इंचार्ज काम करते रहते हैं. एक छोटी जगह भी ऐसी होनी चाहिए जिसका लंच लेने या बीच-बीच में सुस्ताने के लिए इस्तेमाल किया जा सके.
— सुमन कुमारी
कार्यस्थल पर टॉयलेट नहीं होने से परेशानी
सात घंटे डयूटी करनी पड़ती है. कार्यस्थल पर टॉयलेट की व्यवस्था नहीं होने से बहुत परेशानी होती है. आउटपोस्ट पर पानी भी हमेशा उपलब्ध नहीं होता और प्यास लगने पर बगल से लाना पड़ता है.
—कुमारी सोनिका
पंत भवन के टॉयलेट का करना पड़ता है इस्तेमाल
मेजर साहब ने कहा है कि सेक्टर प्रभारी से बात करो, वही व्यवस्था करेंगे. जरूरत पड़ने पर बगल के पंत भवन के भूतल पर स्थित टॉयलेट का इस्तेमाल करना पड़ता है. व्यवस्था होती तो बेहतर होता.
— नीहारिका कुमारी
टाॅयलेट के लिए कोतवाली थाना जाना पड़ता है
पिछले दो सप्ताह से काम कर रही हूं. धूप में लगातार खड़े रहना परेशानी भरा है. टॉयलेट नहीं होने से भी बहुत परेशानी आती है. टायलेट लगने पर कोतवाली थाना जाना पड़ता है जो आउटपोस्ट से दूर है.
— पूजा कुमारी
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