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ट्रैफिक पुलिस को गालियां देकर फुर्र हुए बाइकर्स, शर्म से महिला पुलिसकर्मियों ने झुकाया सिर, बाकी खिसिआते रहे
पटना : कहने को तो हड़ताली चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की संख्या 20-25 के बीच होती है. लेकिन, रविवार की अपराह्न तीन बजे दो तेज रफ्तार लहरियाकट बाइकर्स ने कुछ समय के लिए सनसनी फैला दी. महिला ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने गंदी व भद्दी गालियों के मद्देनजर सिर झुकाते हुए मुंह फेर लिया. शेष पुलिस […]
पटना : कहने को तो हड़ताली चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की संख्या 20-25 के बीच होती है. लेकिन, रविवार की अपराह्न तीन बजे दो तेज रफ्तार लहरियाकट बाइकर्स ने कुछ समय के लिए सनसनी फैला दी. महिला ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने गंदी व भद्दी गालियों के मद्देनजर सिर झुकाते हुए मुंह फेर लिया.
शेष पुलिस वाले खिसिआते रह गये. तेज रफ्तार बाइकर्स चौराहा पार कर बोरिंग रोड चौराहे की तरफ आ रहे थे. बाइक सवारों की उम्र भी बमुश्किल से पंद्रह से अठारह साल की रही होगी. उनके पास हेलमेट नहीं था. दरअसल महिला ट्रैफिक कर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने शोर मचाते हुए बाइक की रफ्तार बढ़ा दी. पुरुष ट्रैफिक कर्मियों ने तेजी दिखाई तो दोनों बाइकरों ने गालियों की बौछार कर दी और बाइक लहराकर निकल भागे. गालियां इतनी तेज आवाज में दीं कि सौ से दो सौ मीटर दूर तक लोगों ने सुनीं.
इस घटना के सबक
पटना पुलिस के पास खास तौर पर यंग पुलिसमैन नहीं हैं, जो दौड़ कर किसी को पकड़ सकें. पुलिसकर्मियों की हाइट भी बेहद कम है. जबकि महानगरों में ट्रैफिक पुलिसकर्मी लंबी हाइट के होते हैं.
ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के पास वॉकी-टॉकी व वॉयरलेस का अभाव दिखा. अन्यथा अगले ट्रैफिक प्वाइंट पर वे पकड़े जाते.
सीसीटीवी कैमरों की रेंज भी सीमित लगी.ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के पास बाइकों का अभाव है.
पटना ट्रैफिक पुलिस इंदौर से सीखे ट्रैफिक प्रबंधन
पटना की ट्रैफिक पुलिस को इंदौर महानगर के ट्रैफिक प्रबंधन से कुछ अच्छी बातें जरूर सीखना चाहिये. खास तौर पर वहां के ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की फिटनेस के संदर्भ में जरूरी सीख लेना चाहिए.
इंदौर में ट्रैफिक पुलिस हारे थके पुलिस कर्मी नहीं लगाती. वहां बेहद चुस्त दुरुस्त ट्रैफिक पुलिस कर्मी होते हैं. उनका प्रशिक्षण आला दर्जे का होता है. प्रत्येक ट्रैफिक पुलिस कर्मी के पास खास बाइकें होती हैं, जिनके जरिये वह बाइकर्स का पीछा कर दबोच लेता है. वॉकी-टॉकी भी प्रत्येक ट्रैफिक पुलिस कर्मी के पास होता है. यही वजह है कि इंदौर के ट्रैफिक पुलिस के कई जवान टूरिस्टों के लिए भी आकर्षण का विषय होते हैं.
संसाधन की अब भी भारी कमी
पटना ट्रैफिक पुलिस के पास कुछ दिनों पहले तक सिपाहियों की भारी कमी थी. पिछले महीने 300 ट्रेनी सिपाहियों के मिलने के बाद यह कमी अब बहुत हद तक दूर हुई है, लेकिन संसाधनों की कमी अब भी बनी हुई है.
नवसृजित 39 ट्रैफिक सेक्टरों में से केवल 12 सेक्टरों को एक-एक मोटरसाइकिल उपलब्ध करवाया गया है. जबकि हर ट्रैफिक सेक्टर को कई हाई स्पीड बाइक की जरूरत है. नतीजा है कि लहरियाकट की बात तो छोड़े सामान्य ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करनेवाले वाहन सवारों को भी खदेड़कर पकड़ना इनके लिए संभव नहीं है.
ट्रैफिक पुलिस बेबस
लहरियाकट बाइकर्स डेढ़-दो लाख रुपये कीमत वाली महंगी बाइक इस्तेमाल करते हैं, जिनका पिकअप काफी बेहतर होता है. पांच से दस सेकेंड के भीतर ही 80-90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार हासिल करने में ये सक्षम होते हैं. ऐसे में आउटपोस्ट पर बिना हथियार और वाहन के खड़ा ट्रैफिक सिपाही चाह कर भी इनको पकड़ने और जुर्माना वसूलने की कार्रवाई में सक्षम नहीं है.
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