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पुराने निगरानीवाद की खुलेंगी अब फाइलें, अवैध निर्माण पर अपना पक्ष रखने का मौका देगा निगम

पटना : निगम क्षेत्र में मकान या फिर बहुमंजिली इमारत बनाने के लिए निगम से नक्शा स्वीकृत कराना और नक्शे के अनुरूप मकान बनाना अनिवार्य है. स्वीकृत नक्शे के अनुरूप मकान या अपार्टमेंट नहीं बने तो स्थानीय नागरिक या निगम अपने स्तर से अवैध निर्माण के खिलाफ उस भवन पर निगरानीवाद केस दर्ज करता है. […]

पटना : निगम क्षेत्र में मकान या फिर बहुमंजिली इमारत बनाने के लिए निगम से नक्शा स्वीकृत कराना और नक्शे के अनुरूप मकान बनाना अनिवार्य है. स्वीकृत नक्शे के अनुरूप मकान या अपार्टमेंट नहीं बने तो स्थानीय नागरिक या निगम अपने स्तर से अवैध निर्माण के खिलाफ उस भवन पर निगरानीवाद केस दर्ज करता है.
इस केस की सुनवाई नगर आयुक्त के कोर्ट में होती है जिसमें वादी व प्रतिवादी अपने-अपने पक्ष रखते हैं. लेकिन, बीते कई वर्ष से नगर आयुक्त कोर्ट की तिथि निर्धारित करने की बावजूद निर्धारित तिथि पर कभी वादी तो कभी प्रतिवादी उपस्थित नहीं हो रहे हैं. इस स्थिति में 1300 निगरानीवाद केस वर्षों से पेंडिंग हैं. अब इन पेंडिंग केसों के लिए वादी व प्रतिवादी को सिर्फ एक और मौका दिया जायेगा.
पेंडिंग केस के वादी व प्रतिवादी को भेजा जा रहा नोटिस : नगर आयुक्त अनुपम कुमार सुमन के निर्देश पर निगरानी शाखा के अधिकारियों ने पेंडिंग केसों की सूची तैयार की है. इस केस के वादी व प्रतिवादी को नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू की गयी है.
नोटिस में केस की सुनवाई की तिथि भेजी जा रही है, ताकि दोनों पक्ष अपने-अपने साक्ष्य नगर आयुक्त के समक्ष सौंप सकेंगे. अगर नोटिस में भेजे गये तिथि पर वादी या प्रतिवादी उपस्थित नहीं होते हैं तो नगर आयुक्त एक पक्षीय फैसला सुनाने को लेकर स्वतंत्र होंगे.
वर्ष 2003 से हैं पेंडिंग केस
वर्ष 2007 से पहले राजधानी यानी निगम क्षेत्र में डेवलपमेंट वर्क पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (पीआरडीए) के अधीन था. तब निगरानीवाद केस पीआरडीए में दर्ज की जा रही थी. वर्ष 2007 में पीआरडीए निगम में विघटित हो गया. इसके बाद नगर आयुक्त निगरानीवाद केस की सुनवाई करने लगे. लेकिन, वर्ष 2003 से ही निगरानीवाद केस लंबित हैं. स्थिति यह है कि वर्ष 2003 में 252 निगरानीवाद केस दर्ज
की गयी, जिसमें सिर्फ 20 केसों का निष्पादन किया गया. यह सिलसिला वर्ष दर वर्ष बढ़ते चला गया, जो अब तक लंबित है.
विज्ञापन होर्डिंग के बाद मोबाइल टावरों पर कसेगा शिकंजा
निगम क्षेत्र में संचार कंपनियों को मोबाइल टावर लगाने को लेकर निगम से अनुमति लेना पड़ता है. निगम से अनुमति लेने को लेकर निर्धारित शुल्क जमा करना होता है. लेकिन, संचार कंपनियां एक मोबाइल टावर की अनुमति लेती हैं और तीन-चार मोबाइल टावर लगाती है.
इतना ही नहीं, प्रत्येक वर्ष टावर का नवीनीकरण भी करना है. लेकिन, मोबाइल टावर का नवीनीकरण भी नहीं हो रहा है. इससे निगमराजस्व की क्षति हो रही है. अब नगर आयुक्त अनुपम कुमार सुमन ने मोबाइल टावरों पर शिकंजा कसने की योजना बनाया है.
इसको लेकर दूरसंचार विभाग के मुख्य प्रबंधक को पत्र भेज कर निगम क्षेत्र में लगे मोबाइल टावरों की सूची मांग किया है. नगर आयुक्त ने अपने पत्र में कहा कि टावर लगे स्थल की आईडी, स्थल पता, टावर की लंबाई, बिल्डिंग की लंबाई आदि जानकारी उपलब्ध कराये. निगम अधिकारी ने बताया कि दूरसंचार विभाग से निगम क्षेत्र में लगे मोबाइल टावरों की सूची उपलब्ध होने के बाद जांच प्रक्रिया शुरू की जायेगी. एक-एक टावर की स्थल निरीक्षण करते हुए सत्यापन किया जायेगा. सत्यापन कार्य पूरा करने के बाद आगे की कार्रवाई पूरी की जायेगी.
अभियान का असर कम हुआ, दुबारा फैलने लगे अतिक्रमणकारी
हाईकोर्ट के निर्देश पर जिला व निगम प्रशासन की टीम 16 अगस्त से लगातार अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रही है, लेकिन ताजा तस्वीरें इस अभियान को धता बता रही हैं. टीम के द्वारा अतिक्रमण हटाने के बाद उन जगहों पर फिर से अतिक्रमण दिखने लगा है.
बता दें कि नूतन राजधानी अंचल की टीम ने लगातार पांच दिनों तक बोरिंग कैनाल रोड व बोरिंग रोड में तो कंकड़बाग अंचल की टीम ने दो दिनों तक अभियान चला कर मीठापुर बस स्टैंड और आस-पास के अतिक्रमणकारियों की अवैध दुकानों को ध्वस्त किया. अब प्रशासन की टीम ने दूसरी सड़कों से अतिक्रमण हटाना शुरू कर दिया है.
सड़कों पर दुबारा अतिक्रमणकारियों का कब्जा नहीं हो. इसको लेकर प्रमंडल आयुक्त ने धावा दल गठित किया था, जिसे अतिक्रमण करने वालों की निगरानी करने की जिम्मेदारी दी गयी थी. यही जिम्मेदारी स्थानीय थानों को भी दी गयी थी, लेकिन धावा दल व स्थानीय थाना इस मामले में चुस्त नहीं दिख रही है. स्थिति यह है कि अतिक्रमण हटे सड़कों पर दुबारा अतिक्रमणकारी फैलने लगे हैं.
बोरिंग रोड चौराहा से राजापुर पुल की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित भगवती कॉम्प्लेक्स से आगे इलेक्ट्रॉनिक्स, पेंट, किराना दुकान और रेस्टोरेंट हैं. इन दुकानों के दुकानदारों ने फुटपाथ पर कब्जा कर अपने-अपने दुकान फैला रखे थे. अभियान के दौरान इन अतिक्रमणकारियों के कब्जा ध्वस्त करने के साथ साथ पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना वसूले गये. इसके बावजूद दुकानदारों ने धीरे-धीरे दुकान फैलाना शुरू कर दिया है. स्थिति यह है कि अभियान टीम ने जहां से सामान हटाया था, वहां दुबारा सामान रख बेचे जा रहे हैं.
बोरिंग कैनाल रोड स्थित हरीलाल स्वीट्स दुकान से पहले बीके इंडस्ट्री का खाली भूखंड है. इस भूखंड की लोहे की चादर से घेराबंदी की गयी थी. इस भूखंड में छह फुट अंदर तक सड़क की जमीन है. घेराबंदी हटाने को लेकर निगम प्रशासन ने बीके इंडस्ट्रीज को नोटिस देने के साथ-साथ प्राथमिकी दर्ज कराया गया. इसके बाद आनन-फानन में सिर्फ लोहे की चादर को हटाया गया, लेकिन दस दिन बाद अब भी लोहे का पिलर जहां लगा था वहीं लगा है. यह कब्जा स्थानीय थाना व धावा दल में तैनात अधिकारियों को नहीं दिख रहा है.
मीठापुर बस स्टैंड और आसपास का इलाका
कंकड़बाग अंचल की कार्यपालक पदाधिकारी पूनम कुमारी के नेतृत्व में पिछले दो दिनों तक मीठापुर बस स्टैंड रोड में अभियान चलाया गया. अभियान के दौरान अतिक्रमणकारियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए एक-एक अतिक्रमण ध्वस्त किये गये.
बस स्टैंड के गेट नंबर एक व दो के समीप से तीन दर्जन से अधिक अतिक्रमणकारियों की दुकानें ध्वस्त की गयींऔर दर्जनों ठेला-खोमचा दुकानदार हटाये गये. वहीं, मीठापुर मोड़ के समीप नाला किनारे दर्जनों अतिक्रमणकारियों ने झुग्गी-झोंपड़ी बना ली थी. इन झुग्गी-झोंपड़ी को ध्वस्त किया गया, लेकिन रविवार की शाम दुबारा झुग्गी-झोंपड़ी सजने लगे और बस स्टैंड के गेट नंबर-एक पर झोंपड़ी के दुकानदारों ने ठेला पर दुकान सजा दिया है. इससे अतिक्रमण हटने के बाद भी स्थिति जस-की-तस बनी है.
मुख्य सड़कों से हट रहा पर सर्विस लेन में अब भी बना है अतिक्रमण
11 दिनों से चल रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान से बोरिंग रोड, बोरिंग कैनाल रोड, नाला रोड, कदमकुआं समेत राजधानी की कई मुख्य सड़कें बहुत हद तक अतिक्रमणमुक्त हुई हैं. लेकिन सर्विस लेन में अब भी अतिक्रमण बना है. दरोगा राय पथ स्थित सर्विस लेन में अब भी गैराज खुले हैं और उनके सामने की सड़क बनने को आयी गाड़ियों से भरी रहती हैं.
थोड़ा आगे बालू-गिट्टी ढोने वाले ट्रैक्टर स्थायी रूप से लगे रहते हैं. आगे कोने पर बसें खड़ी रहती हैं. इन सबकी वजह से लोग चाह कर भी सर्विस लेन का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. वीरचंद पटेल पथ में भी परिवहन निगम के कार्यालय के पास सर्विस लेन में स्थायी रूप से कुछ बसें लंबे समय से खड़ी हैं. इसके कारण सर्विस लेन के इस्तेमाल में परेशानी होती है.

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