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नामांकन तो बढ़ा, फिर भी सीटें रह गयीं खाली
पटना : शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम-2009 के तहत जिले में नामांकन तो हुए हैं, पिछले वर्षों की तुलना में नामांकन का प्रतिशत भी बढ़ा है, लेकिन अब भी सीटें खाली रह गयी हैं. इसे लेकर विभागीय पदाधिकारी विचार-विमर्श करने में जुटे हैं. पिछले वर्षों के आंकड़ों को देखा जाये, तो इस वर्ष सबसे अधिक […]
पटना : शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम-2009 के तहत जिले में नामांकन तो हुए हैं, पिछले वर्षों की तुलना में नामांकन का प्रतिशत भी बढ़ा है, लेकिन अब भी सीटें खाली रह गयी हैं. इसे लेकर विभागीय पदाधिकारी विचार-विमर्श करने में जुटे हैं.
पिछले वर्षों के आंकड़ों को देखा जाये, तो इस वर्ष सबसे अधिक नामांकन हुए हैं. डीपीओ-एसएसए कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न प्रखंडों में स्थित सीबीएसई व सीआईएससीई से संबद्ध स्कूलों में इस बार करीब 2000 नामांकन हुए हैं, जो पिछले वर्षों की तुलना में अधिक हैं. हालांकि आरटीई के तहत मान्यता प्राप्त 371 विद्यालयों में सीटों की संख्या 3507 है. इस तरह करीब 1500 सीटें खाली रह गयी हैं.
15 हजार से अधिक आवेदन : जिले के विभिन्न प्रखंडों में स्थित स्कूलों में नामांकन के लिए कुल 15 हजार 157 आवेदन आये थे. बावजूद लॉटरी के माध्यम से घोषित प्रथम सूची के आधार पर करीब 900 नामांकन ही हुए. उसके बाद पुन: लॉटरी निकाली गयी. जानकारी के अनुसार कई स्कूलों द्वारा नामांकन में आनाकानी की जा रही है. वहीं कई अभिभावकों ने घर से स्कूल की दूरी अधिक होने के कारण अपने बच्चों का नामांकन नहीं कराया. स्कूलों की आनाकानी व नकारात्मक रवैये के कारण नामांकन प्रभावित हुआ है.
पीएमसीएच में 13 कमियों से खत्म हो गयी डीटीसीडी की पढ़ाई
1965 से होती थी पढ़ाई, बंद होने से विशेषज्ञ डॉक्टरों की हो रही है कमी
क्या कहते हैं अधिकारी
2016 तक डीटीसीडी की पढ़ाई होती थी. लेकिन, प्रोफेसर,डॉक्टरों व मशीन की कमी के कारण एमसीआई ने पढ़ाई पर रोक लगा दी है. पूरे बिहार में सिर्फ पीएमसीएच में डीटीसीडी में पढ़ाई होती थी. मशीन व डॉक्टरों की संख्या पूरी होने व एमसीआई से रोक हटने पर पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद है.
डॉ अशोक शंकर सिंह, विभागाध्यक्ष, पल्मोनरी मेडिसिन, पीएमसीएच
होमियोपैथ िचकित्सा संस्थान में खोला जायेगा िवशेष िक्लनिक
स्थानाभाव से भी जूझ रहा संस्थान
अमिताभ श्रीवास्तव
पटना सिटी : जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों में मधुमेह, हाईपर टेंशन, मोटापा, जोड़ों का दर्द, थॉइराइड, सांस लेने में दिक्कत, नींद नहीं आने, डिप्रेशन व कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज अब होमियोपैथ में होगा. इसके लिए श्री गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल परिसर में संचालित केंद्रीय होमियोपैथी अनुसंधान परिषद नयी दिल्ली की चिकित्सा सत्यापन इकाई में विशेष क्लिनिक खोला जा रहा है. संस्थान के प्रभारी चिकित्सक डॉ कुमार केशव अविनाश बताते हैं कि संस्थान में इसके लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से एक कमरा भी मुहैया कराया गया है. प्रभारी चिकित्सक ने बताया कि यह स्पेशल क्लिनिक सप्ताह में तीन दिन संचालित होगी.
इसमें मरीजों को जो दवाओं का डोज एलोपैथ में इस्तेमाल कर रहे थे, उस दवा का डोज को नियंत्रित कर कम करने के लिए एक एलोपैथ चिकित्सक को भी तैनात किया जायेगा. जो उपचार की पद्वीति में दवाओं के डोज पर निगरानी रखेंगे. प्रभारी चिकित्सक की मानें तो विभाग से मंजूरी मिलने के बाद यह क्लिनिक इसी माह के अंतिम सप्ताह से आरंभ हो सकता है. प्रभारी ने बताया कि बिहार में एक मात्र संस्थान है. जहां पर चिकित्सक मरीजों की स्वास्थ्य जांच करने व दवा देने का काम किया जाता है.
इसी के तहत दस नयी दवाओं की मंजूरी भी विभाग की ओर से प्रदान की गयी है. इसका सत्यापन कार्य के बाद दवा मरीजों को अक्तूबर से मिलने की उम्मीद है. जबकि अलग-अलग बीमारी के लिए यहां पर परिषद से उपलब्ध कराये गये 16 तरह की दवाएं हैं. जो मरीजों को मुहैया करायी जाती है.
संस्थान को है स्थानाभाव
श्री गुरु गोविंद सिंह अस्पताल भवन के द्वितीय तल्ले पर संचालित संस्थान को स्थानाभाव की भी कमी झेलनी पड़ती है. महज पांच कमरों में संचालित केंद्र में प्रभारी कक्ष, तीन चिकित्सक का कक्ष, ओपीडी, पंजीयन कक्ष, प्रयोगशाला, भंडार कक्ष, औषधालय व कार्यालय संचालित होता है. इसके लिए कम से कम 11 कमरा चाहिए. संस्थान के प्रभारी ने बताया कि प्रधान सचिव से क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान के तौर पर संस्थान को विकसित करने के लिए एक एकड़ जमीन की मांग की गयी है.
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