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पटना : 40 साल में भी फैसला नहीं, 100 साल का हुआ अभियुक्त

अनुज शर्मा/नागमणि त्रिपाठी पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड इंजीनियर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला पटना : बिहार में भ्रष्टाचार का एक मामला ऐसा भी है, जिसमें अभियुक्त पीडब्ल्यूडी का एक इंजीनियर है. उम्र 100 साल के करीब है. मामले की सुनवाई 40 साल से विशेष अदालत में चल रही है. उम्र अधिक होने के […]

अनुज शर्मा/नागमणि त्रिपाठी
पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड इंजीनियर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला
पटना : बिहार में भ्रष्टाचार का एक मामला ऐसा भी है, जिसमें अभियुक्त पीडब्ल्यूडी का एक इंजीनियर है. उम्र 100 साल के करीब है. मामले की सुनवाई 40 साल से विशेष अदालत में चल रही है. उम्र अधिक होने के कारण अभियुक्त सुनवाई पर नहीं आ रहा है. आय से अधिक संपत्ति के इस मामले के जल्द निस्तारण के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश दे चुके हैं.
हरिद्वार पांडेय लोक निर्माण विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्ति हुए थे. वह एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद से रिटायर्ड हुए थे. सर्विस के दौरान पांडेय ने भ्रष्टाचार से लाखों की कमाई की थी. विजिलेंस ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला दर्ज किया था.
1978 से 1983 तक केस सीजेएम कोर्ट में रहा. अक्तूबर, 1983 में विशेष न्यायालय निगरानी, पटना में इसकी सुनवाई शुरू हुई. पुलिस ने जांच में कोई सबूत नहीं पाया. कोर्ट ने फटकार लगाते हुए दोबारा जांच का आदेश दिया. इसके बाद तारीख पर तारीख का ऐसा सिलसिला चला कि खत्म ही नहीं हो रहा है. अभियोजन पक्ष ने बताया कि पांडेय को करीब एक साल से कोर्ट में नहीं देखा गया है. बताया जाता है कि वह अदालत आने में असमर्थ हैं. हालांकि, कोर्ट ने उनका बेल बांड कैंसिल कर दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 20 अगस्त, 2018 को है.
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी मामले के जल्द निस्तारण के लिए दे चुके हैं निर्देश
एक साल से कोर्ट में नहीं आ रहे हैं
प्रभारी लोक अभियोजक सह विशेष लोग अभियोजक निगरानी विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि हरिद्वार पांडेय के मामले में वह अंतिम बहस करके लिखित बहस भी जमा कर चुके हैं. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना में कोर्ट ने हरिद्वार पांडेय को जेल भी भेजा था. पांडेय करीब एक साल से कोर्ट में सुनवाई में नहीं आ रहे हैं.
भ्रष्टाचार से करोड़पति बने कर्मियों की सूची लंबी, पर सजा की गति धीमी
राज्य में सरकारी कुर्सी मिलने के बाद काली कमाई कर करोड़पति बनने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची जितनी लंबी है, जबकि उसकी तुलना में सजा पाने वालों की लिस्ट उतनी ही छोटी है.
भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए राज्य में आठ विशेष कोर्ट हैं. इनमें बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं. आर्थिक अपराध इकाई , विजिलेंस, ईडी, सीबीआई आदि सरकारी जांच एजेंसियां आय से अधिक कई मामलों में कार्रवाई कर चुकी हैं. विजिलेंस आये दिन रिश्वत के साथ सरकारी कर्मिकों को ट्रैप कर रही है. लेकिन मुकदमा चलाने की इजाजत और ट्रायल में सालों बीत रहे हैं.
2100 मामले लंबित, पिछले तीन माह में 23 का निस्तारण
विशेष अदालतों में हजारों मुकदमे लंबित हैं. भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई के लिए गठित कोर्ट में आय से अधिक संपत्ति, गबन, रिश्वतखोरी आदि के करीब 2100 मामले लंबित हैं. यह आंकड़ा 30 जून, 2018 तक का है. वादों के निस्तारण की बात करें तो एक अप्रैल, 2018 से 30 जून 2018 तक 23 मामलों का निस्तारण हुआ.

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