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पटना : रोक बेअसर, गंगा की गोद में बन रहे अपार्टमेंट, चुप्पी साधे हुए हैं जिम्मेदार
पटना : गंगा की गोद में अवैध निर्माण की शृंखला खड़ी की जा रही है. गंगा प्रोटेक्शन दीवार को पार कर बिल्कुल गंगा की गोद में अब भी सैकड़ों छोटे-बड़े निर्माण किये गये हैं. दीघा से लेकर बांस घाट व उसके आगे गांधी मैदान की तरफ लगभग 50 बड़े अपार्टमेंट खड़ा कर दिये गये हैं. […]
पटना : गंगा की गोद में अवैध निर्माण की शृंखला खड़ी की जा रही है. गंगा प्रोटेक्शन दीवार को पार कर बिल्कुल गंगा की गोद में अब भी सैकड़ों छोटे-बड़े निर्माण किये गये हैं. दीघा से लेकर बांस घाट व उसके आगे गांधी मैदान की तरफ लगभग 50 बड़े अपार्टमेंट खड़ा कर दिये गये हैं.
इसके अलावा लगभग एक दर्जन ऐसे अपार्टमेंट हैं, जिनका निर्माण आ भी चल रहा है. इस विवाद में सबसे बड़ी बात यह है कि बना बनाया अपार्टमेंट जिनमें लोग रह रहे हैं. उसे कोर्ट से तोड़ने का फैसला आ चुका है. अब ट्रिब्यूनल में मामला वर्षों से चल रहा है और लंबित मामले का फायदा उठा कर लोग वर्षों से रह रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ जिन निर्माण पर कोर्ट से तीन-चार साल पहले रोक लगायी गयी थी, वो अब लगभग पूरे हो चुके हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि गंगा से लगातार छेड़छाड़ की जा रही है. जमीन कब्जा करने का खेल चल रहा है और प्रशासन फाइलों का खेल खेल रहा है.
इन निर्माणों पर है निगरानी का मामला
राजापुर पुल, मैनपुरा से लेकर अशोक राजपथ तक 30 अपार्टमेंट ऐसे हैं, जिन पर नगर निगम का निगरानीवाद चल रहा है. यानी ये अवैध रूप से बने हैं और नगर निगम की ओर से इन पर रोक है. कई निर्माण पर 10 साल से अधिक समय बीतने के बावजूद अभी तक कोई फैसला कोर्ट से नहीं आया है. मैनपुरा के पास गंगा तट पर इंद्रप्रस्थ कंस्ट्रक्शन (जी प्लस 10), ब्रजनंदन अपार्टमेंट, दुर्गा अपार्टमेंट से लेकर मैरिन ड्राइव अपार्टमेंट पर नगर निगम के निगरानीवाद से लेकर एनजीटी का मामला भी चल रहा है.
निगम ने खुद दी थी अवैध निर्माण की रिपोर्ट
वर्ष 2016 में गंगा का पानी जब प्रोटेक्शन वॉल पार कर शहर में आ गया था, तो नगर विकास व आवास विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर नगर आयुक्त ने गंगा की गोद में बने अपार्टमेंट की जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम बनायी और 15 दिनों में अपनी जांच रिपोर्ट तैयार की थी.
निगम ने विभाग को 31 अक्तूबर, 2016 को अपनी जांच रिपोर्ट दी थी. निगम की रिपोर्ट में 30 भवनों को अवैध निर्माण का मामला बताया गया था. वहीं, 50 नये भवनों को अवैध बता कर कार्रवाई के लिए विभाग ने निर्देश मांगा गया था.
हम लोग अपने जन्म से ही यहां रह रहे हैं. हर बार बारिश व बाढ़ का पानी परेशानी का कारण बनता है. अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी.
—जितेंद्र कुमार, दीघा
भले ही कई लोगों ने अतिक्रमण किया है. लेकिन, अधिकतर लोगों के पास अपनी जमीन है. स्थायी विस्थापन योजना पर काम करना चाहिए.
—बबलू कुमार, दीघा
3 गंगा के इस पार कई गांव हैं, जो हर बार बारिश के समय जलजमाव की समस्या से ग्रसित होते हैं. इसका स्थायी निदान करना चाहिए.
—रंजीत, कुर्जी
वर्षों से रहते हैं 50 हजार लोग
गंगा की पेट में एक तरफ अवैध निर्माण का मामला है. वहीं, दूसरी तरफ वर्षों से रह रहे लगभग 50 हजार लोगों का भी मामला है जिनके पास उनकी रैयती जमीन है. वो एक गांव में रहते हैं. जो हर बार गंगा की चपेट में अा जाते हैं. बाढ़ का पानी घर में आ जाता है. लेकिन, सरकार इनके विस्थापन के लिए किसी योजना पर काम नहीं कर रही है. हर बार उनको उनके हाल में छोड़ दिया जाता है. कुर्जी, मैनपुरा, दीघा में लगभग दस हजार ऐसे कच्चे पक्के निर्माण हैं.
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