पटना : खादी के विकास के लिए राज्य सरकार नयी नीति बनायेगी. इससे संबंधित प्रारूप जल्द ही कैबिनेट में पेश किया जायेगा. इस नीति में बुनकरों को ब्याज रहित ऋण, अनुदान, उनका बीमा कराने आदि का प्रावधान रहेगा. साथ ही इसके तहत जीविका को भी जोड़ा जायेगा. स्वीकृति प्राप्त होने पर कार्यशील पूंजी, कच्चा माल और मार्केटिंग में खादी से जुड़ी संस्थाअों को बहुत सहयोग मिलेगा. खादी बोर्ड के सीईओ, कंपनी के प्रतिनिधियों और खादी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक में भी नयी खादी नीति बनाने पर सहमति बनी है.
उद्योग विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री खादी के विकास के लिए गंभीर हैं. वे अपने वक्तव्य में भी कह चुके हैं कि खादी के विकास के लिए पैसे की कमी नहीं होगी. खादी के विकास के लिए सलाहकारों की सेवा ली जा रही है. इस काम का जिम्मा गुरुग्राम की ‘ग्रैंड थार्टन इंडिया’ नामक कंपनी को सौंपा गया है. इसके साथ ही बिहार में बनने वाले खादी वस्त्र को दो बड़े खरीदार मिल गये हैं. देश की दो बड़ी कंपनियां रेमंड्स और अरविंद मिल्स बिहार की खादी खरीदेंगे. वहीं खादी का लोगो तैयार हो गया है और इसे बिहार में बन रहे खादी वस्त्रों पर लगाने के लिए तैयार किया गया है.
जीविका के तहत होगा खादी समितियों का गठन
विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस नीति के तहत जीविका के तहत नयी खादी समितियों का गठन किया जायेगा. जीविका समूहों को सूत कातने का प्रशिक्षण दिया जायेगा. इस सूत को बाद में बुनकरों को बेचा जायेगा. विभाग के मुताबिक इससे जीविका समूहों को कमाई का अतिरिक्त मौका मिलेगा. इस नीति के तहत बुनकरों को सामाजिक और आर्थिक योजनाओं से भी जोड़ा जायेगा. इसके तहत उन्हें अटल बीमा योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना से जोड़ा जायेगा. इन योजनाओं के प्रीमियम का भी भुगतान भी राज्य सरकार करेगी.
बुनकरों की दैनिक मजदूरी बढ़ाने की मांग
रेशम बुनकर खादी ग्रामोद्योग संघ के सचिव अलीम अंसारी ने मांग की है कि बुनकरों और कत्तिनों की न्यूनतम मजूदरी 350 रुपये प्रतिदिन मिले. इसके लिए खादी नीति में प्रावधान किया जाये. सरकारी अनुग्रह की राशि सीधे बुनकरों और कत्तिनों को दी जाये. इस पर खादी के सीईओ ने सहमति जतायी.