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पटना : अंगीभूत कॉलेजकर्मियों का होगा समायोजन, मिलेगा वेतन लाभ भी
20 वर्षों से चल रही लड़ाई में पटना हाईकोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला पटना : वर्ष 1986 में राज्य सरकार द्वारा करीब 40 एफिलिएटेड कॉलेजों को कॉन्स्टिचुएंट (अंगीभूत ) कॉलेज में तब्दील किये जाने के बाद समायोजित हुए शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों की 20 वर्ष से चल रही लड़ाई को पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को […]
20 वर्षों से चल रही लड़ाई में पटना हाईकोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला
पटना : वर्ष 1986 में राज्य सरकार द्वारा करीब 40 एफिलिएटेड कॉलेजों को कॉन्स्टिचुएंट (अंगीभूत ) कॉलेज में तब्दील किये जाने के बाद समायोजित हुए शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों की 20 वर्ष से चल रही लड़ाई को पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को विराम दे दिया. एक महत्वपूर्ण फैसले में कोर्ट ने राज्य के विश्वविद्यालयों को उनके सैकड़ों शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों को बिहार सरकार के परिपत्र के आलोक में समायोजित करने का निर्देश दिया है .
न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने करीब एक सौ रिट याचिकाओं का निर्णय एक साथ सुनाया. साथ ही दो सौ से अधिक रिट याचिकाकर्ताओं का समायोजन करने और उनका फलाफल वेतन आदि सभी तरह का लाभ देने का निर्देश सभी संबंधित विश्वविद्यालयों को दिया है. ये सभी रिट याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में हाईकोर्ट आये थे. इन सभी याचिकाकर्ताओं के समायोजन के दावे को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित न्यायमूर्ति एसबी सिन्हा जांच आयोग द्वारा खारिज कर दिया गया था.
इसके बाद इन सभी कर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें अधिकांश का निष्पादन बुधवार को न्यायमूर्ति डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ से हो गया. तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा चार परिपत्र 38-सी , 181-सी , 36-सी और 25-सी 1988 से 1990 के बीच निर्गत किये गये थे. इन परिपत्रों के तहत उक्त 40 अंगीभूत कॉलेजों के शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों के स्वीकृत पद और उसमें समायोजित होने वाले अभ्यर्थियों की पहचान कर उनकी सूची निकाली गयी थी. बाद में उन परिपत्रों को पटना हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक वैध ठहराया गया था.
पटना : राज्य के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज यदि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित फीस से ज्यादा वसूली करेंगे तो उन्हें यह पैसा बाद में छात्रों को लौटाना होगा. न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में फीस निर्धारण के लिए दायर रिट याचिका पर बुधवार को आंशिक सुनवाई की.
अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी हाल में कोई भी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज निर्धारित किये गये फीस से ज्यादा नहीं लेगा.
अदालत ने राज्य सरकार द्वारा फीस निर्धारण के बारे में अब तक अधिसूचना जारी नहीं किये जाने पर भी नाराजगी जतायी. अदालत को याचिकाकर्ता अंकित राज की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार ने अब तक फीस निर्धारण के बारे में अधिसूचना जारी नहीं की गयी है. नतीजन प्राइवेट मेडिकल कॉलेज छात्रों से ज्यादा फीस ले रहे हैं.
वहीं सरकारी वकील का कहना था कि विभाग के प्रधान सचिव के राज्य से बाहर रहने के कारण अधिसूचना जारी नहीं की जा सकी है. उन्होंने अदालत को बताया कि बहुत जल्द अधिसूचना जारी कर दी जायेगी.
अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुये कहा कि ज्यादा फीस लिए जाने पर अधिक ली गयी राशि अधिसूचना के बाद लौटानी होगी. अदालत ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को कहा कि मेडिकल कॉलेज में नामांकन लेने वाले छात्रों के संबंध में निर्धारित किये गये फीस की अधिसूचना जारी कर शुक्रवार को शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में इसकी जानकारी दी जाये.
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