पटना: राज्य में लगातार भारी वाहनों की संख्या बढ़ रही, किंतु उतनी संख्या में चालक नहीं बढ़ रहे हैं. यहां के भारी वाहनों को पंजाब, हरियाणा, यूपी व झारखंड ड्राइवर चला रहे हैं. पिछले छह वर्षो में बिहार 77, 493 ऐसे वाहन बढ़े हैं.
जबकि, इस दौरान 58 हजार ड्राइवरों ने ही लाइसेंस लिया. भारी वाहन ड्राइविंग चालक लाइसेंस बनाने के लिए आवेदकों को कम-से-कम आठवीं कक्षा पास होना अनिवार्य कर दिया गया है. इससे लाइसेंस बनाने की गति सुस्त पड़ गयी है. अब-तक निरक्षरों के भी लाइसेंस बन जाते थे. परिवहन विभाग ने दूसरे राज्यों के मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों के प्रशिक्षण प्रमाणपत्रों के आधार पर हेवी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की सुविधा अभी तक बरकरार रखी है, किंतु इसमें भी विभाग ने पेंच डाल दिया है.
प्रमाणपत्र की पुष्टि के बिना विभाग हेवी ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बना रहा है. दूसरे राज्यों से पुष्टि कराने में विभाग को महीनों लग जाते हैं. सूबे में मात्र नौ ही मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल हैं. इन स्कूलों में भी ड्राइविंग प्रशिक्षण तीन माह से एक वर्ष के बीच दिया जा रहा. औरंगाबाद में सरकारी मोटर ट्रेनिंग स्कूल खोलने की घोषणा, पर अमल नहीं हुआ.