पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के मंत्री का दावा
पटना : प्रदेश के मछुआरा समाज को 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले अादिवासी श्रेणी में शामिल किया जा सकता है. इसकी प्रक्रिया चल रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देशन में राज्य सरकार ने प्रदेश की 10 जातियों को आदिवासी श्रेणी (अनुसूचित जनजाति) का दर्जा देने की संस्तुति के लिए केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है. यह दावा पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के मंत्री पशुपति कुमार पारस ने किया है. वे मंगलवार को अधिवेशन भवन में आयोजित मछुआरा दिवस समारोह सह सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.
इस दौरान मछुआरा समुदाय के लोगों ने मंत्री पशुपति कुमार पारस के सामने विभिन्न मांगें रखीं. इस पर उन्होंने कहा कि अपनी समस्याएं लिखकर दें, उनका यथासंभव समाधान करवाया जायेगा. उन्होंने कहा कि मछुआरों को आदिवासी श्रेणी का दर्जा मिलते ही उन्हें मछलीपालन के लिए विशेष सुविधा मिलने लगेगी. उन्हें 90 फीसदी तक सरकारी अनुदान का लाभ मिल सकेगा.
उन्होंने कहा कि समय-समय पर मछुआरों का प्रशिक्षण कराया जा रहा है. इससे प्रदेश में मछलियों का उत्पादन बढ़ेगा और दो साल बाद इस क्षेत्र में बिहार आत्मनिर्भर हो जायेगा और दूसरे राज्यों में यहां से मछलियां जाने लगेंगी. इससे मछुआरों की आमदनी बढ़ेगी.
मछुआरों की समस्याओं का मुद्दा उठाया
सेमिनार के दौरान एमएलए विद्यासागर निषाद ने कहा कि प्रदेश की जनसंख्या में मछुआरा समाज की भागीदारी करीब 10-11 फीसदी है.
उन्होंने मछली पालकों की समस्याओं को उठाया और कहा कि विभाग से इन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा. इस दौरान पिछड़ा वर्ग व अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री ब्रज किशोर बिन्द ने भी मछुआरों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया और उनके समाधान की मांग की.
बंदोबस्ती पांच साल के लिए : सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह ने कहा कि जलकरों की बंदोबस्ती अब पांच साल के लिए कर दी गयी है. खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मंत्री मदन सहनी ने कई मंदिरों द्वारा तालाबों पर कब्जा करने का मुद्दा उठाया.
बिहार नीली क्रांति की ओर अग्रसर पुस्तक का विमोचन भी किया गया. चार मृतक मछुआरों के आश्रितों को सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत दो-दो लाख रुपये का चेक दिया गया. मत्स्यपालन में उत्कृष्ट कार्य के लिए तीन लोगों को प्रशस्ति पत्र और शॉल देकर सम्मानित किया गया.