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माफियाओं को ही फिर क्यों जारी कर दिया लाइसेंस

दवा घोटाले में संलिप्त लोगों को लाइसेंस देने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब पटना : सूबे में हुए दवा घोटाले की जांच में घोटाले में संलिप्त मिले माफियाओं की दवा दुकानों का लाइसेंस रद्द हो जाने के बाद उनको फिर से लाइसेंस निर्गत किये जाने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जतायी है. अदालत ने स्वास्थ्य विभाग […]

दवा घोटाले में संलिप्त लोगों को लाइसेंस देने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
पटना : सूबे में हुए दवा घोटाले की जांच में घोटाले में संलिप्त मिले माफियाओं की दवा दुकानों का लाइसेंस रद्द हो जाने के बाद उनको फिर से लाइसेंस निर्गत किये जाने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जतायी है. अदालत ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि वे दो सप्ताह के भीतर यह बताएं कि कैसे इन माफियाओं को दवा दुकानों का लाइसेंस दोबारा दे दिया गया.
मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने विकास चन्द्र उर्फ गुड्डू बाबा द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
डीआईजी की जांच में आरोप पाये गये थे सही : सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि ऑपरेशन ड्रग माफिया के तहत राजधानी की कई दवा दुकानों में छापेमारी की गयी थी. इस छापेमारी में भारी मात्रा में अवैध दवा पायी गयी थी. छापेमारी के बाद दोषी पाये गये कई दवा दुकानों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था. अदालत को बताया गया कि विभाग के मंत्री द्वारा कुछ ही समय बाद उन सभी दुकानदारों का लाइसेंस बहाल कर दिया गया. वहीं सेंट्रल रेंज के डीआईजी ने अपनी जांच में ड्रग माफिया के खिलाफ आरोपों को सही पाया था.
पटना. बिहार की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को अमानवीय तरीके से रखे जाने पर पटना हाईकोर्ट ने नाराजगी जतायी है. साथ ही इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई के बाद इस मामले में राज्य सरकार से छह सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. अदालत ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू की. अदालत ने राज्य सरकार को कहा कि वह इस मामले में सही वस्तुस्थिति से अवगत कराये. गौरतलब है कि देश भर के 1382 जेलों में कैदियों को अमानवीय तरीके से क्षमता से अधिक संख्या में रखे जाने के विरुद्ध एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी थी. वहां याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश मदन बी लोकुर और न्यायाधीश दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने पिछले आठ मई को आदेश जारी करते हुए देश के सभी हाईकोर्ट को अपने यहां के जेलों की हालत पर हस्तक्षेप करने को कहा था.

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