सियासत l शराबबंदी मुहिम की यहां पहचान बन गये हैं नीतीश कुमार, जदयू ने पहले चरण की अपनी यात्रा कर ली पूरी
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शराबबंदी के अस्त्र से छत्तीसगढ़ में चुनावी जंग की तैयारी में जदयू
सियासत l शराबबंदी मुहिम की यहां पहचान बन गये हैं नीतीश कुमार, जदयू ने पहले चरण की अपनी यात्रा कर ली पूरी पटना : ‘जीत कर जाऊंगा तो सदन में आवाज उठाऊंगा और हार गया तो सड़क पर हल्ला बोलूंगा’. समाजवादी नेता डाॅ राम मनोहर लोहिया का यह नारा आज-कल छत्तीसगढ़ में जदयू का मूल […]
पटना : ‘जीत कर जाऊंगा तो सदन में आवाज उठाऊंगा और हार गया तो सड़क पर हल्ला बोलूंगा’. समाजवादी नेता डाॅ राम मनोहर लोहिया का यह नारा आज-कल छत्तीसगढ़ में जदयू का मूल मंत्र बन गया है़ छत्तीसगढ़ में जदयू बिहार की तर्ज पर पूर्ण शराबबंदी की मुहिम चला रहा है़ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां शराबबंदी मुहिम की पहचान बन गये हैं.
आदिवासी बहुल इस प्रदेश में जदयू ने पहले चरण की अपनी यात्रा पूरी कर ली है़ शराबबंदी, किसान और वनवासिसों की बुनियादी समस्याओं को लेकर जदयू प्रदेशवासिसों को गोलबंद कर रहा है़ छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है़ शराबबंदी के नाम पर यहां जदयू की सभाओं में भीड़ जुटने का दावा पार्टी नेता कर रहे हैं. यहां विधानसभा की 90 सीटें हैं. जदयू के मुजाबिक 27 जिलों में से 22 में जदयू ने अपना संगठन तैयार कर लिया है़ पार्टी ने यहां कुछ सीटों पर विधानसभा का चुनाव लड़ने का मन बनाया है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि हम अपने जनाधार वाले इलाके में ही प्रत्याशी उतारेंगे़ इसी महीने के तीसरे सप्ताह में पटना में छत्तीसगढ़ के जदयू नेताओं की बैठक होने वाली है़ इसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार मौजूद रहेंगे़ छत्तीसगढ़ इकाई उनसे प्रदेश दौरा करने का अनुरोध करेगी.
चुनाव में उम्मीदवार उतारेगी पार्टी
समाजवादियों की रही है कर्मभूमि
वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश से अलग हुए छत्तीसगढ़ में समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया का खासा असर रहा है़ 1967 में डॉ लोहिया ने नगरी छितावां के खेरेगांव में डेरा डाला था और जमीन आंदोलन खड़ा किया था़ बाद के दिनों में यहां पुरुषोत्तम लाल कौशिक, दरबार सिंह, जगरनाथ यादव, रघु ठाकुर, मदन तिवारी, सुखराम नागे जैसे समाजवादी नेताओं की पहचान बनी. पर, हाल के वर्षों में प्रदेश में समाजवाद की धारा कमजोर हुई. समाजवादी धारा की पुरानी विरासत को नये सिरे से खड़ा करने की कोशिश नीतीश कुमार की शराबबंदी मुहिम से की जा रही है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष मातामणि तिवारी बताते हैं कि शराबबंदी की बातें सुनने बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंच रही हैं.
शराबखोरी रोकने के लिए छत्तीसगढ़ की सरकार ने गुलाबी गैंग नाम की महिला संगठन को आगे किया है, पर गुलाबी गैंग की महिलाएं अब जदयू की ओर हैं. जदयू की समझ है कि आदिवासी बहुल इस प्रदेश में शराब के सबसे अधिक शिकार वनवासी ही हो रहे हैं. पार्टी की कोशिश जनांदोलन के सहारे बिहार की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में रमण सिंह सरकार को पूर्ण शराबबंदी के लिए मजबूर करने की है़
सामाजिक तानाबाना
सवा दो करोड़ की आबादी वाला छत्तीसगढ़ मूल रूप से आदिवासी बहुल प्रदेश है़ यहां के पठारी इलाकों मे आज भी वनवासिसों की तादाद अधिक है़ मैदानी व शहरी इलाके में साहु, कुर्मी, सतनामी और थोड़े बहुत सवर्ण समाज की उपस्थिति है़ आदिवासियों में गोंड की आबादी सबसे अधिक है़ अनुसूचित जाति को यहां सतनामी के तौर पर जाना जाता है़ मैदानी इलाकों में साहु बिरादरी का दबदबा है़ वहीं, कुर्मी जाति दूसरे नंबर पर है़ ठाकुर और ब्राह्मणों की भी संख्या है़
छत्तीसगढ़ में जदयू की बहुत संभावना है. नीतीश कुमार के नाम पर लोगों का समर्थन
मिल रहा है. बिहार की शराबबंदी का मुद्दा यहां चर्चा में है और जदयू को नयी ताकत दे रहा है. जदयू यहां ताकत में आयेगी तो पूर्ण शराबबंदी लागू होगी.
समाजवादी धारा के नेताओं ने यहां सामाजिक आंदोलन खड़ा किया. आज यहां के लोग नीतीश कुमार का इंतजार कर रहे हैं. शराबबंदी को लेकर वनवासी खास तौर पर महिलाएं जदयू की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही हैं. हम अपनी बात मजबूती से रख रहे हैं. लोग सुन भी रहे हैं.
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