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सात जिलों में बाल मजदूरों के लिए आवासीय विद्यालय, दी जायेगी बेसिक शिक्षा

पहले चरण में पटना सहित बांका, जमुई और गया में स्कूल खुलेंगे पटना : पटना सहित राज्य के सात जिलों में बाल श्रमिकों के लिए विशेष आवासीय विद्यालय जल्द खुलेंगे. पहले चरण में पटना सहित बांका, जमुई और गया में स्कूल खुलेंगे. साथ ही अन्य तीन जिलों नालंदा, सीतामढ़ी और नवादा में भी आवासीय विद्यालय […]

पहले चरण में पटना सहित बांका, जमुई और गया में स्कूल खुलेंगे
पटना : पटना सहित राज्य के सात जिलों में बाल श्रमिकों के लिए विशेष आवासीय विद्यालय जल्द खुलेंगे. पहले चरण में पटना सहित बांका, जमुई और गया में स्कूल खुलेंगे. साथ ही अन्य तीन जिलों नालंदा, सीतामढ़ी और नवादा में भी आवासीय विद्यालय खुलेंगे. श्रम संसाधन विभाग ने आवासीय विद्यालय का खाका तैयार कर लिया है.
विद्यालय में बालश्रम से मुक्त कराये गये बच्चों का नामांकन होगा. उनकी पढ़ाई के साथ-साथ उनका कौशल विकास भी किया जायेगा. सारा खर्च राज्य सरकार उठायेगी. इस तरह के स्कूल स्थापित करने के पीछे उद्देश्य यह है कि जो बच्चे बालश्रम से मुक्त कराये गये हैं, वो फिर बालश्रम की तरफ न मुंड़ें.
राज्य में बड़ी संख्या में बच्चों से काम लिया जा रहा है. इतना ही नहीं बड़ी संख्या में यहां के बच्चे देश के दूसरे हिस्से में भी काम कर रहे हैं. श्रम विभाग समय-समय पर अभियान चलाकर या विभाग का धावा दल इनको चंगुल से मुक्त कराता भी है. अभी राज्य में इस तरह का एक भी सरकारी आवासीय विद्यालय नहीं है. श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा राज्य को बालश्रम से मुक्त कराने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रहे हैं. पहल चरे में नगर निकाय क्षेत्र को बालश्रम से मुक्त कराया जायेगा. इस दिशा में काम शुरू हो गया है. बालश्रम के खिलाफ लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है.
दी जायेगी बेसिक शिक्षा : 14 साल तक बच्चों को बेसिक शिक्षा दी जायेगी. अगर बच्चा पढ़ना चाहेगा तो उसे आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जायेगा. 18 साल की उम्र तक वे विभाग की निगरानी में रहेंगे. बिहार बोर्ड या ओपन विश्वविद्यालय से उन्हें डिग्री भी दिलायी जायेगी, ताकि उनकी पढ़ाई को मान्यता मिल सके. 14 साल के बाद जो बच्चे पढ़ाई के अलावा काम करना चाहेंगे उनका कौशल विकास किया जायेगा.
हर साल करीब हजार बच्चे कराये जाते हैं मुक्त
राज्य में कितनी संख्या में बाल श्रमिक हैं, इसका कोई प्रामाणिक आंकड़ा नहीं है. अनुमान के अनुसार हर साल करीब आठ सौ से हजार बाल श्रमिक मुक्त कराये जाते हैं. यह भी बात सामने आती रही है कि बालश्रम से मुक्त कराये गये बच्चे फिर से काम में लग जाते हैं. इसका एक बड़ा कारण उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होना है.
बालश्रम से मुक्त कराये गये बच्चे पुन: उस ओर न मुड़ें, इसके लिए विशेष आवासीय विद्यालय खोले जायेंगे. अभी चार जिलों में इसे खोलने की योजना है. यहां पढ़ाई के साथ-साथ उनका कौशल विकास भी किया जायेगा.
—दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, श्रम संसाधन विभाग

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