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बिहार : मसौढ़ी बस दुर्घटना के बाद दूल्हे के गांव में छाया मातम
मसौढ़ी : इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि जिस गांव में मंगल गीत गाकर दुल्हन लाने बरात भेजी गयी हो, वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ था. केवल रुदन और विलाप ही सुनाई दिया. गांव अब्दुल्ला चक में मातम पसरा हुआ है. देर रात कुछ घायल बराती अपने गांव पहुंचे. उन्होंने इस दुखद घटना की सूचना […]
मसौढ़ी : इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि जिस गांव में मंगल गीत गाकर दुल्हन लाने बरात भेजी गयी हो, वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ था. केवल रुदन और विलाप ही सुनाई दिया. गांव अब्दुल्ला चक में मातम पसरा हुआ है. देर रात कुछ घायल बराती अपने गांव पहुंचे. उन्होंने इस दुखद घटना की सूचना जैसे ही दी, जयकुमार केवट के घर कोहराम मच गया.
घर की औरतों की चीख-पुकार आहिस्ता-आहिस्ता रुदन में तब्दील हो गयी. बच्चों के बिलखने के कारण माहौल और भी गमगीन हो गया. गांव में मौजूद सभी परिजन अपने-अपने परिजनों को देखने पटना के लिए रवाना हो गये. दूल्हे तूफान के घर एकदम सन्नाटा पसरा हुआ है. दरअसल घटना स्थल पर घायल हुए अंशु केवट, कृष्णा केवट, जयकुमार केवट और मोहन चौधरी एनएमसीएच से इलाज करा कर सीधे गांव जा पहुंचे हैं.
गांव के ही शंकर सहनी ने बताया कि गांव से जब बरात रवाना हो रही थी, उसी समय ड्राइवर शराब के नशे में था. मना करने पर भी वह नहीं माना. किसी के घर में चूल्हे नहीं जले. अधिकतर लोग अपने घरों के सामने बैठे दिखाई दिये. गांव के लोगों ने ही बताया कि दूल्हा कार से सीधे लड़की के घर पहुंच गया. खबर लिखे जाने तक वह अपने गांव नहीं पहुंचा है. जानकारी के मुताबिक बस में करीब सत्तर लोग सवार थे. इनमें तीस बस के ऊपर बैठे थे. मृतकों एवं घायलों में अधिकतर बस के ऊपर ही बैठे थे.
– ओवरलोड बस को किसी ने नहीं रोका
बरात लेकर निकली बस में जितने लोग अंदर बैठे थे, लगभग उतने ही बस के ऊपर भी बैठे थे. बस कई रास्ते से होकर आगे बढ़ी. रास्ते में पुलिस थाने और बूथ पड़े लेकिन किसी ने बस को रोका-टोका नहीं. लोग बस की छत पर बैठकर आगे बढ़ते रहे. अगर समय रहते ओवर लोड बस को रोका गया होता तो दुर्घटना नहीं होती. साफ जाहिर है कि जिले की परिवहन व्यवस्था बेहद लचर दिखाई दी.
– पिकअप वैन, ऑटो से पहुंचाया अस्पताल
नीचे खायी में फंसे लाेगों को निकालकर गांव वाले और पुलिस के लोगों ने जो भी साधन मिले उसमें बैठाकर घायलों को अस्पताल भेजना शुरू किया. इधर, एनएमसीएच अस्पताल में पूरी तैयारी कर ली गयी थी. इमरजेंसी में डॉक्टर और नर्स की टीम तैयार थी.
जैसे-जैसे घायल पहुंचे लोगों का इलाजा शुरू कर दिया गया. कुछ लोगाें को पीएमसीएच भी ले जाया गया. इधर, पूरा प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा था. एक तरफ इलाज चल रहा था, दूसरी तरफ अब्दुल्लाह चक गांव से लोग अस्पताल पहुंचने लगे. अपने परिवार के बुर्जुग और बच्चों को घायल अवस्था में देखकर छाती पीट रहे थे. अस्पताल में चीख-पुकार मची हुई थी. लोग अपने घायल लोगों का चेहरा देखना चाहते थे. वहीं अस्पताल कर्मी भीड़ को बाहर ही रोक रहे थे. देर रात तक इलाज और रोने-चीखने की प्रक्रिया चलती रही.
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