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बिहार : सूबे में जीरो बजट खेती को मिलेगा बढ़ावा, रासायनिक उर्वरकों का नहीं होगा उपयोग

पटना : सूबे में जीरो बजट खेती को बढ़ावा दिया जायेगा. कृषि विभाग इसको प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक कार्ययोजना बना रही है. अभी खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का बड़े पैमाने पर प्रयोग हो रहा है. इस कारण खेती की लागत बढ़ जाती है. अधिक खर्च के कारण कृषि लागत में लगातार वृृद्धि […]

पटना : सूबे में जीरो बजट खेती को बढ़ावा दिया जायेगा. कृषि विभाग इसको प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक कार्ययोजना बना रही है. अभी खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का बड़े पैमाने पर प्रयोग हो रहा है. इस कारण खेती की लागत बढ़ जाती है.
अधिक खर्च के कारण कृषि लागत में लगातार वृृद्धि हो रही है. जबकि, इस तुलना में किसानों को आर्थिक लाभ नहीं हो पा रहा है. सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लक्ष्य पर काम कर रही है. इसलिए सरकार जीरो बजट खेती को बढ़ावा देना चाहती है. इसके लिए कलस्टर खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. एक कलस्टर में 50 एकड़ रकवा रखा गया है.
सूबे के 21 जिलों में 529 कलस्टरों का निर्माण किया जा रहा है. एक कलस्टर योजना लगातार तीन वर्षों तक संचालित की जायेगी. इसके बाद इसकी समीक्षा होगी. इसके लिए लाभार्थी समूहों का गठन किया जा रहा है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा. खेती की लागत कम होगी, जिससे किसानों को अधिक लाभ होगा. देसी गोपालन को भी बढ़ावा मिलेगा.
घट रही है मिट्टी की उर्वरा शक्ति
रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग व कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग से मिट्टी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. साथ ही वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है. इनका प्रभाव फसलों के उत्पाद पर भी पड़ रहा है. जिससे मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.
अत्यधिक रसायनों के प्रयोग से मृृदा के सूक्ष्म जीव नष्ट हो जा रहे हैं. फलस्वरूप मृृदा की उर्वरा शक्ति और फसलों के उत्पादन में कमी हो रही है. इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. जैविक खेती के लिए जरूरी चीजें किसान अपने स्रोत से घर एवं खेत में ही तैयार कर सकेंगे.
इसके लिए सरकार द्वारा सहायता भी दी जायेगी. देसी गाय के गोबर, गोमूत्र व अन्य घरेलू सामग्रियों की सहायता से जैविक खाद, बीज उपचार के लिए बीजामृत, धनामृत आदि बनाये जा सकते हैं, जिसकी लागत बहुत ही कम आयेगी. जीरो बजट फार्मिंग से खेती की लागत में कमी आयेगी. किसानों की बाजार पर निर्भरता घटेगी और उनकी आय में वृद्धि भी होगी.

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