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एकेडमिक कैलेंडर पेश करे पटना विवि
निर्देश. चुनाव को रद्द कराने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई इसमें पांच पद सेंट्रल पैनल में होंगे, वहीं 28 काउंसेलिंग के पदों के लिए चुनाव होना है. इसके लिए विभिन्न राजनीतिक दलों की छात्र इकाई द्वारा नामांकन दाखिल कर प्रचार प्रसार काफी तेज कर दिया गया है. याचिकाकर्ता ने परीक्षा सत्र के दौरान विश्वविद्यालय […]
निर्देश. चुनाव को रद्द कराने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई
इसमें पांच पद सेंट्रल पैनल में होंगे, वहीं 28 काउंसेलिंग के पदों के लिए चुनाव होना है. इसके लिए विभिन्न राजनीतिक दलों की छात्र इकाई द्वारा नामांकन दाखिल कर प्रचार प्रसार काफी तेज कर दिया गया है. याचिकाकर्ता ने परीक्षा सत्र के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा चुनाव कराये जाने के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इसे रद्द कराने की मांग की है. याचिकाकर्ता का आरोप था कि परीक्षा संचालन के दौरान चुनाव कराये जाने से छात्रों के पठन-पाठन में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है.
साथ ही जो छात्र चुनाव लड़ना चाहते हैं वे परीक्षा के कारण चुनाव नहीं लड़ पा रहें है. अदालत को बताया गया कि उच्चतम न्यायालय ने भी अपने एक फैसले में कहा है कि प्रत्येक विश्वविद्यालय को छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए एकेडमिक सेशन शुरू होने के 6 से 8 सप्ताह के अंदर ही चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर देनी चाहिए. वहीं विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कुलपति ने चुनाव के कारण परीक्षा को स्थगित कर चुनाव के बाद की तिथि निर्धारित किया है, ताकि चुनाव के बाद विषयों की परीक्षा संचालित की जा सके.
पटना : पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ के चुनाव को लेकर जारी गहमागहमी के बीच उक्त चुनाव को रद्द कराने के लिए दायर याचिका पर पटना हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. अदालत ने पटना विश्वविद्यालय के कुलपति को कहा कि वे मंगलवार को अदालत में अपना एकेडमिक कैलेंडर प्रस्तुत करें. न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने छात्र नेता अमर आजाद एवं अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. गौरतलब है कि पटना विश्वविद्यालय में आगामी 17 फरवरी को छात्र संघ के 28 पदों का चुनाव होना है.
इसमें पांच पद सेंट्रल पैनल में होंगे, वहीं 28 काउंसेलिंग के पदों के लिए चुनाव होना है. इसके लिए विभिन्न राजनीतिक दलों की छात्र इकाई द्वारा नामांकन दाखिल कर प्रचार प्रसार काफी तेज कर दिया गया है. याचिकाकर्ता ने परीक्षा सत्र के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा चुनाव कराये जाने के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इसे रद्द कराने की मांग की है. याचिकाकर्ता का आरोप था कि परीक्षा संचालन के दौरान चुनाव कराये जाने से छात्रों के पठन-पाठन में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है.
साथ ही जो छात्र चुनाव लड़ना चाहते हैं वे परीक्षा के कारण चुनाव नहीं लड़ पा रहें है. अदालत को बताया गया कि उच्चतम न्यायालय ने भी अपने एक फैसले में कहा है कि प्रत्येक विश्वविद्यालय को छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए एकेडमिक सेशन शुरू होने के 6 से 8 सप्ताह के अंदर ही चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर देनी चाहिए. वहीं विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कुलपति ने चुनाव के कारण परीक्षा को स्थगित कर चुनाव के बाद की तिथि निर्धारित किया है, ताकि चुनाव के बाद विषयों की परीक्षा संचालित की जा सके.
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