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बिहार : जमीन नहीं मिलने के कारण 5 पनबिजली प्रोजेक्ट बंद 8 झारखंड को सुपुर्द, यहां पढ़ें कैबिनेट के अन्य प्रमुख फैसलों को

पटना : राज्य कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में बिहार राज्य जल विद्युत निगम के अंतर्गत चलने वाली तीन पनबिजली परियोजनाओं को बंद और दो को निरस्त करने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा इस निगम की झारखंड में मौजूद आठ परियोजनाओं को झारखंड सरकार को ही ‘एज इज वेयर इज (जैसा है, जहां […]

पटना : राज्य कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में बिहार राज्य जल विद्युत निगम के अंतर्गत चलने वाली तीन पनबिजली परियोजनाओं को बंद और दो को निरस्त करने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा इस निगम की झारखंड में मौजूद आठ परियोजनाओं को झारखंड सरकार को ही ‘एज इज वेयर इज (जैसा है, जहां है)’ के सिद्धांत पर ट्रांसफर करने का भी फैसला किया गया है. मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की बैठक के बाद कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि इसमें 19 प्रस्तावों पर मुहर लगी है.
इसके तहत बिहार राज्य जल विद्युत निगम की निर्माणाधीन 12 वैसी परियोजनाएंजहां 50% से अधिक कार्य पूरा हो चुका है या उत्पादन लागत पांच रुपये प्रति यूनिट से कम है, की लागत को फिर से संशोधित करते हुए इनके लिए 143 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं. इसके अलावा तकनीकी या व्यावसायिक रूप से अक्षम या अस्वीकृत जिन तीन परियोजनाओं को बंद करने का फैसला लिया गया है, उनमें पश्चिम चंपारण स्थित कटैया, निर्मली (सुपौल) और बथनाहा (अररिया) शामिल हैं. जिन दो परियोजनाओं को निरस्त करने का फैसला लिया गया है, इसमें धोवा (पश्चिम चंपारण) और अरार घाट (सुपौल) शामिल हैं.
राज्य की जिन पनबिजली परियोजनाओं को बंद या निरस्त किया गया है, उनमें जमीन नहीं मिलना सबसे मुख्य कारण है. इसके अलावा झारखंड में चल रही राज्य विद्युत निगम की आठ परियोजनाओं को उनकी मौजूदा हालत में ही झारखंड को ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया है. इनमें चांडिल (सरायकेला), तेनुघाट (बोकारो), उत्तर कोयल (पलामू), जालिम घाट (गुमला), नंदी घाघ (लोहरदग्गा), संदनी (गुमला), धाधरी (गुमला) और नेतरहाट शामिल हैं. इन परियोजनाओं को अब झारखंड सरकार ही अपने स्तर पर विकसित कर पूर्ण करेगी. इसमें बिहार सरकार की कोई दखलअंदाजी नहीं होगी.
कैबिनेट के अन्य प्रमुख फैसले
– बिहार वैट अधिनियम, 2005 के अधीन सामान के परिवहन के लिए इलेक्ट्रॉनिक ई-वे बिल ‘सुविधा’ समाप्त.इसके स्थान पर अब नेशनल ई-वे बिल लागू. यह बिल पेट्रोल, डीजल समेत जीएसटी के दायरे से बाहर के अन्य सभी उत्पादों पर लागू होगा.
– चार सरकारी डॉक्टर कार्य में लापरवाही और बिना किसी सूचना के पांच वर्ष से अधिक समय से गायब रहने के आरोप में सेवा से बर्खास्त. इनमें भागलपुर के नवगछिया स्थित अनुमंडलीय अस्पताल की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ पुष्पा शाही, लखीसराय के प्रतापपुर, हलसी स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कृष्ण मुरारी पांडेय, रोहतास के डिहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बालमुकुंद लाल और आरा सदर अस्पताल के तत्कालीन उपाधीक्षक डॉ जैनेन्द्र कुमार सिन्हा शामिल हैं.
एससी-एसटी वर्ग के लिए बनेंगे सामुदायिक भवन
राज्य में एससी-एसटी समुदाय के लोगों के लिए उनके गांव या टोलों में सामुदायिक भवन सह वर्क शेड का निर्माण कार्य कराया जायेगा. इसके लिए महादलित विकास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य स्कीम से बिहार महादलित विकास मिशन को अनुदान के रूप में सहायक अनुदान के रूप में 105 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं. यह योजना वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2018-19 तक चालू रहने की स्वीकृति दी गयी है.
अन्य अहम फैसले :-
– धान अधिप्राप्ति अभियान जुलाई, 2018 तक चलेगा. इसके लिए बिहार राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम को क्रियाशील पूंजी के रूप में बैंकों से ढाई हजार करोड़ रुपये ऋण दिलाने के लिए सरकार गारंटी देने को तैयार हो गयी है.
– राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के तहत पीडीएस को कंप्यूटरकृत करने के लिए 42.98 करोड़ रुपये जारी
– एनएच- 30 के अंतर्गत मोहनिया-आरा (116.76 किमी) सड़क को केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को वापस करने का फैसला.
– पंचायत उपचुनाव- 2018 में ईवीएम के संचालन के लिए बैट्री की खरीद की अनुमति
ये परियोजनाएं बंद या निरस्त
कटैया (पश्चिम चंपारण)
निर्मली (सुपौल)
बथनाहा (अररिया)
धोवा (पश्चिम चंपारण)
अरार घाट (सुपौल)
ये झारखंड को सुपुर्द
चांडिल (सरायकेला) – तेनुघाट (बोकारो) – उत्तर कोयल (पलामू) – जालिम घाट (गुमला) – नंदी घाघ (लोहरदग्गा) – संदनी (गुमला) – धाधरी (गुमला) – नेतरहाट
सैरातों की बंदोबस्ती
सीओ से डीएम तक के बढ़े अधिकार: खाली बड़ी सरकारी जमीन या सैरातों की बंदोबस्ती के लिए सीओ से लेकर डीएम तक के अधिकार को बढ़ा दिया गया है. अब सीओ को पांच के स्थान पर 20 हजार मूल्य के सैरातों की बंदोबस्ती का अधिकार मिल गया है.
इसी तरह डीसीएलआर को 10 हजार से बढ़ाकर 50 हजार तक, एसडीओ को एक लाख तक और पहले एडीएम के पास सैरातों की बंदोबस्ती का कोई अधिकार नहीं था, उन्हें दो लाख रुपये तक की सरकारी जमीन की बंदोबस्ती करने का अधिकार दिया गया है. वहीं, डीएम के अधिकार को दो लाख से बढ़ाकर पांच लाख और आयुक्त या कमिश्नर के अधिकार को पांच लाख से बढ़ाकर 10 लाख कर दिया गया है.
अब 10 लाख से ज्यादा मूल्य की सैरातों की बंदोबस्ती का अधिकार सीधे राज्य सरकार को होगा और ये प्रस्ताव मुख्यालय में भेजे जायेंगे. पहले पांच लाख से ज्यादा वाले प्रस्ताव विभाग के पास आते थे. इन सैरात भूमि में खाली पड़ी सरकारी जमीन और पोखर, तालाब समेत अन्य तरह के जलकर भी आते हैं.
फुलवारीशरीफ
बनेगी हाई सिक्योरिटी जेल: राज्य में बेहद कुख्यात अपराधी, आतंकी, माओवादी और उच्च सुरक्षा में रखने जाने वाले कैदियों के लिए पटना के फुलवारीशरीफ में एक विशेष हाई सिक्योरिटी जेल बनेगी. कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगी है और इसके लिए 56.72 करोड़ रुपये भी जारी कर दिये गये हैं.
इसका निर्माण फुलवारीशरीफ में पहले से मौजूद शिविर मंडल कारा को तोड़कर होगा. सामान्य जेल की तुलना में यह कई मायने में काफी अलग होगा और इसमें सुरक्षा के उच्च मानकों का पालन किया जायेगा. इस जेल की किलेबंदी के लिए तीन दीवारों का घेरा होगा.
बाहरी दीवार की ऊंचाई 21 फुट और दूसरी दीवार 14 फुट से ज्यादा ऊंची होगी.
इसके बाद 10 फुट की दीवार होगी, जिस पर चार फुट का लोहे का ग्रिल भी लगा होगा. पूरे जेल की निगाहबानी के लिए उच्च क्षमता वाले सीसीटीवी कैमरे लगाये जायेंगे, जो रात में भी साफतौर पर देख सकेंगे. इनमें कैदियों के रहने के लिए जो सेल बनेंगे, उनका लॉकिंग सिस्टम बेहद आधुनिक और मजबूत होगा. इसी में टॉयलेट समेत अन्य सुविधाएं मौजूद होंगी. बाहर से ही कैदियों को खाना देने की भी सुविधा रहेगी, ताकि इन्हें बार-बार बाहर निकालने और सुरक्षित अंदर ले जाने की जहमत नहीं उठानी पड़ी. राशि जारी होने के बाद इसका निर्माण कार्य जल्द ही शुरू हो जायेगा.
राज्य में बेहद कुख्यात अपराधी, आतंकी, माओवादी और उच्च सुरक्षा में रखने जाने वाले कैदियों के लिए पटना के फुलवारीशरीफ में एक विशेष हाई सिक्योरिटी जेल बनेगा. कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगी है और इसके लिए 56.72 करोड़ रुपये भी जारी कर दिये गये हैं.
इसका निर्माण फुलवारीशरीफ में पहले से मौजूद शिविर मंडल कारा को तोड़कर होगा. सामान्य जेल की तुलना में यह कई मायने में काफी अलग होगा और इसमें सुरक्षा के उच्च मानकों का पालन किया जायेगा. इस जेल की किलेबंदी के लिए तीन दीवारों का घेरा होगा. बाहरी दीवार की ऊंचाई 21 फुट और दूसरी दीवार 14 फुट से ज्यादा ऊंची होगी. इसके बाद 10 फुट की दीवार होगी, जिस पर चार फुट का लोहे का ग्रिल भी लगा होगा.
पूरे जेल की निगाहबानी के लिए उच्च क्षमता वाले सीसीटीवी कैमरे लगाये जायेंगे, जो रात में भी साफतौर पर देख सकेंगे. इनमें कैदियों के रहने के लिए जो सेल बनेंगे, उनका लॉकिंग सिस्टम बेहद आधुनिक और मजबूत होगा. इसी में टॉयलेट समेत अन्य सुविधाएं मौजूद होंगी. बाहर से ही कैदियों को खाना देने की भी सुविधा रहेगी, ताकि इन्हें बार-बार बाहर निकालने और सुरक्षित अंदर ले जाने की जहमत नहीं उठानी पड़ी. राशि जारी होने के बाद इसका निर्माण कार्य जल्द ही शुरू हो जायेगा.
इसके अलावा शेखपुरा पुलिस लाइन के निर्माण के लिए जारी राशि को संशोधित किया गया है. इसकी लागत को बढ़ाकर 37.23 करोड़ कर दी गयी है. कैबिनेट की अनुमति के बाद राशि चालू वित्तीय वर्ष में ही जारी कर दी जायेगी.
बोर्ड-निगम
कर्मियों के समायोजन के लिए सेवा शर्त: राज्य सरकार ने सभी बोर्ड, निगम या सोसाइटी में कार्यरत सभी कर्मियों के किसी विभाग में समायोजन के लिए विशेष सेवा शर्त तैयार की गयी है. अब इसी सेवा शर्त के आधार पर इनका समायोजन विभागों में किया जायेगा. किसी विभाग में रिक्त पदों पर अगर इन्हें बहाल किया जाता है तो इसके लिए निर्धारित सेवा शर्त का पालन किया जायेगा.
पहले सभी विभाग अपने-अपने स्तर पर नियम का निर्धारण करके इन कर्मियों को समायोजित कर देते थे. राज्य में वर्तमान में करीब 14 निगम, सोसाइटी या बोर्ड हैं, जिनमें 700 से 800 कर्मी कार्यरत हैं. शेष कर्मी रिटायर्ड हो चुके हैं. इस नयी सेवा शर्त से इन कर्मियों को सीधे तौर पर फायदा होगा. इन कर्मियों की सेवा कोई भी विभाग आवश्यकता के अनुसार लेगा.

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