एनएसजी के 10 और एनआईए के पांच विशेषज्ञ कर रहे मामले की जांच
पटना : गया में बम प्लांट करने के मामले में अभी केंद्रीय जांच एजेंसियां एनएसजी और एनआईए की जांच चल रही है. इसकी जांच में एनएसजी के 10 और एनआईए के पांच विशेषज्ञ जुटे हुए हैं. अब तक की जांच में यह बात सामने आ रही है कि महाबोधि मंदिर के आसपास जिन दो बैग में घातक विस्फोटक (आईईडी) मिले, इन बैगों को आईएम (इंडियन मुजाहिद्दीन) के स्लीपर सेल ने ही रखे हैं.
इस बात की संभावना बेहद प्रबल होती जा रही है. इसके पीछे कुछ ठोस वजह भी है. जांच में यह बात सामने आयी कि इन बमों का पैटर्न और संरचना बेहद ही जटिल था. इसमें उन्नत किस्म के टाइमर का भी उपयोग किया गया था. बेहद जटिल संरचना के कारण ही सुरक्षा एजेंसियों को इसे नष्ट करना पड़ा. बम की तीव्रता और शक्ति को देखकर यह साफ होता कि इसे किसी आतंकी संगठन ने ही तैयार किया था. इस तरह के पैटर्न के बम का उपयोग नक्सली संगठन बहुत कम करते हैं. इसके अलावा इसका पूरा मॉड्यूल बोधगया में जुलाई, 2013 के दौरान हुए सीरियल बम ब्लास्ट से भी मेल खाता है.
आईएम ने ही 2013 में करवाये थे ब्लास्ट
2013 के ब्लास्ट की घटना को आईएम ने ही अपने स्लीपर सेल के जरिये प्लांट करवाया था, जिसका मास्टरमाइंड हैदर था. बाद में एनआईए ने इसे गिरफ्तार किया. वर्तमान में वह बेउर जेल के बेहद सुरक्षित सेल में कैद है. इस बार भी गया मामले में हैदर से बेहद गुप्त तरीके से पूछताछ होने की सूचना है. हालांकि कोई अधिकारी कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं. आईएम के स्लीपर सेल का पुराना नाता गया और खासकर शेरघाटी के इलाके से रहा है.
-दिल्ली से अब्दुल सुभान की गिरफ्तारी से जोड़ कर देखा जा रहा है बोधगया मामले को
यह तस्वीर बताती है कि कैसे बोधगया को दहलाने की साजिश को विभिन्न देशों से आये बौद्ध श्रद्धालुओं व स्थानीय लोगों ने अपनी मजबूत आस्था के बूते डिफ्यूज कर दिया है. विगत शुक्रवार को महाबोधि मंदिर के पास तीन जगहों पर बम रख कर आतंक फैलाने की कोशिश हुई थी.
कुरैशी से पूछताछ, गया कनेक्शन की भी जांच
एनआईए का मोस्ट वांटेड अब्दुल सुभान कुरैशी उर्फ तौकीर को सोमवार की सुबह नयी दिल्ली के गाजीपुर से गिरफ्तार किया गया. भटकल के बाद यह देश में आईएम का सबसे महत्वपूर्ण आतंकी है.
इसके देश में कई ब्लास्ट के पीछे हाथ थे. इसका संबंध हैदर से भी होने की बात सामने आ रही है. फिलहाल इस बात की जांच चल रही है कि इसका बोधगया के मौजूदा बम प्लांट मामले से भी कोई संबंध है या नहीं. आईएम के स्लीपर सेल का कनेक्शन दरभंगा, मधुबनी और गया से पहले भी रहा है.