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अब सीबीआई बताये, क्यों नहीं ड्रग माफियाओं की जांच का जिम्मा उसे दिया जाये

पटना : पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई से एक फरवरी तक यह बताने को कहा है कि बिहार के ड्रग माफियाओं के खिलाफ जांच का जिम्मा उसे क्यों नहीं सौंप दिया जाये. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की. अदालत […]

पटना : पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई से एक फरवरी तक यह बताने को कहा है कि बिहार के ड्रग माफियाओं के खिलाफ जांच का जिम्मा उसे क्यों नहीं सौंप दिया जाये. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की.
अदालत ने सीबीआई को कहा वह अपने एसपी या संबंधित पदाधिकारी से इस मामले में बात कर अदालत को अगली सुनवाई पर इसकी जानकारी दे, ताकि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जा सके.
सुनवाई के समय याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि जो दवाएं छापेमारी के दौरान बरामद की गयी हैं, वे महाराष्ट्र द्वारा गुजरात को भेजी गयी थीं. गुजरात में जब वह दवा एक्सपायर कर गयी, तो उसी दवा का रैपर बदल कर बिहार में भेज दिया गया, जो जांच में भी स्पष्ट हुआ है. इतना ही नहीं इस बीच राज्य सरकार ने इस मामले को उजागर करने वाले दो ड्रग इंस्पेक्टर कयामुद्दीन और सचिदानंद का स्थानांतरण जांच के दौरान ही कर दिया. इतना ही नहीं इन ड्रग माफियाओं के संबंध दूसरे राज्य के ड्रग माफियाओं से भी हैं.
यह एक बड़ा रैकेट है. सरकार के इस निर्णय से जांच कार्य प्रभावित हो रहा है. राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया राज्य सरकार ड्रग माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. इसी कार्रवाई के तहत सरकार ने 16 ड्रग माफियाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है. इन प्राथमिकियों में 82 ड्रग माफियाओं को अभियुक्त बनाया गया है. इसमें 42 ड्रग माफिया गिरफ्तार किये जा चुके हैं तथा 33 ड्रग माफिया फरार हैं.

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