नयी दिल्ली : सेशल्स में विपक्ष के नेता वेभेल रामकलावन बिहार के एक गांव में अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने के लिये इस सप्ताह भावनात्मक यात्रा करने वाले हैं. उनके परदादा 130 साल पहले भारत छोड़कर चले गये थे. रामकलावन का 1961 में द्वीप देश में जन्म हुआ था. वह फिलहाल सेशल्स की नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता हैं. वह पूरी दुनिया से भारतवंशी (पीआईओ) सांसदों के पहले सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिये यहां आये हैं.
उन्होंने बताया, मिशन के तहत, अपने निजी मिशन के तहत जिसे मैं भावनात्मक मानता हूं. मेरे परदादा ने 1883 में बिहार छोड़ा. अपने गांव परसौनी से वह पटना आये और वहां से उन्होंने कलकत्ता (अब कोलकाता) के लिये ट्रेन पकड़ी. कलकत्ता से मारीशस पहुंचने के लिये उन्होंने 10 से 12 हफ्ते की समुद्री यात्रा की. उन्हें गन्ने की खेती में लगाया गया. रामकलावन ने कहा कि अपने पूर्वजों के गांव की उनकी यात्रा सेशल्स से किसी की इस तरह की पहली यात्रा होगी. रामकलावन ने कल यहां सप्रू हाउस में विश्व मामलों की भारतीय परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में अपने पूर्वजों के सफर को साझा किया.
एसएनपी नेता फिलहाल नेशनल असेंबली की बाहरी द्वीप समिति, सत्य एवं राष्ट्रीय सुलह समिति और वित्त और लोक लेखा समिति के अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा, सेशल्स से किसी ने भी इस तरह का शोध नहीं किया है, इसलिये मुझे इसपर गर्व है. मैं वापस जाना चाहता हूं और देखना चाहता हूं कि अपने दूर के रिश्तेदारों के जीवन को बेहतर बनाने में मैं क्या योगदान दे सकता हूं. रामकलावन ने कहा कि उन्होंने अपने मित्रों और भारत सरकार की मदद से अपने पैतृक गांव की पहचान कर ली है और वह गुरुवार को बिहार जा रहे हैं.