11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कितने नामजद हुए गिरफ्तार, किसको दी थाने से बेल, बतायेंगे थानेदार

विजय सिंह पटना : अब अपराधियों की गिरफ्तारियों में थाने का खेल नहीं चलेगा. थाना स्तर पर होने वाला फर्जीवाड़ा थानेदार को महंगा पड़ेगा. दरअसल पुलिस मुख्यालय में इस बात की शिकायत पहुंच रही थी कि पुलिस किसी और को पकड़ कर दूसरे के नाम पर गिरफ्तारी दिखाती है और फिर थाने से बेल दे […]

विजय सिंह
पटना : अब अपराधियों की गिरफ्तारियों में थाने का खेल नहीं चलेगा. थाना स्तर पर होने वाला फर्जीवाड़ा थानेदार को महंगा पड़ेगा. दरअसल पुलिस मुख्यालय में इस बात की शिकायत पहुंच रही थी कि पुलिस किसी और को पकड़ कर दूसरे के नाम पर गिरफ्तारी दिखाती है और फिर थाने से बेल दे देती है. इससे गिरफ्तारी का आंकड़ा कागज में मेंटेन हो जाता है.
इन्हीं आंकड़ों पर पुलिस के वरीय पदाधिकारियों को गुमराह किया जाता है. आंकड़े के हिसाब से लगता है कि सब कुछ ठीक चल रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि हत्या, लूट, बलात्कार, घोटाला जैसे बड़े अापराधिक मामलों के नामजद आरोपित पकड़ में आते ही नहीं हैं. उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत लाभ दिया जाता है. पुलिस इसमें तमाम तरह से खेल करती है. समय से केस डायरी नहीं भेजी जाती है. बयान, गवाही, मेडिकल में जान बूझ कर देरी की जाती है. इन सब पर नकेल कसने के लिए पुलिस मुख्यालय ने निर्देश जारी किया है और अब गिरफ्तारी की डिटेल के साथ नामजद आरोपितों की भी डिटेल मांगी गयी है.
पुलिस करती है आधा-अधूरा खुलासा और गिरफ्तारी
पुलिस बड़ी घटनाओं में सीधे तौर पर व्यवस्था की आंखों में धूल झोंकती है. मुख्य शूटर या आरोपित को पकड़ने के बजाय दूसरे अपराधियों को पकड़ती है, जिन्हें कांड में शामिल होना बता कर जेल भेज देती है. दावा यह किया जाता है कि पकड़े गये लोग अपराधियों का सहयोग कर रहे थे, लेकिन सहयोगी के किरदार वाले तो पकड़े जाते हैं पर मुख्य आरोपित पुलिस को चकमा देते रहते हैं. पटना में कई ऐसे मामले हैं, जिनमें आधा-अधूरा खुलासा हुआ और मुख्य आरोपित नहीं पकड़े गये. सरकारी आंकड़ों में यह दिखाया जाता है कि कांड का खुलासा हो चुका है, पर अदालत में मामला जाने पर आरोपित बनाये गये सहयोगियों को बेल हो जाती है और मुख्य आरोपित कानून व्यवस्था से आंख मिचौली खेलते रहते हैं.
थाने में दबा दिये जाते हैं वारंट : सूत्रों कि मानें तो बड़े अपराधी थाने में पुलिसकर्मियों को सेट कर लेते हैं. इस साठ-गांठ की वजह से कोई नया थानेदार चाह कर भी किसी अपराधी को नहीं पकड़ पाता. गिरफ्तारी से पहले अपराधियों को यह जानकारी मिल जाती है कि पुलिस छापेमारी करने वाली है. थाने पर सेटिंग करके कोर्ट से जारी गिरफ्तारी वारंट को भी दबा दिया जाता है. थाने के इस खेल में मामले के वादी अधिकारियों के चक्कर काटते रहते हैं पर उन्हें न्याय नहीं मिल पाता है. हालत यह है कि केस दर्ज नहीं करने, गिरफ्तारी नहीं करने की शिकायत को लेकर फरियादी अधिकारियों के पास दस्तक देते रहते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें