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बिहार : पढ़ाई से नौकरी तक महिलाएं हो रहीं घरेलू हिंसा की शिकार

चिंता : स्वयंसेवी संस्था की ओर से किये गये सर्वे की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, शादी से इन्कार करना भी घरेलू हिंसा का कारण अनुपम कुमारी पटना : महिलाएं आज भी सबसे अधिक घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं. चाहे हिंसा उनकी शिक्षा को लेकर हो, नौकरी की हो या फिर बेटी जन्मे जाने […]

चिंता : स्वयंसेवी संस्था की ओर से किये गये सर्वे की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, शादी से इन्कार करना भी घरेलू हिंसा का कारण
अनुपम कुमारी
पटना : महिलाएं आज भी सबसे अधिक घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं. चाहे हिंसा उनकी शिक्षा को लेकर हो, नौकरी की हो या फिर बेटी जन्मे जाने पर ही क्यों न हो. महिला हेल्पलाइन के आंकड़े के अनुसार 98% लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है. कुछ ऐसा ही खुलासा एक सर्वे में हुआ, जिसमें लड़कियों ने इसको स्वीकार किया है. यहां तक की शादी से इन्कार करना भी एक कारण है.
सर्वे रिपोर्ट पर एक नजर
स्वयंसेवी संस्था की ओर से दानापुर के 15 गांवों के 1700 परिवारों की 1444 महिलाअों पर किये गये सर्वे रिपोर्ट के अनुसार कि 75% महिलाएं अपने ऊपर होनेवाली हिंसा को बताना पसंद नहीं करती हैं.
परिवार की बदनामी के डर से इसे चुपचाप सहती हैं. वहीं, 71.47% महिलाएं अपने पड़ोस की घटनाओं को भी बताने से डरती हैं. 77 फीसदी महिलाओं ने यह स्वीकारा की ससुराल पक्ष द्वारा उन्हें कमतर दिखाने के दौरान ताना मार का मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता रहा है. वहीं, 95 फीसदी महिलाओं ने माना कि कम उम्र में जबरन शादी करना हिंसा है. जबकि 98 फीसदी लड़कियों ने कहा कि उच्च शिक्षा से रोकने के लिए हिंसा का सहारा लिया गया. 17 फीसदी पर लांछन लगा कर किया जाता है.
केस-1
मीठापुर निवासी कंचन (परिवर्तित नाम) अपने घर वालों की प्रताड़ना से इतना ऊब गयी थी, कि उसने घर छोड़ देने का निर्णय ले लिया. वह सीधे महिला हेल्पलाइन पहुंची और कहा उसे अब घर में नहीं रहना. उसका कुसूर बस इतना था कि वह पढ़ना चाहती थी. पर उसके परिजनाें को उसका पढ़ना पसंद नहीं था. इससे अक्सर उसे प्रताड़ित किया जाता था. जब काउंसेलिंग की गयी, तो पता चला कि कंचन पढ़ाई में अच्छी है, जो उसके भाइयों को पसंद नहीं आता.
महिला हेल्पलाइन के आंकड़ों के मुताबिक प्रतिमाह 300-350 से अधिक मामले दर्ज किये जा रहे हैं. वर्ष 2012 से अब तक कुल 1,938 मामले घरेलू हिंसा के दर्ज किये गये हैं. वर्ष 2012 में घरेलू हिंसा के 282 मामले दर्ज किये गये. वहीं, 2013 में 290 मामले रहे. 2014 में इनकी संख्या 377 हो गयी.
30% ही…उठाती हैं आवाज
घरेलू हिंसा के मामलों में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है. जबकि 70 फीसदी महिलाएं इसके खिलाफ शिकायत न दर्ज करा कर चुप रहना पसंद करती हैं. मात्र 30 फीसदी महिलाएं ही आवाज उठा पाती हैं. ऐसे में सबसे अधिक महिलाएं घरों में अपने रिश्तेदारों और परिवारों द्वारा प्रताड़ित हो रही हैं.
– रजनी, सामाजिक कार्यकर्ता
हमारे यहां सबसे अधिक घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज की जाती है, जबकि इसके खिलाफ सख्त कानून बनाया गया है. अब महिलाएं थानों व हेल्पलाइन तक पहुंच रही हैं. इसके प्रति लोगों को और अधिक जागरूक करने की आवश्यकता है.
– प्रमिला कुमारी, परियोजना प्रबंधक, महिला हेल्पलाइन
Prabhat Khabar Digital Desk
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