गुरुवार को प्रभात खबर की टीम ने पूर्वी बोरिंग रोड के राम सुचित मिश्रा रोड में बने साई रेजीडेंसी अपार्टमेंट निर्माण जी प्लस 4 के वर्तमान स्टेट्स की पड़ताल की तो मामला एक फ्लोर अवैध निर्माण की कहानी कह रहा था. दो वर्ष पहले नगर आयुक्त की कोर्ट ने निर्माण को अवैध ठहराया था. बावजूद इसके उस आदेश पर आगे क्या कार्रवाई हुई, किसी को कोई खबर नहीं है.
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अवैध फ्लोर पर बने फ्लैट में रहने लगे लोग, मामला चला गया ठंडे बस्ते में
पटना : नगर निगम की टीम न तो अवैध निर्माण के नये मामलों पर अभियान चला कर जांच नहीं कर रही है न ही पहले से अवैध निर्माण रोक के आदेश की वर्तमान स्थिति पर ही नजर रख रही है. निर्माण पर रोक का आदेश भले ही दो वर्ष पहले की नगर आयुक्त कोर्ट से […]
पटना : नगर निगम की टीम न तो अवैध निर्माण के नये मामलों पर अभियान चला कर जांच नहीं कर रही है न ही पहले से अवैध निर्माण रोक के आदेश की वर्तमान स्थिति पर ही नजर रख रही है. निर्माण पर रोक का आदेश भले ही दो वर्ष पहले की नगर आयुक्त कोर्ट से सुनाया गया हो, लेकिन आदेश के बाद उस निर्माण पर आगे क्या किया जा रहा है. इस बात से निगम को कोई मतलब नहीं है.
मामला दर्ज होने पर एक वर्ष में आया था फैसला
नगर निगम ने इस अपार्टमेंट के निर्माण की जांच के लिए वर्ष 2013 के नवंबर में निगरानीवाद (113a/13)का मामला शुरू किया था. इसके बाद निगम की अभियंता टीम ने पूरे अपार्टमेंट की नापी की थी. लगभग एक वर्ष तक इस मामले पर निगम के नगर आयुक्त की कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. इसके बाद नगर आयुक्त की कोर्ट ने ऊपरी एक फ्लोर को अवैध ठहराया. कोर्ट ने वर्ष 2014 के जुलाई माह में निर्माणकर्ता को 30 दिनों के भीतर अवैध हिस्से काे तोड़ने का आदेश दिया था. वहीं जी प्लस 3 में 1.6 मीटर ऊंचाई अधिक निर्माण कराने के लिए सामंजस्य शुल्क का निर्धारण करने का भी निर्देश दिया गया था.
अभी क्या है स्थिति : अभी लगभग सभी फ्लैटों की बिक्री हो गयी है. लोग वैध व अवैध दोनों फ्लैटों में रह रहे हैं. निगम ने क्या कार्रवाई की, इस पर कोई भी कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है.
बिक्री पर भी लगी थी रोक, विवादित है बिल्डर
नगर आयुक्त की कोर्ट ने अवैध बने चौथे तल्ले पर के फ्लैटों की बिक्री पर रोक लगाया था. इसके लिए जिला अवर निबंधन विभाग को फ्लैटों के निबंधन पर रोक लगाने के लिए कहा गया था. 20 फुट से कम चौड़ी सड़क का मामला होने के कारण सैटबैक के चारों तरफ भी विचलन का भी मामला सामने आया था. बावजूद इसके अपार्टमेंट के ऊपरी फ्लोर पर फ्लैट का उपयोग किया जा रहा है. इस अपार्टमेंट को जिस बिल्डर ने पूरा किया है, उस बिल्डर पर पहले से ही कई निर्माणों को नगर आयुक्त की कोर्ट ने अवैध ठहराया है. बिल्डर निर्माण को लेकर पहले से विवादित रहें हैं. अभी कई मामले ट्रिब्यूनल में चल रहे है. इस निर्माण का मामला भी वैसा ही है.
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