पटना : बिहार की राजधानी पटना के नामी कॉलेज मगध महिला में छात्राओं ने बदलाव की बयान को स्वीकार किया है. छात्राओं ने अपनी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने और सभी छात्राओं के मन में सामाजिक समानता और आपसी सद्भावना के लिए जीन्स नहीं पहनने का निर्णय लिया है. छात्राओं की सहमति के बाद कॉलेज प्रशासन ने कैंपस के अंदर जीन्स पहनने पर रोक लगा दी है. इतना ही नहीं छात्राएं अब पटियाला सूट पहनकर भी कॉलेज में नहीं आ सकती हैं. कॉलेज प्रशासन ने इस ड्रेस कोड को 2018 से लागू कर दिया है. इसके तहत अब क्लास रूम में मोबाइल से बात करने पर भी रोक लगायी गयी है.
सबसे बड़ी बात यह है कि कॉलेज की छात्राओं ने इस पर अपनी सहमति प्रदान की है. कॉलेज की प्रिसिंपल का मानना है कि इस बार छात्राओं ने सबसे ज्यादा अपनी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने और पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान लगाने के लिए इस फैसले को स्वीकार किया है. उन्होंने प्रभात खबर डॉट कॉम से बातचीत में साफ कहा कि यह कुछ मीडिया द्वारा कहा जा रहा है कि इस फैसले पर छात्राओं में दो गुट है. ऐसा कुछ भी नहीं है, सभी छात्राओं की इस फैसले में सहमति है. छात्राएं एक सुर में कॉलेज में पढ़ाई के प्रति गंभीर होने को तैयार हैं. छात्राओं में काफी उत्साह है. कक्षा के दौरान पढ़ाई बाधित होने का मुख्य कारक मोबाइल है, इसलिए वह कक्षा में बंद रहेगा और उनके बातचीत करने के लिए कैंपस में मोबाइल फ्री जोन है, वहां वह आराम से बात करती हैं.
कॉलेज प्रबंधन की मानें, तो ड्रेस कोड बिल्कुल थोपा नहीं गया है. प्रिंसिपल ने बताया कि कॉलेज में विभिन्न वर्ग की लड़कियां पढ़ने आती हैं, उनमें समानता की भावना जागृत हो, वह एक दूसरे से काफी घुल मिल सकें, इसलिए छात्राओं की बकायदा सहमति पर जीन्स को ड्रेस से दूर रखा गया है, और कोई बात नहीं है. प्रिंसिपल शशि शर्माकहतीहैं कि हमने यह ड्रेस कोड सामाजिक असमानता को देखते हुए लागू किया है. जो 12 दिसंबर से लागू हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस नए नियम से स्टूडेंट्स में एक समानता का भाव आयेगा. वहीं, जहां तक मोबाइल का संबंध है तो इसके लिए मोबाइल फ्री जोन बना हुआ है, जहां जाकर लड़कियां बात कर सकती है.
वहीं इस मामले में बातचीत करने पर मनोविज्ञान विभाग की छात्रा पल्लवी ने कहा कि यह बहुत सुंदर है और कॉलेज में एक अलग तरह का बौद्धिक माहौल देखने को मिलेगा और लड़कियां एक दूसरे के पास आयेंगी. यह फैसला वाकई बहुत अच्छा है और इससे हमलोग काफी खुश हैं. यह फैसला हम सब छात्राओं की सहमति से लिया गया है. इस नये नियम से हमारे अंदर समानता की एक नयी भावना का संचार होगा, जो हमारी पीढ़ी के लिए एक अच्छा संदेश बनेगा. बाकी छात्राओं ने भी पल्लवी के इस विचार का समर्थन किया.
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