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बिहार : एक बार फिर तख्त हरिमंदिर कमेटी में ‘पावर’ की रस्साकशी…जानें क्या है पूरा मामला
बिहार : एक बार फिर तख्त हरिमंदिर कमेटी में ‘पावर’ की रस्साकशी…जानें क्या है पूरा मामला तख्त श्री हरिमंदिर कमेटी पर सभी चाहते हैं कब्जा आज हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई पटना : एक बार फिर पटना साहिब के तख्त श्री हरिमंदिर साहिब की कमेटी में पावर की रस्साकशी शुरू हो गयी है. वर्ष 2016 […]
बिहार : एक बार फिर तख्त हरिमंदिर कमेटी में ‘पावर’ की रस्साकशी…जानें क्या है पूरा मामला
तख्त श्री हरिमंदिर कमेटी पर सभी चाहते हैं कब्जा
आज हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई
पटना : एक बार फिर पटना साहिब के तख्त श्री हरिमंदिर साहिब की कमेटी में पावर की रस्साकशी शुरू हो गयी है. वर्ष 2016 के अंत में ही जब 350 वें प्रकाश पर्व को जोर-शोर से मनाने की तैयारी चल रही थी उसी वक्त यह झगड़ा सामने आया था.
जो एक बार फिर फोकस में है. इस पूरे प्रकरण के पीछे एक पक्ष मौजूदा कमेटी पर संविधान को नकारते हुए बिहार से बाहर के कुछ पंजाबियों का जबरन कब्जा बता रहा है, तो दूसरा पक्ष यह कह रहा है कि यदि सेवा का भाव होता तो कोई बात ही नहीं है , लेकिन यहां पैसे की लड़ाई है. अब यह पूरा प्रकरण पटना हाईकोर्ट के पास है. गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई में अब अगले सोमवार की तारीख दे दी गयी है. अब एक बार फिर सोमवार तक इस विवाद के फैसले का इंतजार करना होगा.
दोनों पक्ष कहते हैं कि इस विवाद से प्रकाश पर्व की तैयारी प्रभावित नहीं होगी.इसको लेकर कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिख कर कहा गया है कि वे सरकार द्वारा लिये गये फैसले के साथ ही पूरी तैयारी में सभी सहयोग करेंगे. किसी भी स्थिति में प्रकाश पर्व की गरिमा बरकरार रखी जायेगी.
क्या है पूरा विवाद
दरअसल खालसा पंथ के संस्थापक और सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज की जन्मस्थली तख्त श्री हरिमंदिर कमेटी पर सभी अपनी भागीदारी चाहते हैं. चाहे वह बिहार में बसे पंजाबी हों या फिर बिहार के बाहर रहने वाले पंजाबी. इसी कारण यह पूरा विवाद शुरू हुआ है. इसकी सुगबुगाहट भी गाहे-बगाहे पहले भी सामने आ चुकी हैै. इसके बाद प्रकाश पर्व के लिए जारी की गयी विकास मद की बड़ी राशि भी एक बड़ा मसला है, जिसमें लोग अपने स्तर से भूमिका चाहते हैं. इसके कारण समय से ज्यादा वक्त तक कोई भी कमेटी रहने पर और कमेटी के लिए बनाये गये नियमों के पालन में चूक पर उभय पक्ष हावी हो जाता है और विवाद की शुरुआत हो जाती है. इसमें ऑफिस पर कब्जे और उसकी अलग राजनीति भी चलती रही है.
उनका निशाना कहीं और है : चरणजीत सिंह
चरणजीत सिंह कहते हैं कि सेवा का भाव नहीं है, उनका निशाना कहीं और है. हमने तो सब काम किया है. चुनाव के लिए पूरी प्रक्रिया को रेगुलेट किया, उसके बाद भी यह कहा जा रहा है. पिछले साल भी यही विवाद सामने आया. अब जब पहली याचिका दायर की गयी, तो हम काेर्ट में पूरा जवाब दे रहे हैं.
संविधान को धता बताने पर दायर की याचिका अमरजीत सिंह शम्मी
कमेटी के संविधान को दरकिनार करते हुए कब्जे के मुद्दे को उठाते हुए अमरजीत सिंह शम्मी ने याचिका दायर की है.उनका कहना है कि जब संविधान का आठवां बिंदु कहता है कि पांच साल बाद नयी कमेटी बनेगी और 30 व 31 नंबर बिंदु कहता है कि 2.5-2.5 साल में चुनाव होंगे, तो फिर इसे क्यों नहीं फॉलो किया गया. हम तो केवल नियमों का पालन नहीं करने के विरोध में न्यायालय में गये हैं. पांच साल और छह महीने बाद भी जब नयी कमेटी को लेकर सुगबुगाहट नहीं हुई तब यह कदम उठाया है.
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