पटना : एनकाउंटर हुआ. सिपाही के पैर में गोली लगी. उसका इलाज हुआ. एसपी ने टेबल ड्यूटी दी. आराम से काम चलता रहा, लेकिन जल्द ही उसकी बदली मोतिहारी जिले में हो गयी. नये एसपी ने उसे बंदूक लेकर कैदियों पर पहरा रखने का काम दिया. उसने एसपी साहब से गुहार लगायी, लेकिन नतीजा सिफर रहा.
ड्यूटी में अक्षम हुआ, तो मिला कारण बताओ नोटिस. मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट भी सौंपी, लेकिन, एसपी ने वेतन पर रोक लगा दी. अंत में सिपाही कोर्ट पहुंच गया. आदेश हुआ, ‘टेबल वर्क और वेतन दीजिए ’. इसके बाद भी एसपी साहब नहीं माने. न वेतन मिला, न ही कुरसी मिली. अदालती फरमान की अवहेलना मोतिहारी एसपी विनय कुमार को महंगा पड़ गया है. न्यायमूर्ति जयनंदन सिंह ने मोतिहारी एसपी विनय कुमार के इस कृत्य को अपने आदेश की अवहेलना माना है.
बुधवार को सिपाही सुमन कुमार ठाकुर द्वारा दायर याचिका की सुनवाई हुई. याचिका से जुड़ी रिट याचिका दिसंबर 2010 में दायर की गयी थी. सरकारी जवाब नहीं आने पर नाराज एकलपीठ सरकार पर पहले ही एक हजार रुपये अर्थदंड लगा चुकी है. मई 2011 के अपने उसी आदेश में न्यायालय ने याचिका के निष्पादित होने तक याचिकाकर्ता को वेतन देने व उनसे आसान काम लेने का अंतरिम आदेश दिया था.
– आदेश के विरुद्ध सिपाही से क्यों ली कड़ी ड्यूटी : कोर्ट
– एनकाउंटर में पैर में गोली लगने से हुआ था घायल