पटना : कहते हैं कि स्वभाव से इंसान हमेशा समस्याओं से निकलने के लिए विकल्प की तलाश करता है. बिहार में शराबबंदी क्या हुई, वैसे लोगों ने अपनी नशीली जिंदगी को नशे में लिप्त रहने के लिए विकल्प की तलाश शुरू कर दी. विकल्प भी ऐसा खोजा कि आज की तारीख में सूबे के लाखों लोग ड्रग्स के सेवन में मशगूल हैं. शराबबंदी का कानून काफी मजबूत है, लेकिन आज भी देश में नॉरकोटिक्स विभाग का कानून उतना मजबूत नहीं है. ड्रग्स के सप्लायर और इसके तस्कर कानूनी पचड़ों से जल्दी छुटकारा पा जाते हैं और इसी का लाभ उठाकर देश के नामी-गिरामी तस्करों ने बिहार को अपना केंद्र बनाया है. जानकारी के मुताबिक ड्रग्स सप्लाइ के लिए नेपाल और बांग्लादेश के बॉर्डर वाले इलाकों को ट्रांजिट रूट के रूप में प्रयोग किया जा रहा है. बिहार के सीमावर्ती इलाके किशनगंज, अररिया, सुपौल और रक्सौल के साथ मोतिहारी में अब तक अरबों रुपये का ड्रग्स बरामद हो चुका है. सशस्त्र सीमा बल के जवान गाहे-बगाहे वैसे लोगों को गिरफ्तार करते हैं, लेकिन नतीजा वहीं ढाक के तीन पात. बाद में पता चलता है, वहीं तस्कर जेल से छूटने के बाद फिर से धंधे में लिप्त हो गये हैं.
ड्रग्स की बरामदगी लगातार जारी
सोमवार यानी 13 नवंबर को बिहार के किशनगंज जिले के सदर थाना अंतर्गत खगड़ा ओवरब्रीज के समीप से सशस्त्र सीमा बल :एसएसबी: और राजस्व सूचना निदेशालय :डीआरआई: ने संयुक्त रुप से कार्रवाई करते हुए करीब एक करोड़ रुपये के प्रतिबंधित मादक पदार्थ के साथ तीन तस्करों को धर दबोचा. एसएसबी की 12वीं बटालियन के डिप्टी कमांडेंट कुमार सुंदरम ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर जब्त प्रतिबंधित मादक पदार्थ के साथ गिरफ्तार लोगों के नाम माफिजुद्दीन शेख (41), यासकेंदर शेख (51) और बबलू शेख (34) शामिल हैं जो पड़ोसी राज्य झारखंड के पाकुड़ जिला के निवासी हैं. उन्होंने बताया कियह लोग पड़ोसी राज्य बंगाल के मुर्शिदाबाद से मादक पदार्थ की इस खेप लेकर किशनगंज किसी को आपूर्ति करने आए थे. वहीं भागलपुर में रविवार को मुखबिरों द्वारा मिली सूचना के आधार पर एसटीएफ ने भागलपुर में जाल बिछाया और तिलकामांझी से 73 पैकेट में रखे गये 809 किलो गांजा को जब्त कर लिया. एसटीएफ ने दो तस्कर के साथ एक 10 चक्के वाली ट्रक को भी जब्त किया हैं. इसके साथ ही दो मोबाइल भी जब्त किये गये हैं. गांजा की खेप के साथ जिन दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया है उनमें एक बिहार के मुंगेर के महेशपुर का रहने वाला प्रवीण कुमार और दूसरा छपरा के सोनपुर का रहने वाला धर्मेंद्र साह हैं.
आंकड़े कह रहे हैं पूरी कहानी
उपरोक्त दोनों घटनाएं, बस एक बानगी भर है, वास्तविक स्थिति काफी दयनीय है. आंकड़ों पर गौर करें तो बिहार के विभिन्न हिस्सों से 2015-16 में 2492 किलो गांजा, 17 किलो चरस, 19 किलो अफीम, 205 ग्राम हेरोइन के अलावे नशीली दवाइयों के 462 टैबलेट जब्त किये गये. वहीं शराबबंदी के बाद पुलिस ने जो ड्रग्स जब्त किये हैं वह आंकड़े बेहद चौंकानेवाले हैं. 2016-17 में 13884 किलो गांजा, 63 किलो चरस, 95 किलो अफीम, 71 किलो हेरोइन के अलावा नशीली दवाइयों के 20308 टैबलेट जब्त किए गए हैं. ये आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि किस तरीके से बिहार में ड्रग्स का बड़ा कारोबार हो रहा है. कैसे इंटर स्टेट सिंडीकेट ड्रग्स का कारोबार बिहार में धडल्ले से कर रहा है. नेपाल के रास्ते से चरस, ब्राउन सुगर, हेरोइन बिहार के छोटे-छोटे शहरों तक पहुंचाया जा रहा है. वहीं ओडिसा, त्रिपुरा और मणिपुर से भी ड्रग्स की खेप बिहार लायी जा रही है.
नशीली दवाओं के कारोबार में तेजी
शराबबंदी के बाद सूबे में नशीली दवाओं के बाजार में 60 फीसद तक तेजी आयी है. खासकर ग्रामीण इलाकों में प्रतिबंधित और नशीली दवाओं के सेवन में वृद्धि हुई है. बक्सर जिले के रहने वाले डॉ.घर्मवीर उपाध्याय कहते हैं कि सबसे ज्यादा कोरेक्स सीरप एवं फैंसिडिल की बिक्री बढ़ी है. शराब की तुलना में यह सस्ती है. मात्र 60-70 रुपये में सौ एमएल की एक बोतल मिल जाती है.इसमें कोडीन की मात्रा अधिक होती है, जो जानलेवा है. हालांकि, फैंसिडिल में से कोडिन को हटा दिया गया है, फिर भी जिन्हें मालूम नहीं, वह इसे पीते जरूर हैं. प्रतिदिन एक बोतल में पर्याप्त नशा हो जाता है. वहीं पटना के चिकित्सक डॉ. उदयशंकर बताते सबसे ज्यादा नुकसान अल्प्राजोलम टेबलेट,नींद वाली दवा, से होता है. अत्यधिक सस्ती होने के चलते लोग इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. इसकी एक गोली डेढ़ से दो रुपये में आती है. नशे के लिए लोग एक बार में 8 से 10 गोलियां तक खा लेते हैं, जो काफी खतरनाक है. शराबबंदी के बाद बिहार में नशेड़ियों ने विकल्प के तौर पर काफी अलग-अलग तरह के ड्रग्स का इस्तेमाल शुरू कर दिया है, जिसमें एक्सटेसी, हैश, एलएसडी, आइस, एफड्रइन, मारीजुआना, हशीश कैथामिन, चरस, नारफेन, लुफ्रिजेसिक, एमडीएमएस जैसी नशीली दवा शामिल है.
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