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पुरानी 11 सिंचाई योजनाओं को किया जायेगा दुरुस्त, प्रदेश की 57 हजार हेक्टेयर जमीन को मिलेगा पानी, लहलहायेंगी फसलें

पटना: प्रदेश में फसलों की बेहतर पैदावार के लिए नयी और पुरानी सिंचाई परियोजनाओं पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. कुछ परियोजनाएं सही सलामत काम करती हैं तो कुछ से फसलों को पानी नहीं मिल पाता. ऐसे में सिंचाई क्षमता का ह्रास हो जाता है. ऐसी 11 योजनाओं को मार्च 2018 तक […]

पटना: प्रदेश में फसलों की बेहतर पैदावार के लिए नयी और पुरानी सिंचाई परियोजनाओं पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. कुछ परियोजनाएं सही सलामत काम करती हैं तो कुछ से फसलों को पानी नहीं मिल पाता. ऐसे में सिंचाई क्षमता का ह्रास हो जाता है. ऐसी 11 योजनाओं को मार्च 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इससे 57077 हेक्टेयर इलाके में फसलों को पानी मिलने लगेगा. इन सभी पर खर्च के लिए सरकार से जल संसाधन विभाग को 869 करोड़ 88 लाख रुपए की स्वीकृति मिल चुकी है.

साल 2000 में बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद प्रदेश के 53.53 लाख हेक्टेयर इलाके में कृषि क्षेत्र रह गया. इस पर बड़ी और मध्यम सिंचाई योजनाओं से सिंचाई संभव थी.

एक रिपोर्ट के अनुसार उस समय राज्य की अर्जित सिंचन क्षमता 26.17 लाख हेक्टेयर थी, लेकिन वास्तविक सिंचाई 15.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर ही उपलब्ध थी. जल संसाधन विभाग के सूत्रों की मानें तो मार्च 2016 तक कुल 29.46 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई क्षमता का निर्माण हुआ, वहीं मार्च 2017 तक कुल 29.69 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई क्षमता विकसित किया गया.
क्यों होता है ह्रास
सूत्रों की मानें तो मार्च 2017 के बाद कुल 29.69 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई क्षमता में से 99677 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई क्षमता का ह्रास पाया गया. इसका मुख्य कारण अधिकांश बड़ी और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं में गाद जमा होना और इनकी संरचनाओं व नहर प्रणालियों का क्षतिग्रस्त होना था. इसमें से मार्च 2018 तक 57077 हेक्टेयर और अन्य जमीन पर आगे के वर्षों में इन्हें ठीक करने का लक्ष्य रखा गया है.
ये योजनाएं होंगी पूरी
मार्च 2018 तक 11 ह्रासित परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य है. इनमें से अधिकतर दक्षिण बिहार में हैं. इसमें चौसा पंप नहर, सुअरा वीयर योजना, गोड़सरा वितरणी, भोजपुर वितरणी पर एक्वाडक्ट, अपर किउल जलाशय पुनरस्थापन, पूर्वी कोशी नहर, अमरा वितरणी व सैदपुर वितरणी, पटना मुख्य नहर के अंतर्गत इमामगंज, भरतलाइन और देवराहा उपवितरणी के साथ ही अंछा फीडर, नटैया खालसापुर पंप नहर योजना, सोन नहर प्रणाली शामिल हैं.
क्या कहते हैं मंत्री
हम हर साल सिंचाई परियोजनाओं की समीक्षा करते हैं. जिन परियोजनाओं से सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने में परेशानी आती है, उनका मरम्मत किया जाता है. इस वित्त वर्ष में ऐसी 11 ह्रासित परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है. इनके पूरा होने पर लोगों को फसलों की सिंचाई के लिए पानी मिलने लगेगा.
राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, जल संसाधन मंत्री

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