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BIHAR : जानिए क्‍यों फ्लैक्सी फेयर से राजधानी एक्स के यात्री घटे, बर्थ जा रहीं खाली

प्रभात रंजन पटना :फ्लैक्सी फेयर सिस्टम लागू होने के बाद से राजधानी एक्सप्रेस में फर्स्ट व सेकेंड एसी में यात्रियों की संख्या घट गयी है. आलम यह है कि सामान्य दिनों में राजधानी एक्सप्रेस के सभी क्लास में बर्थ खाली जा रहे हैं. इसके साथ ही फ्लैक्सी फेयर में वेटिंग टिकट लेने वालों की संख्या […]

प्रभात रंजन
पटना :फ्लैक्सी फेयर सिस्टम लागू होने के बाद से राजधानी एक्सप्रेस में फर्स्ट व सेकेंड एसी में यात्रियों की संख्या घट गयी है. आलम यह है कि सामान्य दिनों में राजधानी एक्सप्रेस के सभी क्लास में बर्थ खाली जा रहे हैं. इसके साथ ही फ्लैक्सी फेयर में वेटिंग टिकट लेने वालों की संख्या काफी कम हो गयी है. इससे रेलवे को भी राजस्व की हानि हो रही है. गौरतलब है कि रेलवे बोर्ड ने पिछले वर्ष नौ सितंबर से राजधानी, दुरंतो और शताब्दी एक्सप्रेस में फ्लैक्सी फेयर लागू किया, जिससे 10 प्रतिशत बर्थ बुक होने के बाद किराये में बढ़ोतरी होने लगती है.
फ्लैक्सी फेयर में थर्ड एसी के लिए 2100 और सेकेंड एसी के लिए 3300 रुपये किराया देय है. जबकि फर्स्ट एसी का किराया 3700 रुपये है, इसमें फ्लैक्सी फेयर लागू नहीं है.
दूसरी ट्रेनों से महंगा सफर : पटना से दिल्ली जाने को लेकर संपूर्ण क्रांति, मगध, श्रमजीवी, विक्रमशिला एक्सप्रेस आदि नियमित ट्रेनें हैं. इन ट्रेनों के थर्ड एसी का किराया करीब 1300 रुपये है. वहीं, राजधानी एक्सप्रेस के थर्ड एसी का बेस किराया 1635 रुपये है, जो फ्लैक्सी फेयर में बढ़ कर 2195 रुपया हो जाता है.
वहीं, सेकेंड एसी का किराया 2270 रुपया है, जो बढ़ कर 3300 के करीब पहुंच जाता है.रेलवे को भी राजस्व की क्षति : जब राजधानी एक्सप्रेस में फ्लैक्सी फेयर लागू नहीं था, तो वेटिंग टिकट लेनेवालों की संख्या अमूमन ढाई से तीन सौ के करीब रहती थी. अब फ्लैक्सी फेयर में वेटिंग टिकट लेनेवालों की संख्या काफी कम हो गयी है. अमूमन टिकट कंफर्म हो जा रहा है. अब रेलवे को रद्द शुल्क से होनेवाले राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है.
फ्लाइट में टिकट
राजधानी एक्सप्रेस के फर्स्ट एसी का ही किराया नहीं, बल्कि सेकेंड एसी का किराया भी एयरलायंस के बेस फेयर के बराबर है. पटना से दिल्ली जाने के लिये तीन-चार माह पहले एयरलायंस में टिकट बुक करने पर 3200 से 3500 रुपये लगते हैं, जो राजधानी एक्सप्रेस के सेकेंड और फर्स्ट एसी का किराये के लगभग बराबर है. इस स्थिति में राजधानी एक्सप्रेस के यात्री एयरलायंस में टिकट बुक करा रहे हैं, जिससे हवाई जहाज के यात्रियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है.
हवाई जहाज के बेस फेयर के बराबर हो जाता है सेकेंड एसी का किराया
दूसरी ट्रेनों में कंफर्म टिकट नहीं मिलने पर मजबूरी में यात्री राजधानी एक्सप्रेस में बुक कराते हैं टिकट
आखों के पर्दे व ग्लूकोमा की नहीं हो रही जांच, रेफर हो रहे मरीज
पीएमसीएच. स्लिप लैंप और फील्ड एनालाइसिस मशीन हुई खराब
पटना : पीएमसीएच के नेत्र रोग विभाग में फिर से बदहाली छायी हुई है. नेत्र रोग से जुड़े मरीजों के सिर्फ चश्मे की जांच हो रही है. बाकी ग्लूकोमा व आंखों के पर्दों की जांच नहीं हो पा रही है. इसका सबसे बड़ा कारण इलाज में इस्तेमाल होनेवाली स्लिप लैंप व फील्ड एनालाइसिस मशीन का खराब होना है. यह मशीन विगत दो माह से खराब पड़ी है. नतीजा मरीजों को राजेंद्र नेत्रालय या फिर प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ रहा है.
नाराज मरीज अस्पताल प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं. मजे की बात तो यह है कि यह स्लिप लैंप मशीन हमेशा खराब होती रहती है. मशीन को कुछ माह पहले बनाया भी गया था, लेकिन यह फिर खराब हो गयी है.
जांच बंद, लेंस भी लगवाना पड़ता है बाहर
आंख के पर्दों की जांच में इस्तेमाल होनेवाली स्लिप लैंप मशीन खराब हो चुकी है. ऐसे में नि:शुल्क जांच के सभी दावे फेल हो रहे हैं. इतना ही नहीं, अस्पताल में दूर-दराज से मोतियाबिंद के ऑपरेशन करानेवाले मरीजों को बाहर भेजा जा रहा है. कई बार इसकी शिकायत मरीज व उनके परिजनों ने की है, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई काम नहीं किया गया है.
जबकि यहां नि:शुल्क ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध है. इतना ही नहीं मरीजों को लेंस के लिए भी बाहर का चक्कर लगाना पड़ रहा है. लेंस नहीं मिलने की वजह से वार्ड में दलालों का कब्जा हो गया है. मरीजों को महंगे दामों पर लेंस लगाने पड़ रहे हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
स्लिप लैंप आंख के जांच की बुनियादी मशीन है. इससे आंखों की बहुत सी बीमारियों का पता चलाता है. नेत्र जांच स्लिप लैंप के बिना संभव नहीं है. आंख के हर अस्पताल में यह मशीन होनी चाहिए.
डॉ सुनील सिंह,
नेत्र रोग विशेषज्ञ
क्या कहते हैं अधिकारी
जो मशीन खराब है, उसे बनाया जा रहा है. नेत्र, शिशु रोग व चर्म रोग व किडनी डायलिसिस विभाग में कई मशीनें बनवायी गयी हैं. साथ ही कुछ नयी भी आ रही हैं. रही बात आंखों के लेंस नहीं मिलने की, तो इसे सूची में शामिल किया गया है.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अस्पताल के अधीक्षक

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