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पटना : कागजों में उलझ कर रह जाती है नेत्रदान की इच्छा
कागजों में उलझ गये कॉर्निया ट्रांसप्लांट सेंटर, अंधकार में कट रहा जीवन आनंद तिवारी पटना : कॉर्निया व किडनी दान के क्षेत्र में भले ही आईजीआईएमएस नये मुकाम हासिल कर रहा है, लेकिन पटना सहित प्रदेश के अन्य जिलों में स्थिति बदतर है. हालत यह है कि कहीं भी सूबे में एक भी कॉर्निया सेंटर […]
कागजों में उलझ गये कॉर्निया ट्रांसप्लांट सेंटर, अंधकार में कट रहा जीवन
आनंद तिवारी
पटना : कॉर्निया व किडनी दान के क्षेत्र में भले ही आईजीआईएमएस नये मुकाम हासिल कर रहा है, लेकिन पटना सहित प्रदेश के अन्य जिलों में स्थिति बदतर है. हालत यह है कि कहीं भी सूबे में एक भी कॉर्निया सेंटर नहीं बन पाया है. ऐसे में यहां लंबे समय से नेत्रदान नहीं हो पा रहा है. जबकि, जिलों के स्वास्थ्य केंद्रों पर रोज ऐसे मामले आ रहे हैं. परिजन मृतक की इच्छा पूरी करने के लिए नेत्रदान कराने अस्पताल
पहुंचते हैं, लेकिन वहां से जवाब मिलता है कि हम कुछ नहीं कर सकते. आप पटना के आईजीआईएमएस जाएं या फिर रांची.
न खुला आई बैंक, न हो रहा कॉर्निया ट्रांसप्लांट : आई बैंक खुलने की प्रक्रिया पिछले कई सालों से चल रही है. लेकिन, अब तक पूरी नहीं हुई. इसका जवाब किसी के पास नहीं है. नतीजा प्रदेश में कॉर्निया ट्रॉसप्लांट सही मायने में नहीं हो पा रहा है. सूबे में एक मात्र नेत्र बैंक आईजीआईएमएस में चल रहा है. लेकिन, यहां मरीजों की भीड़ इतनी अधिक है कि दो प्रतिशत मरीज को भी काॅर्निया लग जाये तो बड़ी बात होगी. यहां अब तक करीब 150 लोगों को ही कॉर्निया लग पाया है.
-कॉर्निया कलेक्शन
सेंटर व आई
बैंक नहीं होने
से लोग नहीं
कर पा रहे
नेत्रदान
-सूबे में सिर्फ आईजीआईएमएस में है यह सुविधा
केस 1 : अधूरी रह गयी मां की इच्छा
करीब डेढ़ माह पहले आरा जिले के सब्जी व्यापारी रमेश प्रसाद की मां का निधन हो गया. मां ने नेत्रदान की इच्छा जतायी थी. परिवार के सदस्यों ने सामाजिक संस्थाओं से बात की. स्वास्थ्य विभाग से लेकर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से भी गुहार लगायी गयी, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल पायी. सभी ने यही कहा कि कॉर्निया सेंटर व आई बैंक नहीं होने से मदद नहीं कर पायेंगे. व्यापारी रमेश की मानें तो मां की इच्छा पूरी नहीं होने का मलाल उम्र भर रहेगा. रमेश इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग व सिविल सर्जन कार्यालय से भी संपर्क कर चुका है.
केस 2 : जवाब मिला, हम दूर हैं
गया जिले के चंद्रभूषण सिंह के पिता का तीन माह पहले निधन हो गया था. उनके पिता ने नेत्रदान के लिए संकल्प लिया था. पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए परिवार के सदस्यों ने एक संस्था व आईजीआईएमएस के नेत्र बैंक को कॉल किया. लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकला. आई बैंक के कर्मचारियों ने कहा कि पटना से गया की दूरी काफी हो जायेगी, कुछ घंटे के अंदर ही आंख से कॉर्निया निकालने का नियम है. जबकि, दूसरे अधिकारियों ने कहा कि मामला प्रक्रिया में है. जल्द ही कॉर्निया जिले में भी सेंटर व आई बैंक की सुविधा मिलेगी.
जिले व ब्लॉक स्तर पर आई बैंक व कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा होनी चाहिए. तभी अंधेरा दूर करने का अभियान सफल होगा. मृत्यु के छह घंटे के अंदर कॉर्निया कलेक्शन किया जाना चाहिए, जो पटना से संभव नहीं है.
– डॉ सुनील सिंह, कोषाध्यक्ष, बिहार आॅर्थोमोजिकल सोसाइटी
आईजीआईएमएस में प्रदेश का एक मात्र आई बैंक होने के चलते पूरे बिहार में कॉर्निया कलेक्शन करने के लिए जाना संभव नहीं है. पटना व आसपास के जिलों से कॉल आते हैं, तो टीम जाकर कॉर्निया कलेक्शन करती है.
– डॉ विभूति प्रसाद सिन्हा, विभागाध्यक्ष, नेत्र विभाग, आईजीआईएमएस
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