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BIHAR : सरकार मौन, बुजुर्गों की सुरक्षा करे कौन
कैसे मिले सुरक्षा : बिहार में सीनियर सिटीजन सुरक्षा के लिए अब तक नहीं बना है कानून पटना : पटना जिले में 3.50 लाख बुजुर्ग रहते हैं. इसमें से दस फीसदी आज अकेलापन झेलते हुए असुरक्षित हैं. यानी मोटे तौर पर असुरक्षित बुजुर्गों की कुल संख्या 35 हजार है. किसी बुजुर्ग पर संपत्ति को लेकर […]
कैसे मिले सुरक्षा : बिहार में सीनियर सिटीजन सुरक्षा के लिए अब तक नहीं बना है कानून
पटना : पटना जिले में 3.50 लाख बुजुर्ग रहते हैं. इसमें से दस फीसदी आज अकेलापन झेलते हुए असुरक्षित हैं. यानी मोटे तौर पर असुरक्षित बुजुर्गों की कुल संख्या 35 हजार है. किसी बुजुर्ग पर संपत्ति को लेकर नजर है ताे कोई बुजुर्ग जिनसे सुरक्षा पाने की आस रखते हैं, उन्हीं से असुरक्षित हैं. शिव पुरी में अकेली रह रही बुजुर्ग आशा देवी की बेदर्दी से हत्या करने के परिप्रेक्ष्य में यदि हम पटना का आंकड़ा देखें तो बुजुर्गों की एक बड़ी आबादी असुरक्षित नजर आती है.
2011 की जनगणना के मुताबिक पटना जिले की कुल आबादी 42 लाख है. इसमें 8 फीसदी बुजुर्ग हैं यानी जिले 3.50 लाख से ज्यादा बुजुर्ग निवास करते हैं. राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार बिहार में 8 फीसदी बुजुर्ग रहते हैं. हेल्पेज इंडिया के अध्ययन के मुताबिक पटना जिले की कुल आबादी 42 लाख में से 10 फीसदी अकेले रहते हैं या फिर उनको देखने वाला कोई नहीं है.
सरकार का बुजुर्गों के प्रति रवैया उदासीन, नहीं बना है कानून : बिहार सरकार का बुजुर्गों के प्रति उदासीन रवैया है. सुरक्षा को लेकर अभी तक न तो कोई कानून बनाया गया है न ही इस संबंध में कोई पहल ही की गयी है.
सरकार ने केवल बिहार माता पिता भरण पोषण व वरिष्ठ नागरिक कल्याण नियमावली 2012 में बनाया था. इसमें संतान को माता पिता के भरण पोषण को लेकर जिम्मेदार बनाया गया है. इसके लिए निगरानी सह अनुश्रवण समिति नातेदारों की हैसियत के मुताबिक भरण-पोषण भत्ता तय
करता है. भरण-पोषण भत्ता की अधिकतम राशि दस हजार प्रतिमाह तय की गयी है. वैसे गरीब लोग जिनके बच्चे अर्थाभाव की वजह से माता-पिता की उचित देखभाल कर पाने में असमर्थ उनका बोझ सरकार उठाने का दावा करती है. समाज कल्याण विभाग ने इसके लिए निर्धन वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धाश्रम की व्यवस्था करने का निर्णय लिया था.
वृद्ध नागरिकों की समस्याओं और सुरक्षा को लेकर 14 को बैठक
सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 के तहत जिला प्रशासन की ओर से किये जा रहे कार्यों की समीक्षा 14 सितंबर को डीएम समाहरणालय सभा कक्ष में करेंगे. इसमें न्यायालय में चल रहे मामलों से संबंधित पांच मामलों के आवेदकों को बैठक में भाग लेने के लिए एसडीओ के स्तर से बुलाया जायेगा. साथ ही पूर्व में जो मामले निष्पादित किये गये हैं उनके आवेदकों को भी बैठक में बुलाया जायेगा.
सामाजिक सुरक्षा के सहायक निदेशक ने बताया कि इस बैठक में पटना जिला में चल रहे ओल्ड एज होम से 20 महिला एवं पुरुषों को आमंत्रित किया गया है. साथ ही इस दिशा में कार्य कर रही कुछ संस्थाएं को पता कर उन्हें भी बैठक में बुलाया जायेगा, ताकि एक्ट के संबंध में प्रभावी कार्रवाई की जा सके. साथ ही वृद्ध नागरिकों की समस्याअों का निदान किया जा सके.
साठ वर्ष से अधिक के बुजुर्ग को भी मेंटेनेंस के दावे का अधिकार
ऐसे बुजुर्ग जिनके बच्चे नहीं हैं और साठ वर्ष या इससे अधिक के हैं, वे भी मेंटनेंस का दावा कर सकते हैं. वे परिजनों से मेंटेनेंस की अपील कर सकते हैं. वे उन लोगों से कह सकते हैं, जिनको उत्तराधिकारी के रूप में उनकी संपत्ति मिलने वाली हो. इसका आवेदन उक्त बुजुर्ग को खुद ही देना होता है. देश में बुजुर्गों के लिए कई तरह की सुविधाएं भी हैं. जैसे रेल किराये में छूट, आयकर में छूट, बैंक-एफडी पर ज्यादा ब्याज आदि.
आलोक कुमार सिन्हा, अधिवक्ता, पटना हाइकोर्ट
बिहार के बुजुर्गों की सुरक्षा बहुत ही गंभीर प्रश्न है. बुजुर्गों को ना ता कोई कानूनी मदद मिलती है ना ही उन्हें सुरक्षा ही मिल पाती है. स्थानीय थाने भी उन्हें टहलाते हैं. इसकी वजह से बुजुर्गों की जान को खतरा बना रहता है. पटना के शिवपुरी में बुजुर्ग की हत्या इसकी एक बानगी भर है.
-गिरिश मिश्र, प्रमुख, हेल्पेज इंडिया
कानून को कैबिनेट से पास होने का इंतजार
रिटायर्ड डीएसपी राजकिशोर सिन्हा ने बिहार में सीनियर सिटीजन की सुरक्षा को लेकर कोई कानून नहीं बना है. जिसके कारण सीनियर सिटीजन की सुरक्षा को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. इसके लिए मापदंड तय हो चुके है, बस इसे कैबिनेट से पास किया जाना है और कानून बनाना है. इसके तहत लोकल थाना को अपने क्षेत्र के तमाम सीनियर सिटीजन की सूची तैयार करनी है, उनसे जा कर मिलना है, उनकी समस्या व हाल-चाल लेनी है. अगर उन्हें बाल-बच्चों से किसी प्रकार की समस्या है तो पहले काउंसलिंग और फिर दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान है. लेकिन इस पर कोई काम नहीं हाे रहा है.
थाने में सीनियर सिटीजन सेल बनाने का था निर्देश
एसएसपी मनु महाराज ने हर थाने में सीनियर सिटीजन सेल बनाने का निर्देश दिया था. इसके साथ ही उस सेल में एक एसआई रैंक के पदाधिकारी की तैनाती करने का निर्देश दिया था. ताकि सीनियर सिटीजन की समस्याएं थाना स्तर पर ही सुलझा ली जाये. लेकिन किसी भी थाने में सीनियर सिटीजन सेल नहीं है. अगर है भी तो वो कागजों में है. जिसके कारण सीनियर सिटीजन को अपनी समस्या के लिए वरीय पुलिस अधिकारियों की शरण में जाना पड़ता है. जबकि उनकी समस्या को थाना स्तर पर ही पहली प्राथमिकता के तौर पर निबटाना है.
बुजुर्ग महिला की हत्या के कारणों पर सस्पेंस
पटना : शास्त्रीनगर थाने के शिवपुरी में बुजुर्ग महिला आशा देवी (60) की नृशंस हत्या मामले में पुलिस ने मेड व किरायेदारों से सोमवार को पूछताछ की. इसके साथ ही शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों के हवाले कर दिया. जयपुर में रहने वाली एक बेटी कल ही आ गयी थी और एक और बेटी जमालपुर से सोमवार को पटना आयी. परिजनों ने महिला के शव का अंतिम संस्कार कर दिया.
लेकिन यह केस पुलिस के लिए काफी पेचीदा लग रहा है. क्योंकि किसी तरह का एंगल इसमें फिलहाल पुलिस के सामने नहीं आया है. आशा देवी अपने पति की मौत के बाद अकेले ही उस घर में रहती थी. घर में साफ-सफाई के लिए उन्होंने एक मेड रखा था. पांच दिन पहले उसी मेड की बहन घर में दिखी थी और फिर अगले दिन से मेड ही आती थी. शिवपुरी में जो मकान है उससे करीब 15 हजार किराया आता है.
वह दूसरे तल्ले पर रहती है और पहले और तीसरे तल्ले पर किरायेदार लगा रखा है. जबकि उनके देवर महेंद्र सिंह उसी मकान के पीछे रहते है. इसके साथ ही मकान में दोनों बेटियों को भी हिस्सा में एक-एक फ्लैट मिल गया था. इसके साथ ही चंडी की जमीन के संबंध में पुलिस फिलहाल छानबीन कर रही है कि उसमें बंटवारा हुआ था या नहीं? आशा देवी का सारा गहना बैंक के लॉकर में रहता था.
मेड ने कहा कि वह काम कर नौ बजे चली गयी थी घर
मेड ने पूछताछ में बताया कि वह काम कर नौ बजे ही चली गयी थी. इसका मतलब है कि साढ़े नौ बजे से लेकर एक बजे दिन के बीच ही उनकी हत्या हुई है. अब इस घटना को किसने अंजाम दिया, यह पुलिस के लिए पहेली बनी हुई है.
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