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हमारा कुसूर केवल इतना कि हम “बिहार सरकार” के पेंशनर हैं
मेडिकल में मदद के नाम पर 200 महीने भत्ता राज्य सरकार के लगभग चार लाख पेंशनर्स को मुफ्त में मेडिकल फैसलिटी नहीं मिलती है. राज्य में पेंशनर्स समाज के 350 ब्रांच में लगभग चार लाख कर्मचारी जुड़े हुए हैं. यहां पेंशनर्स को मेडिकल में मदद के नाम पर 200 रुपया महीने का मेडिकल भत्ता दिया […]
मेडिकल में मदद के नाम पर 200 महीने भत्ता
राज्य सरकार के लगभग चार लाख पेंशनर्स को मुफ्त में मेडिकल फैसलिटी नहीं मिलती है. राज्य में पेंशनर्स समाज के 350 ब्रांच में लगभग चार लाख कर्मचारी जुड़े हुए हैं. यहां पेंशनर्स को मेडिकल में मदद के नाम पर 200 रुपया महीने का मेडिकल भत्ता दिया जाता है. जिसकी आज की महंगाई के दौर में क्या अहमीयत है वह आप सब जानते हैं. पेंशनर संगठनों ने इसके लिए लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी लेकिन अभी तक इन्हें इसके अतिरिक्त कोई मदद नहीं मिलती है.
पेंशनर को नहीं मिलती है मुफ्त चिकित्सा सुविधा, एसोसिएशन से चार लाख कर्मचारी हैं जुड़े
झारखंड-यूपी में कैशलेस मिलती है चिकित्सा सुविधा : झारखंड और यूपी में चिकित्सा सुविधा कैशलेस मिलती है. इससे इलाज से पहले धन इकट्ठा करने और बाद में भुगतान कराने में आने वाली परेशानियों से राहत मिलती है. झारखंड में कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदेश के लाखों कर्मचारी, अधिकारी और रिटायर कर्मियों को मिलती है.
इसके अतिरिक्त पेंशनर्स को 300 रुपये प्रति महीने का भत्ता भी मिलता है. यूपी में भी कैशलेस चिकित्सा सुविधा मिलती है. गंभीर बीमारियों का इलाज हेल्थ कार्ड के जरिये पीजीआइ, लोहिया, रिम्स सैफई तथा मेडिकल काॅलेजों के साथ प्रदेश के बड़े चिह्नित प्राइवेट अस्पतालों जिसमें टाटा मेमोरियल मुंबई आदि शामिल हैं, वहां इलाज कराया जाता है.
केंद्रीय पेंशनरों को हजार रुपये महीने के साथ मुफ्त इलाज : इसके उलट यदि आप केंद्रीय पेंशनर हैं तो एक हजार रुपये महीने के साथ आपको इलाज के सारे खर्च वापस मिल जाते हैं. इसके लिए शर्त केवल यह है कि आपको अपना इलाज केंद्रीय अस्पताल यानी सीजीएचएस में कराना होगा. केंद्रीय कर्मचारियों को पहले पांच सौ रुपये महीने का चिकित्सा भत्ता मिलता था जो 2017 से ही बढ़कर एक हजार रुपये हो गया है. इससे वे छोटी मोटी बीमारियों का इलाज अपने पास के निजी अस्पतालों में भी कराते हैं.
नवरत्न और महारात्न कंपनियों के कर्मियों को परिवार का भी मेडिकल खर्च : नवरत्न और महारत्न कंपनियों के कर्मचारियों के लिए सबसे बेहतर मेडिकल सुविधाएं दी जाती है. नवरत्न और महारत्न में अभी कुल 23 कंपनियां शामिल हैं. इसमें हर कर्मचारी कंपनी की ओर से इंश्योर्ड होते हैं. इसके साथ ही परिवार के सभी सदस्य का भी मेडिकल बीमा दिया जाता है. हरेक शहर में सबसे बड़े अस्पतालों में मेडिकल की सुविधा दी जाती है. पत्नी और बच्चों को भी सभी सुविधाएं मिलती है.
इस राशि में तो किसी डाॅक्टर के पास पुर्जा भी नहीं कटा सकते
हम पेंशनर को यह कहते गुरेज नहीं है कि हमारा दुर्भाग्य है कि हम बिहार में रहते हैं. यह देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां के लगभग 4 लाख पेंशनर्स को मुफ्त में चिकित्सा सुविधा नहीं मिलती है. सुविधा के नाम पर हमें केवल 200 रुपये महीना चिकित्सा भत्ता मिलता है. इस राशि में तो किसी डाॅक्टर के पास आप पुर्जा भी नहीं कटा सकते हैं. इसके कारण अभी 80 प्रतिशत पेंशनर समुचित इलाज नहीं करा पाते हैं.
रविशंकर सिन्हा, महासचिव, बिहार पेंशनर समाज
केस – 1
बिहार सरकार में सहकारिता प्रसार पदाधिकारी पद से सेवानिवृत्त भोला प्रसाद जब बीमार हुए तो पाटलिपुत्र चौराहे के पास स्थित एक प्राइवेट हाॅस्पीटल में भरती हुए. उनका बीपी बढ़ गया था और बुढ़ापे के कारण अन्य कई व्याधियां थीं. उनके ही वार्ड में दो केंद्रीय कर्मचारी भी भर्ती थे. जब भोला बाबू रीलिव हुए तो 40 हजार का बिल देना पड़ा, जबकि केंद्रीय कर्मचारियों के सारे बिल रिम्बर्स हो गये.
केस – 2
बेलछी अंचल में राजस्व कर्मचारी पद से रिटायर्ड शंभु शरण सिन्हा को शुगर की बीमारी ने जकड़ रखा है. सुनाई भी कम देता है. एक-दो बार इलाज कराया लेकिन मर्ज अभी गया नहीं है. वे अस्पताल नहीं जा रहे हैं क्योंकि उनके पास हजारों रुपये नहीं हैं. वे कहते हैं कि हम तो बिहार सरकार के कर्मचारी थे न हमें तो केवल 200 रुपये मेडिकल भत्ता मिलता है. इतने में तो अस्पताल में पुर्जा भी नहीं कटता है.
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