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बिहार मॉनसून सत्र : अंतिम दिन भी नहीं चली विस, विपक्ष का हंगामा

पक्ष-विपक्ष में चला आरोप-प्रत्यारोप का दौर पटना : मॉनसून सत्र के आखिरी दिन भी विधानसभा में पक्ष और विपक्ष के विधायक आपस में उलझ गये और जमकर एक-दूसरे पर छींटाकशी की. राजद विधायक सरकार पर जहां खजाना चोरी का आरोप लगा रहे थे, वहीं सत्ता पक्ष के विधायक विपक्ष के लिए चोर मचाये शोर का […]

पक्ष-विपक्ष में चला आरोप-प्रत्यारोप का दौर
पटना : मॉनसून सत्र के आखिरी दिन भी विधानसभा में पक्ष और विपक्ष के विधायक आपस में उलझ गये और जमकर एक-दूसरे पर छींटाकशी की. राजद विधायक सरकार पर जहां खजाना चोरी का आरोप लगा रहे थे, वहीं सत्ता पक्ष के विधायक विपक्ष के लिए चोर मचाये शोर का नारा दे रहे थे. विपक्ष के विधायक वेल में आ गये और रिपोर्टिंग टेबल को भी इधर-उधर कर दिया.
हंगामे और विपक्ष के वाकआउट के बीच विधानसभा में पहली पाली में 22 मिनट ही सदन की कार्यवाही चल सकी. इसी दौरान सरकार ने कई प्रतिवेदनों को सदन की पटल पर रखा. सदन में वित्त, वाणिज्यकर, श्रम संसाधन और पशु व मत्स्य संसाधन विभाग के जुड़े प्रतिवेदनों को पटल पर रखा गया. वहीं, सभा सचिव ने 38 याचिका मिलने की जानकारी दी. बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने सृजन घोटालों को व्यापम घोटाले से बड़ा घोटाला बताया और गवाहों की मौत पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि नाजिर महेश मंडल के साथ-साथ घोटाले के किंगपिन माने जाने वाले और स्व मनोरमा देवी के करीबी की मौत का मामला संदिग्ध लग रहा है. मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है और व्यापम घोटाला से बड़ा घाटोला के रूप में निकल कर सामने आयेगा.
कार्यस्थगन प्रस्ताव अमान्य किये जाने के बाद राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि वे तो चाहते हैं सामान्य ढंग से सदन चले, लेकिन सरकार नहीं चाहती है. अगर मामले पर बोलने दिया जाये तो बिहार सरकार के कोई मंत्री जबाव नहीं दे सकते हैं.
स्पीकर ने लगायी फटकार
स्पीकर विजय कुमार चौधरी ने सत्ता पक्ष के विधायकों को फटकार लगायी. उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग जब सदन चलने देना नहीं चाहते हैं तो आप लोग इसमें उन्हें सहयोग क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि कार्यस्थगन प्रस्ताव रखने का अपना एक समय होता है. उस समय वे अपना नियमन देंगे. ऐसे प्रश्न काल बाधित करने से किसी भी समस्या का तो हल नहीं हो सकता है.
शुक्रवार को विधानसभा में 78 गैर सरकारी संकल्प रखा गया, लेकिन सदन की सहमति से सभी प्रस्ताव वापस ले लिया गया. इसके बाद अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया. भोजनावकाश के बाद सदन करीब एक घंटे 24 मिनट चली. भोजनावकाश के बाद सदन में विपक्ष के एक भी सदस्य नहीं पहुंचे. सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मौजूद थे.
राजद सदस्यों को मार्शल ने किया बाहर, मामला आचार समिति को सुपुर्द: विधान परिषद में वेल में पहुंच कर हंगामा करने, असंसदीय शब्दों के बोलने व कार्य संचालन नियमावली के अनुरूप आचरण नहीं करने के कारण राजद के पांच सदस्यों को मार्शल ने सदन से बाहर किया.
उपसभापति मो हारुण रशीद के निर्देश पर राजद सदस्य सुबोध कुमार, रणविजय सिंह, कमरे आलम, राधाचरण सेठ व दिलीप राय को बाहर किया गया.
उपसभापति ने राजद सदस्यों के आचरण को लेकर जदयू सदस्य नीरज कुमार के प्रस्ताव पर सदन की सहमति से मामले को आचार समिति को सुपुर्द कर दिया.उपसभापति ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में राबड़ी देवी ने कहा कि वेल में कोई नहीं जाये कानून बना दीजिए. हमने कहा कि नियमावली में प्रावधान है. आचार समिति बनी हुयी है.
जब लोग वेल में जायेंगे व कानून को हाथ में लेंगे तो उनकी सदस्यता समाप्त होगी. इसका भी उनलोगों पर असर नहीं पड़ा. पांच दिनों से टेबुल उलटने का काम, रिपोर्टर को सीट से हटाने का काम, उपमुख्यमंत्री के मुंह पर जाकर अपशब्द कहने का काम हुआ है.
नीरज कुमार, केदार पांडेय, संजीव श्याम सिंह, रजनीश कुमार व अवधेश नारायण सिंह का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने अपनी भावना जो मेरी भावना थी उससे सदन को अवगत कराया. इससे पहले राजद सदस्यों के आचरण को लेकर नीरज कुमार ने कहा कि जो आचरण पेश हुआ है वह संसदीय जीवन को कलंकित करनेवाला है. जिस ढंग का राजनीतिक व्यवहार कर रहे हैं यह निंदाजनक व खेदजनक है. भाकपा के केदारनाथ पांडेय ने कहा कि भारी दल वाले विपक्ष के लोग के सामने हम जैसे छोटे दलों के लोग की आवाज बंद हो जाती है.
रालोसपा के संजीव श्याम सिंह ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में विपक्ष का जिस तरह का व्यवहार था वह शोभनीय नहीं था. कार्य संचालन नियमावली के तहत जिस तरीके का व्यवहार अपेक्षित था उसी तरह का व्यवहार किया जाना चाहिए. भाजपा के रजनीश कुमार ने कहा कि जिस तरह मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री पर असंसदीय टिप्पणी की जा रही है वह नियम के प्रतिकूल है. नीरज कुमार ने जो प्रस्ताव दिया है उसका समर्थन करता हूं.
पूर्व सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि पूरे देश में यह पहला सदन है जहां आचार समिति बनायी गयी. आचरण को लेकर सदन के बाहर या अंदर हो इस पर कार्रवाई करने का प्रावधान है. इस मामले को आचार समिति को सौंपा जाये. विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होते ही राजद सदस्य वेल में पहुंच कर हंगामा करने लगे. वे असंसदीय शब्द का भी प्रयोग कर रहे थे. उपसभापति के बार-बार आग्रह करने पर भी राजद सदस्य मानने को तैयार नहीं थे.
जबतक सीएम व डिप्टी सीएम इस्तीफा नहीं देते विरोध जारी : राबड़ी
पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने कहा कि विधान मंडल का सत्र इस बार चलने नहीं दिया गया और आगे भी चलने नहीं दिया जायेगा, जब तक कि सीएम और डिप्टी सीएम इस्तीफा नहीं दे देते. सृजन घोटाले मामले में इन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. ताकि इस मामले की निष्पक्ष जांच करवायी जा सके. इस मामले की न्यायिक जांच करवाने की मांग करते हुए कहा कि सरकार इस घोटाले में फंसे भाजपा के बड़े नेताओं को बचाना चाहती है. इस वजह से जांच की दिशा को गलत दिशा में मोड़ा जा रहा है और इससे संबंधित सबूत भी मिटाये जा रहे हैं.
आठ मिनट ही चली विधान परिषद की पहली पाली
बिहार विधान परिषद की पहली पाली आठ मिनट ही चली. शुक्रवार को पहली पाली की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई अन्य दिनों की तरह ही कांग्रेस के दिलीप कुमार चौधरी ने बाढ़ राहत में धांधली और राजद के सुबोध कुमार समेत अन्य सदस्यों ने सृजन घोटाले का मामला उठाते हुए कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किया.
परंतु फिर इनके प्रस्ताव नियमानुसार नहीं होने के कारण अस्वीकृत हो गये. इसके बाद पिछले दिनों की तरह सभी विपक्षी दल वेल में आ गये और सरकार विरोधी नारे लगाने लगे. हंगामा काफी बढ़ता देख उपसभापति हारुण रसीद ने कार्यवाही भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दी. हंगामा के दौरान इस बार सत्ता पक्ष वाले भी विपक्षी दलों पर जोर-जोर से शोर करके आरोप लगा रहे थे कि भ्रष्टाचारी ही उठा रहे सरकार पर सवाल. परिषद की कार्यवाही स्थगित करने से पहले सभी प्रश्नों के उत्तर सदन के पटल पर रख दिये गये.
धमकी से नहीं, नियम से चलता है सदन : श्रवण
राजद विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी की बातों से संसदीय कार्यमंत्री श्रवण कुमार भड़क गये. उन्होंने कहा कि किसको धमका रहे हैं. धमकी से सदन नहीं चलता है. सदन की कार्यवाही नियम और नियमावली से चलती है. कार्यस्थगन प्रस्ताव अस्वीकृत होने के बाद कांग्रेस विधायक विजय शंकर दूबे के बोलने पर संसदीय कार्य मंत्री ने आपत्ति जतायी.
उन्होंने कहा कि जब कार्यस्थगन प्रस्ताव में उनका नाम नहीं था तो फिर वे कैसे बोल सकते हैं? जब मन करेगा तब नहीं बोल सकते हैं, नियम के अनुसार ही बोल सकते हैं. श्रवण कुमार ने कहा कि सृजन का मामला 2003 से ही चला आ रहा है. सीबीआइ को जांच सौंप दी गयी है. सरकार बहस के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष इससे भाग रहा है. जब बहस होगी तो सत्यता का पता चलेगा और इससे विपक्ष के पैर के नीचे की जमीन खिसक जायेगी.

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