पटना: यहां सब भूल-भुलैया है, क्लास ढ़ूंढ़ें या गुरुजी. क्योंकि, किसी एक विद्यालय या क्लास सोच कर अंदर प्रवेश कर रहे हैं, तो हो सकता है कि आप दूसरे विद्यालय में पहुंच जायें. यह स्थिति है तारामंडल स्थित कन्या मध्य विद्यालय अदालत गंज का. वहां एक नहीं, चार विद्यालय चल रहे हैं. परिसर के अंदर अलग-अलग विद्यालयों के लगे साइन बोर्ड भी कुछ इस तरह से हैं कि उनकी सही-सही जानकारी नहीं मिल पाती है. पहुंचने पर विद्यालय और क्लास दोनों ढूंढ़ने पड़ते हैं.
10 में से एक कमरा कार्यालय के लिए : राजकीय कन्या मध्य विद्यालय में मात्र 10 कमरे हैं. एक कमरे में कार्यालय होने से नौ कमरों में ही बच्चे पढ़ाई करते हैं. बच्चों की संख्या 560 और शिक्षक 12 हैं. इन्हीं नौ कमरों में राजकीय कन्या मध्य विद्यालय के अलावा तीन और स्कूल चलते हैं. ये स्कूल हैं बालक मध्य विद्यालय गोलघर पार्क, प्राथमिक विद्यालय झुग्गी-झोंपड़ी मुसहरी व जेडी बालिका उच्च विद्यालय.
अब इसी भवन में स्पेशल चाइल्ड के लिए अलग से एक डे केयर सेंटर भी खोल दिया गया है, जहां मंद बुद्धि के बच्चों को भी पढ़ाया जाना है. तीन विद्यालय मॉर्निग में चलाये जाते हैं और एक डे में चलता है. मॉर्निग स्कूल सुबह 6.30 से 11.30 बजे तथा एक का टाइम है सुबह 10 से शाम चार बजे तक. कमरे कम होने से कोई उनके अंदर तो कोई बरामदे पर बैठ कर पढ़ाई करता है. विद्यालयों में बच्चों की भीड़ एकत्रित न हो, इसके लिए आने के लिए भी बच्चों को लाइन लगानी होती है, छुट्टी के समय भी ऐसी ही व्यवस्था होती है. छुट्टी के समय अफरातफरी की स्थिति नहीं हो, इसके लिए विद्यालयों में समय से पहले ही छुट्टी होने लगती है.
इसके पीछे एक कारण यह भी है कि डे वाले विद्यालय के बच्चों के आने का टाइम हो जाता है. यहां तक कि कमरे की कमी से उच्च विद्यालय भी मॉर्निग में चलाये जा रहे हैं, जबकि उच्च विद्यालय का टाइम 10 से 4 बजे का है. विद्यालय परिसर में भवन निर्माण का कार्य किया जा रहा है. इसके चलते निर्माण सामग्री जहां-तहां पड़ी हुई है. गिट्टी व बालू से परिसर भरा पड़ा है. वहीं बोरिंग का कार्य होने से विद्यालय परिसर का एक भी कोना खाली नहीं है, जहां बच्चे बाहर में खड़े हो सके. निर्माणाधीन कार्य से गाय-बकरियां भी कैंपस में टहलती हुई दिख जायेंगी. अब तो लोकसभा चुनाव की सामग्रियों को रखने के लिए अतिरिक्त दो कमरे रिजर्व कर लिये गये हैं.
प्राचार्यो में अनबन की स्थिति : प्राचार्यो में अनबन की स्थिति बनी रहती है. गर्दनीबाग अंचल में दूसरे अंचल के विद्यालय होने से कक्षा में तोड़-फोड़, शौचालय में तालाबंदी आदि की शिकायतें हमेशा मिलती रहती हैं. इसका खामियाजा बच्चे भुगतते हैं. कई बार तो शौचालय में यह कह कर ताला लगा दिये जाते हैं कि आपके विद्यालय के बच्चे गंदा कर रहे हैं.