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जीत के बाद पेटी में बंद कर दिया जाता है घोषणा पत्र

पटना: मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित व सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह ने कहा कि कोई भी पार्टी देश की जरूरत के अनुसार जन घोषणापत्र नहीं बनाती है, बल्कि चुनावी जीत के लिए बनाती है. आजादी के बाद लंबे समय तक कांग्रेस सत्ता में रही. उसका जन घोषणापत्र देख लीजिए, पता चल जायेगा. चुनाव से पहले घोषणा […]

पटना: मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित व सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह ने कहा कि कोई भी पार्टी देश की जरूरत के अनुसार जन घोषणापत्र नहीं बनाती है, बल्कि चुनावी जीत के लिए बनाती है.

आजादी के बाद लंबे समय तक कांग्रेस सत्ता में रही. उसका जन घोषणापत्र देख लीजिए, पता चल जायेगा. चुनाव से पहले घोषणा पत्र जारी होता है और जीतने के बाद पेटी में बंद कर दिया जाता है. किसी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र के अनुसार काम नहीं किया गया है. श्री सिंह गुरुवार को जल जन जोड़ो अभियान द्वारा एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में ‘जल लोकादेश के लिए लोक संवाद’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

नाला बन गयी गंगा : उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 1984 के अपने घोषणापत्र में गंगा की सफाई को शामिल किया, परिणाम यह निकला की पूर्ण बहुमत में कांग्रेस पार्टी आयी और राजीव गांधी की सरकार बनी. लोग कहते हैं कि इंदिरा की हत्या हुई, तो इमोशनल होकर लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया, लेकिन हकीकत यह है कि सेकुलर पार्टी गंगा की सफाई की बात कर रही थी. इसका लाभ कांग्रेस को मिला. वर्ष 84 से लेकर अब तक तीन हजार करोड़ रुपये खर्च हो गये, लेकिन गंगा पहले गंदा थी, अब नाला बन गयी है. टिहड़ी बांध बना कर भाजपा सरकार ने गंगा की हत्या कर दी. इसके साथ ही अटल बिहार वाजपेयी ने देश की नदियों को जोड़ने की घोषणा की, जो विदेशी कंपनियों को लाभ पहुंचाने की कवायद थी. इससे जल संकट दूर नहीं होनेवाला था.

यह कैसा शहरीकरण : सामाजिक कार्यकर्ता पीवी राजगोपाल ने कहा कि सामाजिक आंदोलनों को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है. यही कारण की जंतर मंतर हो या किसी राज्य में धरना या सत्याग्रह पर बैठने के लिए जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि बचपन से पढ़ते हैं कि भारत गांवों का देश है और 70 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षो से आवाज आ रही है कि 60 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं. आजादी के बाद से अब तक 93 हजार गांव देश के नक्शे से खत्म हो गये, यह कैसा शहरीकरण हो रहा है. देश में शहरीकरण गांवों के विनाश पर ही संभव है. मौके पर इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ डीएम दिवाकर, भाजपा नेता संजय पासवान, कांग्रेस के रंजीत कुमार मिश्र, आप के महेंद्र यादव सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये.

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