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देश में पहली बार हुआ 109 (क) के तहत विश्वासमत, तीसरी बार लॉबी डिवीजन
विधानसभा लाइव : विश्वासमत को लेकर पहली बार स्थिति स्पष्ट की गयी पटना : बिहार विधानसभा व देश में पहली बार नियम 109 (क) के तहत विश्वासमत लाया गया. सदन की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली में अविश्वास मत को लेकर विस्तार से चर्चा है. पर, विश्वासमत को लेकर पहली बार स्थिति स्पष्ट की गयी. […]
विधानसभा लाइव : विश्वासमत को लेकर पहली बार स्थिति स्पष्ट की गयी
पटना : बिहार विधानसभा व देश में पहली बार नियम 109 (क) के तहत विश्वासमत लाया गया. सदन की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली में अविश्वास मत को लेकर विस्तार से चर्चा है. पर, विश्वासमत को लेकर पहली बार स्थिति स्पष्ट की गयी. इसके तहत विधानसभा अध्यक्ष ने इस विशेष सत्र में कैिबनेट द्वारा लाये गये विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की अनुमति दी. विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने बताया कि देश के इतिहास में ऐसा पहली बार 109 (क) के तहत विश्वासमत लाया गया. इस संबंध में संविधानविद् सुभाष कश्यप से भी बात की.
चार दलों के मुख्य सचेतक नियुक्त : विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि सदन में चार नेताओं को उनके दल के मुख्य सचेतक के रूप में मान्यता दी गयी है. जदयू की ओर से श्रवण कुमार व भाजपा के अरुण कुमार सिन्हा, जबकि राजद की ओर से ललित यादव व कांग्रेस मो जावेद को मुख्य सचेतक बनाया गया है. इसके पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने सीएम नीतीश कुमार को सदन का नेता और तेजस्वी प्रसाद यादव को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दी.
तीसरी बार लॉबी डिवीजन से मतदान : बिहार विधानसभा के इतिहास में तीसरी बार लॉबी डिवीजन से सरकार ने विश्वासमत प्राप्त किया.
विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने बताया कि पहली बार राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्व काल में 28 जुलाई, 1997 को लॉबी डिवीजन से सरकार ने विश्वासमत हासिल किया था. दूसरी बार जीतनराम मांझी सरकार ने 11 मार्च, 2015 को व तीसरी बार शुक्रवार को नीतीश कुमार की सरकार ने इस तरीके से विश्वासमत प्राप्त किया. लॉबी डिवीजन में सत्ता पक्ष व विपक्ष के सदस्यों को अलग-अलग लॉबी में रखे गये रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने पड़ते हैं. हस्ताक्षर को ही वोट मान लिया जाता है.
क्या है नियम 109 (क)
पहले विश्वासमत प्रस्ताव के लिए अलग से कोई नियम नहीं था. नियम 41 के तहत ही अविश्वास प्रस्ताव व विश्वासमत प्रस्ताव दोनों सदन में पेश किये जाते थे. लेकिन, अब विश्वासमत प्रस्ताव के लिए अलग से नियम 109 (क) बनाया गया है, जिसमें इसकी पूरी प्रक्रिया का स्पष्ट जिक्र है. यह नियम हाल ही में बिहार विधानसभा की पहल पर ही बनाया गया है.
आरोपों और हंगामे के बीच बहुमत साबित
पटना : बिहार विधान सभा का विशेष सत्र शुक्रवार को बुलाया गया और इसमें एनडीए की सरकार एक बार फिर से राज्य में बन गयी. इस विशेष सत्र के दौरान पूरा विधानसभा का माहौल बदला हुआ दिखा. कल तक जो सदन में सत्ता पक्ष की तरफ बैठते थे, आज वे विपक्ष में बैठे हुए थे.
सदन की पूरी कार्यवाही के दौरान माहौल गहमागहमी, टीका-टिप्पणी, आरोप-प्रत्यारोप और हंगामा से भरा रहा. सदन की कार्यवाही शुरू करने की घोषणा जैसे ही अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने की, सबसे राजद विधायक भाई बिरेंद्र अपनी सीट पर खड़े होकर हंगामे की शुरुआत करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाये, कहा ‘मुख्यमंत्री होश में आओ, होश में आओ’. इसके साथ ही राजद के सभी विधायक ‘शेम-शेम’ कहने लगे.
इसी हंगामा के बीच नये नेता प्रतिपक्ष और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव ने बोलना शुरू किया और सबसे पहले अपने विधायकों को शांत करवाया. नेता प्रतिपक्ष ने अपने भाषण की शुरुआत महागठबंधन तोड़ने को धोखा बताते हुए की, फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, फिर भाजपा और सुशील मोदी पर एक-एक करके अंत तक जोरदार हमला करते चले गये. इस दौरान सभी मौजूदा सदस्य लगातार एक-दूसरे पर टिका-टिप्पणी और कटाक्ष करते रहे. ये कटाक्ष काफी तल्ख और आक्रोश से भरे थे, सामान्य और सहज मूड वाले हमले इस दौरान नहीं दिखे. बेहद ही कम ऐसे क्षण दिखे, जब सदन में किसी बात पर हंसी गुंजी.
तेजस्वी प्रसाद यादव के भाषण के दौरान बीच-बीच में ऐसे कई मौके आये, जब राजद के सभी विधायक जमकर सरकार विरोधी नारे लगाते रहे. भाषण के दौरान दो-तीन बार ऐसे मौके भी आये, जब दोनों तरफ से जोरदार तकरार की स्थिति पैदा हो गयी. कुछ विधायक तो इतने आक्रोशित हो गये कि देखकर लग रहा था कि वे हाथापाई करने तक उतारू हो सकते हैं. एक बार डिप्टी सीएम ने कहा कि ‘तेजस्वी एक बहाना था, इनको बीजेपी में जाना था’. इस पर जमकर हंगामा हुआ. पूरे भाषण के दौरान दोनों तरफ से सदस्य लगातार एक दूसरे पर टिका-टिप्पणी करते रहे. अपने भाषण के दौरान एक जगह तेजस्वी ने सुशील कुमार मोदी पर एक ऐसे शब्द का प्रयोग कर दिया कि इस पर जमकर हंगामा होने लगा. भाजपा के सारे सदस्य आक्रोशित हो गये.
इस पर अध्यक्ष ने इस शब्द को विधानसभा की कार्यवाही से विलोपित कर दिया. हालांकि तेजस्वी यादव लगातार यह कहते रहे कि यह शब्द कहीं से असंसदीय नहीं है, इसे हटाया नहीं जाये. तेजस्वी के बाद भाजपा की तरफ से नंद किशोर यादव, सुशील कुमार मोदी समेत अन्य सदस्यों ने पटलवार किया, तो इस दौरान भी जमकर हंगामा हुआ.
नंद किशोर यादव ने ललित यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि ललितजी आपकी पोल खोल दें. 2015 में आप आये थे मेरे पास टिकट मांगने. 2020 में भी आइयेगा, तो जरूर टिकट देंगे. इस पर ललित यादव बौखला गये और चुनौती तक दे दिया कि अगर यह बात सही होगा, तो वह विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे. कांग्रेस के सदानंद सिंह ने जैसे ही बोलना शुरू किया, तो भाजपा के एक सदस्य ने कुछ टिप्पणी की. इस पर उन्होंने कहा कि आप मत ही बोलिये, खुद तीन बार पार्टी बदल चुके हैं.
अंत में जब राजद बहुमत हार गयी, तो सभी सदस्य हंगामा करते हुए बाहर चले गये. वोटिंग करने की घोषणा से लेकर बाद तक तेजस्वी गुप्त मतदान की मांग करते रहे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इसे सिरे से खारिज कर दिया.
विधानसभा परिसर में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था
पटना : शुक्रवार को विश्वासमत को लेकर बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र में सुरक्षा व्यवस्था काफी पुख्ता रही. विधानसभा की पोर्टिको में विधायकों के अलावा किसी को खड़े होने तक की इजाजत नहीं थी. यहां तक कि मीडिया वाले को भी पोर्टिको से दूर रखा गया था. मीडियावाले को भी वहां खड़ा होने की मनाही थी. पोर्टिको में अनावश्यक भीड़ नहीं लगे इसके लिए विधायकों को छोड़ कर अन्य लोगों को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किये गये थे.
घेरा बनाकर खड़ी पुलिस किसी को पोर्टिको में जाने नहीं दे रही थी. अगर किसी तरह पोर्टिको के समीप कोई चला जाता तो पल भर में वहां से निकाल दिया जाता. पोर्टिको के पास सुरक्षा व्यवस्था देखने का काम वरीय पुलिस अधिकारी खुद कर रहे थे. विधानसभा के मुख्य द्वार पर भी पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था थी. बिना पास के विधानसभा परिसर में जाने की इजाजत नहीं थी. विश्वासमत को लेकर विधायकों का आना सुबह दस बजे से ही शुरू हो गया था.
सीएम के ऑफिस में रही गहमागहमी
विधान सभा की कार्यवाही शुरू होने के पहले डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी समेत दर्जनों भाजपा सदस्य सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात करने पहुंचे और अपनी एकजुटता जाहिर की. विधानसभा में बहुमत हासिल करने के बाद सदन के अंदर सीएम और डिप्टी सीएम को बधाई.
इसके बाद जैसे ही सीएम विधानसभा स्थित अपने कक्ष में गये, वैसे ही गुलदस्ता लेकर बधाई देने वालों का तांता लग गया. इसमें भाजपा के कई पूर्व मंत्री भी शामिल थे. इसमें कुछ विधायक ऐसे भी थे, जो इस बार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. फिर भी वे बधाई देने पहुंचे हुए थे.
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