Advertisement
खासमहाल नीति को नहीं मान रहे लीजधारक
खासमहाल जमीन का हो रहा व्यावसायिक उपयोग प्रमोद झा पटना : राज्य में खास महाल जमीन का प्रबंधन सही तरीके से नहीं होने से सरकार पसोपेश में है. सरकार ने खासमहाल की अधिकांश जमीन आवासीय उपयोग के लिए दी है, लेकिन वर्तमान में इसका व्यावसायिक उपयोग खूब होने लगा है. अभी तक खासमहाल की वास्तविक […]
खासमहाल जमीन का हो रहा व्यावसायिक उपयोग
प्रमोद झा
पटना : राज्य में खास महाल जमीन का प्रबंधन सही तरीके से नहीं होने से सरकार पसोपेश में है. सरकार ने खासमहाल की अधिकांश जमीन आवासीय उपयोग के लिए दी है, लेकिन वर्तमान में इसका व्यावसायिक उपयोग खूब होने लगा है. अभी तक खासमहाल की वास्तविक जमीन के बारे में सही तथ्य नहीं मिलने से सरकार को राजस्व हानि हो रही है. जमीन का व्यावसायिक उपयोग कर लीजधारक मालामाल हो रहे हैं, जबकि सरकार को लगान के रूप में औने-पौने राशि मिल रही है. पटना, मुंगेर, भागलपुर, कैमूर, रोहतास सहित 20 जिले में खासमहाल की जमीन है. मिली जानकारी के अनुसार लगभग 150 एकड़ जमीन की अभी भी बंदोबस्ती नहीं हुई है. केवल पटना जिले में लगभग पांच सौ एकड़ जमीन की बंदोबस्ती कर लीजधारकों को दी गयी. माना जा रहा है कि सरकार ने सम्मानित व्यक्तियों को आवासीय उपयोग के लिए 30 साल के लिए लीज पर जमीन दी.
वर्तमान में अधिकांश जमीन का व्यावसायिक उपयोग हो रहा है. इतना ही नहीं लीजधारकों द्वारा लीज का नवीकरण नहीं करने से यह भी जानकारी नहीं मिल रही है कि जमीन अभी किसके कब्जे में है. इसका फायदा जमीन माफिया उठा रहे हैं. सरकार ने खास महाल की जमीन के लिए वर्ष 2011 में खास महाल नीति बनायी, लेकिन नीति में नियमों को लेकर आपत्ति व्यक्त की गयी है. इससे नीति कारगर ढंग से प्रभावी नहीं हो सकी. नयी नीति के खिलाफ लीजधारक न्यायालय की शरण गये हैं. सरकार ने खासमहाल जमीन के लिए वर्ष 2011 में खासमहाल नीति बनायी. लेकिन वह प्रभावी ढंग से कारगर नहीं हो रही है.
नीति को लेकर लीजधारकों ने आपत्ति व्यक्त की है. नयी नीति में लीज की अवधि पूरा होने पर उसका नवीकरण करने के समय जमीन का मार्केट वैल्यू का पांच फीसदी नवीकरण सलामी के रूप में लिया जायेगा. सालाना लगान को बढ़ा कर मार्केट वैल्यू का 0़ 5 फीसदी होगा. व्यावसायिक उपयोग करनेवाले लीजधारकों को 10 फीसदी नवीकरण सलामी देना है. लीज का नवीकरण नहीं करनेवाले को 90 दिनों तक नयी शर्त पर लीज लेने का ऑफर मिलेगा. फ्रेश लीज कराने पर मार्केट वैल्यू के बराबर सलामी व सलामी का दो फीसदी आवासीय व पांच फीसदी व्यावसायिक सालाना लगान लिया जायेगा.
विभागीय सूत्र ने बताया कि जब से नीति बनी है उसके बाद बंदोबस्त होनेवाली जमीन पर नयी नीति कारगर हो सकती है. नीति में यह उल्लेख नहीं है कि पूर्व के मामले में यह लागू होगा या नहीं. इसे लेकर लीजधारक आपत्ति व्यक्त कर रहे हैं. व्यावसायिक उपयोग करनेवाले को तो राहत मिल सकती है, लेकिन आवासीय उपयोग करनेवाले को परेशानी है. इस वजह से लीजधारक न्यायालय की शरण गये हैं, जिससे नीति प्रभावी नहीं हो रही है.
जमीन का वास्तविक ब्योरा नहीं है उपलब्ध
जिले में खास महाल की जमीन का ब्योरा तैयार नहीं होने से सही आंकड़े नहीं मिल रहे हैं. जबकि जमीन के प्रबंधन की जिम्मेवारी जिला प्रशासन की है. राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने पाया है कि जिले में खासमहाल की भूमि का संधारण व अप टू डेट के काम की उपेक्षा होती है. लीज पर दी गयी जमीन का नवीकरण कब होना है इसकी जानकारी नहीं होती है.
यहां तक कि लीजधारक को नोटिस भी नहीं दी जाती है. लीजधारी के यहां कई साल का लगान बकाया रहता है. सरकार को समय पर राजस्व प्राप्त नहीं होता है. इसे लेकर राजस्व व भूमि सुधार विभाग जिले में डीएम से खास महाल की जमीन के बारे में अद्यतन रिपोर्ट की मांग करती है. सही आंकड़े नहीं होने का फायदा जमीन माफिया उठाते हैं. राजस्व कर्मियों के साथ तालमेल कर उसे रैयती जमीन बता कर दाखिल खारिज कर दिया जा रहा है. खासमहाल की जमीन पर लोगों का अवैध कब्जा है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement