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मनमानी फीस, रेट लिस्ट गायब
बढ़ता मर्ज. निजी अस्पतालों में मरीजों से वसूला जा रहा है ज्यादा शुल्क राजधानी के निजी अस्पतालों में इन दिनों लूट-खसोट जारी है. बिना रेट लिस्ट लगाये ही अस्पताल संचालित किये जा रहे हैं. मरीज से डाॅक्टर की फीस, बेड चार्ज, नर्सिंग चार्ज व भरती के नाम पर मनमाने शुल्क वसूले जा रहे हैं. स्वास्थ्य […]
बढ़ता मर्ज. निजी अस्पतालों में मरीजों से वसूला जा रहा है ज्यादा शुल्क
राजधानी के निजी अस्पतालों में इन दिनों लूट-खसोट जारी है. बिना रेट लिस्ट लगाये ही अस्पताल संचालित किये जा रहे हैं. मरीज से डाॅक्टर की फीस, बेड चार्ज, नर्सिंग चार्ज व भरती के नाम पर मनमाने शुल्क वसूले जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग व राज्य स्वास्थ्य समिति का भी इन अस्पतालों पर अंकुश नहीं है. सरकार का नियंत्रण नहीं होने के कारण निजी अस्पताल हर साल नये चार्ज लगाकर शुल्क में 20 फीसदी तक की वृद्धि कर देते हैं. प्रभात खबर की टीम ने जब शहर के निजी अस्पतालों की पड़ताल की, तो मामले का खुलासा हुआ. आनंद तिवारी की िरपोर्ट
पत्रकार नगर मेन रोड स्थित वीणा स्टोन क्लिनिक में रेट लिस्ट नहीं है. पर, काउंटर के सामने बड़ी टीवी और मरीजों को बैठने के लिए चेयर की व्यवस्था है. काउंटर पर बैठे एक बुजुर्ग कर्मी ने बताया कि जो चार्ज लगता है, उसे डॉक्टर व नर्स बता देते हैं. जबकि, यहां किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीजों का आना-जाना होता है.
कंकड़बाग रोड नंबर 20 पर संचालित चिरंजीवी चिकित्सा केंद्र हड्डी एवं प्रसव के लिए जाना-माना अस्पताल है. यहां इलाज की रेट लिस्ट नहीं लगायी गयी है. यहां प्रसूताओं का अधिक आना-जाना होता है. लेकिन, किस जांच व बीमारी का कितना चार्ज है, यह मरीजों को पता नहीं चल पाता है. यहां के काउंटर पर भी रेट लिस्ट गायब मिली.
राजेंद्रनगर टर्मिनल से 200 मीटर दूर संचालित हो रहे ऑर्थोपेडिक्स इमरजेंसी अस्पताल में रोजाना सैकड़ों मरीजों
की भीड़ रहती है. यहां के रिसेप्शन काउंटर पर ऑपरेशन, पैथोलॉजी जांच, एक्स-रे आदि सभी जांच की सुविधाओं की जानकारी नर्स देती हैं, लेकिन जांच के लिए रेट लिस्ट नहीं लगायी गयी है.
राजेंद्रनगर पुल के नीचे संचालित हो रहे हड्डी अस्पताल में एक्स-रे, फिजियोथेरेपी, पैथोलॉजी जांच के बोर्ड टांग दिये गये हैं. लेकिन, यहां भी रेट लिस्ट का बोर्ड नहीं लगाया गया है. जबकि, अस्पताल के मेन गेट पर स्पाइन सर्जरी, एडवांस ट्रॉमा मैनेजमेंट, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सुविधा का बोर्ड लगा है.
बोरिंग रोड के एसके पुरी में संचालित हो रहे श्रीराम अस्पताल में कई बार विवाद और हंगामा हो चुका है. इलाज के दौरान मौत और मनमानी फीस के मामले सामने आ चुके हैं. लेकिन, यहां भी इलाज की रेट लिस्ट नहीं लगायी गयी है. मरीजों से मनमाने शुल्क वसूले जा रहे हैं.
चार्ज में हर साल वृद्धि
शहर में सैकड़ों निजी नर्सिंग होम हैं, जहां मरीजों से लिए जाने वाली फीस व अन्य चार्ज उन्हीं के द्वारा तय होते हैं. मरीज के भरती होने से लेकर उसके डिस्चार्ज होने तक के सारे बिल भी अलग-अलग होते हैं. कई बार तो इस तरह के मामले भी सामने आ चुके हैं कि मरीजों का चेहरा देख कर चार्ज लिया जाता है. सरकार का नियंत्रण नहीं होने के कारण ऐसे अस्पताल चार्ज में हर साल वृद्धि भी करते हैं.
क्या है एमसीआइ की गाइडलाइन
एमसीआइ व नर्सिंग होम एक्ट के अनुसार सरकारी व निजी अस्पतालों में किसी भी तरह की जांच के लिए रेट लिस्ट लगी होनी चाहिए. यहां तक कि एक्स-रे, इसीजी, डायलिसिस, ब्लड टेस्ट के लिए कितने शुल्क लगेंगे, इसकी जानकारी के लिए बोर्ड लगना चाहिए. साथ ही अस्पतालों में किस इलाज के लिए कितने शुल्क लगेंगे, इसका ब्योरा भी कैश काउंटर के पास होना चाहिए, ताकि लोगों को इसकी जानकारी हो सके और वे पहले से इसके लिए प्रिपेयर हों.
अस्पतालों में रेट लिस्ट का नहीं होना एमसीआइ के एथिक्स का उल्लंघन है. जांच उपरांत अगर इस तरह के मामला सामने आते हैं, तो नियमानुसार कार्रवाई होगी.
डॉ सुनील कुमार सिंह, सदस्य, एथिक्स बिहार, एमसीआइ
नहीं उठाया फोन
निजी अस्पतालों में रेट लिस्ट क्यों नहीं है, इस मामले में जब राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक शशि भूषण कुमार को गुरुवार की शाम छह बजे फोन किया गया, तो तीन रिंग जाने के बाद उन्होंने फोन उठाया. बाद में मीटिंग में होने की बात कह कर फोन को काट दिया. वहीं, जब सिविल सर्जन डॉ गिनेंद्र शेखर सिंह से अधिकारी पुष्टि के लिए फोन किया गया, तो उन्होंने भी फोन नहीं उठाया.
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