पटना: कई बैंकों में बिना दस्तावेजों की जांच किये या फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोगों को ऋण देने का खेल चल रहा है. इस मामले की जांच सीबीआइ कर रही है. इसी क्रम में पटना के बोरिंग रोड स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक की शाखा से जुड़े एक मामले की जांच करने सीबीआइ की विशेष टीम दूसरी बार आयी. इस शाखा के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर अमरेंद्र नाथ सिन्हा और एक अन्य तत्कालीन अधिकारी अनुपम अंशु के कार्यकाल के दौरान दिये गये सभी ऋणों से जुड़े दस्तावेजों की जांच की.
सीबीआइ ने इन दोनों अधिकारियों और इनसे जुड़े अन्य लोगों के दस्तावेजों को एकत्र किया. इसमें कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए हैं. जांच में यह पाया गया कि इन दोनों बैंक अधिकारियों ने वर्ष 2013 से 2015 के दौरान फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दर्जनभर से ज्यादा लोगों को ऋण दे दिया. इस मामले में सीबीआइ की टीम कुछ महीने पहले भी जांच कर चुकी है.
बाद में तत्कालीन ब्रांच मैनेजर अमरेंद्र नाथ सिन्हा ने अपना तबादला विशाखापट्टनम करवा लिया था. इस वजह से उनके विशाखापट्टनम वाले ठिकाने की भी जांच की गयी. पटना स्थिति इन दोनों के करीब सात ठिकानों पर भी जांच की गयी. तत्कालीन ब्रांच मैनेजर का एक बैंक खाता भी जब्त किया गया है, जिसमें लाखों रुपये जमा हैं. इन दोनों अधिकारियों ने करीब तीन करोड़ 78 लाख रुपये के ऋण बांटे हैं.
शिकायत पर सुपरिटेंडेंट पर हुई कार्रवाई
कस्टम कमीशनर विनायक चंद्र गुप्ता की लिखित शिकायत पर कस्टम सुपरिटेंडेंट राम कुमार के खिलाफ सीबीआइ ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की. सीबीआइ की टीम ने सुपरिटेंडेंट के घर और कार्यालय पर छापेमारी कर कई दस्तावेजों को जब्त किया. राम कुमार पर आरोप है कि जब वे मोतिहारी में पदस्थापित थे, तब उन्होंने गलत बिल और वाउचर की मदद से लाखों सरकारी रुपये का गबन किया था. उन्होंने डिप्टी कमिश्नर का फर्जी हस्ताक्षर करके गलत तरीके से बनाये गये टीए और डीए के रुपये सरकारी खजाने से निकाल लिये थे.