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आरा के दंपती ने बनायी फर्जी वेबसाइट, रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगे तीन करोड़

नितिश पटना : आरा के दंपती अशोक तिवारी व चंदा तिवारी ने रेलवे में ग्रुप डी व सी के पदों पर नियुक्ति के नाम पर दर्जनों लोगों से तीन करोड़ ठग लिये. जब लोगों को जालसाजी की जानकारी मिली और उनकी खोजबीन होने लगी, तो दोनों ने अपना ठिकाना बदल लिया. दोनों ने रेलवे की […]

नितिश
पटना : आरा के दंपती अशोक तिवारी व चंदा तिवारी ने रेलवे में ग्रुप डी व सी के पदों पर नियुक्ति के नाम पर दर्जनों लोगों से तीन करोड़ ठग लिये. जब लोगों को जालसाजी की जानकारी मिली और उनकी खोजबीन होने लगी, तो दोनों ने अपना ठिकाना बदल लिया. दोनों ने रेलवे की फर्जी वेबसाइट बना रखी थी और उस पर रिजल्ट जारी कर उम्मीदवार को अपने झांसे में ले लेते थे. फिर पैसा लेने के बाद रेलवे का फर्जी नियुक्तिपत्र और आइकार्ड भी दे देते थे. दोनों ने पटना, जहानाबाद, गया, धनबाद, आरा के दर्जनों लोगों से ठगी की.
ग्रुप सी के लिए पांच से छह लाख और ग्रुप सी के लिए आठ से दस लाख रुपये की ठगी की. ठगी के शिकार बने बिहटा के परेव निवासी धीरज की मां पार्वती देवी मंगलवार को एसएसपी मनु महाराज से मिलीं और उन्हें सारी घटना की जानकारी दी. धीरज से भी उन लोगों ने छह लाख रुपये ठग लिये थे और फर्जी नियुक्तिपत्र थमा दिया था. धीरज के साथ ही उसी इलाके के संतोष व सतीश से भी 15 लाख रुपये रेलवे में नौकरी देने के नाम पर ले लिये थे.
इन सभी को जब ठगी का एहसास हुआ, तो दोनों की खोजबीन शुरू कर दी, लेकिन वे फरार थे. धीरज के भाई जयप्रकाश ने बताया कि इन लोगों का बड़ा गिरोह है, जो धनबाद, गया, आरा में सक्रिय है. इन लोगों ने रेलवे की फर्जी वेबसाइट बना रखी है. इसी में रिजल्ट दिखाते हैं और फिर पैसा लेने के बाद फर्जी नियुक्तिपत्र दे देते हैं.
फिट-फाट रहते थे बंटी-बबली, चलते थे स्कॉर्पियों से
बंटी-बबली पूरे फिट-फाट में रहते थे. उनके आरा स्थित घर पर हर ऐशो-आराम के सामान मौजूद थे. जो भी वहां जाता था वह झांसे में आ जाता था. उन लोगों के पास एक स्कॉर्पियों भी थी, जिससे ही वे कहीं आते-जाते थे. मकान उनलोगों ने किराये पर ले रखा था. जब लोग पैसा मांगने के लिए यहां पहुंचने लगे तो वे गायब हो गये.
धीरज की दोस्ती गुड्डू नाम के एक युवक से आरा में बीए पार्ट टू की परीक्षा के दौरान हुई थी. उसने ही दावा किया था कि वह उसकी नौकरी लगवा देगा. धीरज उसकी बातों में आ गया. इसके बाद उसने अशोक व चंदा से उसकी मुलाकात करायी. इन दोनों ने जानकारी दी कि डीआरएम कोटा, सांसद कोटा से ग्रुप डी में नियुक्ति होती है और उसका नतीजा वेबसाइट पर आ जायेगा, तभी वह पैसे देगा. धीरज मान गया, तो उसे ट्रेनिंग के नाम पर धनबाद भेजा गया. इसके बाद छपरा में सिगनल मैन की ट्रेनिंग दी गयी.
धीरज को एक तरह से विश्वास में लिया गया कि उसका काम हो रहा है. यह पूरी कहानी धीरज के साथ पिछले साल शुरू हुई और फिर 2017 में उन लोगों ने रेलवे की फर्जी बेवसाइट पर धीरज के नतीजे भी दिखा दिये. धीरज को पूरा विश्वास हो गया और उसने पैसे दे दिये.
इसके बाद उसे फर्जी नियुक्तिपत्र दिया गया. इस पर धीरज को विश्वास नहीं हुआ. उसे जब फर्जी लगने लगा, तो वह पैसे वापस करने की मांग करने लगा. साथ ही बंटी-बबली के शिकार हुए अन्य लोग भी आरा पहुंचने लगे. इसके बाद दोनों गायब हो गये. उन लोगों ने बेवसाइट को भी बंद कर दिया.

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