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मातारानी व भैरोनाथ का संवाद लुभायेगा सभी को

नवादा : शहर के मेन रोड स्थित सूर असूर दुर्गा पूजा समिति,राम नगर ने दशहरा के अवसर पर चलंत प्रतिमाओं के निर्माण की योजना बनायी है. इसके तहत जिले भर के श्रद्धालुओं को 21 फुट ऊपर बैठे भैरोनाथ से मातारानी का संवाद कराया जायेगा. लगभग 12 मिनट के इस एपिसोड को जीवंत करने को लेकर […]

नवादा : शहर के मेन रोड स्थित सूर असूर दुर्गा पूजा समिति,राम नगर ने दशहरा के अवसर पर चलंत प्रतिमाओं के निर्माण की योजना बनायी है. इसके तहत जिले भर के श्रद्धालुओं को 21 फुट ऊपर बैठे भैरोनाथ से मातारानी का संवाद कराया जायेगा. लगभग 12 मिनट के इस एपिसोड को जीवंत करने को लेकर पूजा समिति के लोगों द्वारा व्यापक तैयारियां की जा रही हैं. 50 फुट की लंबाई में फैली विभिन्न प्रतिमाएं पंडाल क्षेत्र में चार फुट नीचे से स्थापित होंगी. शहर में हर बार कुछ नया हो,दशहरा मेला का आनंद लोग पूरी भक्ति भाव से लें. ऐसा प्रयास पूजा समिति के लोगों द्वारा किया जा रहा है.
झारखंड के कलाकार दिखायेंगे हुनर : पूजा समिति ने इसके लिए झारखंड के हजारीबाग से कलाकारों की टीम को हायर किया है. इसके मुख्य कलाकार विजय प्रजापति ने बताया कि विभिन्न प्रतिमाओं का सामंजस्य लाइट व साउंड के साथ कर पाना बेहद कठिन है. थोड़ी सी चूक श्रद्धालुओं के पूरी आस्था को चोट पहुंचाता है. ऐसे में बड़ी ही सावधानी से हमारे कलाकार इसमें काम करते हैं. उन्होंने कहा कि चार फुट से 21 फुट की ऊंचाई तक लगभग 50 फुट लंबाई के एरिया में प्रतिमाएं अलग-अलग जगहों पर फैली होंगी. सभी प्रतिमाओं को चलंत रूप देने के साथ संवाद का साउंड व लाइट को मिक्स करना होता है. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के लिए यह बेहद की आकर्षक व भक्तिमय शो होगा. पूरे 12 मिनट तक यह लोगों को स्तब्ध किये रखेगा.
पांच लाख रुपये होंगे खर्च : पूजा समिति पूरे आयोजन पर लगभग पांच लाख रुपये खर्च करेगी. समिति के कोषाध्यक्ष राजीव सिंह ने कहा कि लगभग 1.5 लाख रुपये चलंत प्रतिमा के निर्माण और दो लाख रुपये पंडाल के निर्माण पर खर्च किया जायेगा. पूरे आयोजन पर लगभग 5 लाख रुपये खर्च आते हैं. यह राशि समिति के अलावा स्थानीय लोगों के सहयोग से प्राप्त होता है. 18 सितंबर से प्रतिमा व पंडाल का निर्माण कार्य शुरू होगा.
भीड़ को संभालना होगी बड़ी जिम्मेवारी : चलंत प्रतिमाओं के शो के कारण यहा भीड़ लगभग 15 से 20 मिनट ठहरती है. इस दौरान लोगों को संभालना बड़ी जिम्मेवारी का काम होता है.
महिलाएं, बच्चे, बुढ़े सभी शो का आनंद लें, इसका भी ख्याल करना पड़ता है. लिहाजा पूजा के अंतिम तीन दिनों तक वाहनों की आवाजाही को नियंत्रित किया जाता है. संकटमोचन मंदिर के पास बैरिकेडिंग लगाया जाता है. सर्किट हाउस से अग्रवाल पेट्रोल पंप तक लाइटिंग की व्यवस्था की जाती है. इस दौरान लगभग 35 वॉलेंटियर अलग-अलग जगहों पर मुस्तैद रहते हैं. पंडाल के पास सीसीटीवी कैमरा भी लगा होता है.

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