नवादा (नगर): नवादा का मॉडल स्टेशन होने की घोषणा महज छलावा बना कर रहा गया है. यात्री सुविधा बहाल करने में नवादा स्टेशन फिसड्डी साबित हो रहा है. केंद्र सरकार द्वारा किऊल-गया रेलखंड के दोहरीकरण व विद्युतीकरण के काम को मंजूरी दिये जाने से लोगों का उत्साह बढ़ा है, लेकिन वर्तमान समय में कई कोशिशों के बाद भी साफ-सफाई पेयजल, रोशनी, यात्रीशेड, शौचालय, सुरक्षा, समय सारणी आदि सभी मामलों में नवादा स्टेशन काफी पीछे है.
गाड़ी रूकने के बाद पानी लेने के लिए यात्रियों की भीड़ नलों की तरफ दौड़ती है. लेकिन, स्टेशन पर बने वाटर स्टैंड से खौलता हुआ पानी निकलता है. जो उनके गले को तर नहीं कर पाता है. स्टेशन परिसर में बने लोहे की टंकी से सभी वाटर स्टैंड में पानी सप्लाइ होता है. इस कारण इस मौसम में यह और अधिक गरम हो गया है. प्लेटफॉर्म नंबर एक पर चार स्थानों पर वाटर स्टैंड बने हैं, लेकिन तीन में ही पानी आता है. इसमें भी सभी नल काम नहीं करते. प्लेटफॉर्म नंबर दो में बने वाटर स्टैंड पर स्थानीय लोगों का कब्जा रहता है. एक नल काम करता है, लेकिन वह हमेशा गंदा रहता है. वहां स्थानीय लोग कपड़ा व बरतन धोने से लेकर स्नान करने सहित सारा काम करते हैं. साफ-सफाई के मामले में स्टेशन परिसर पूरी तरह से फिसड्डी साबित हो रहा है. मुख्य द्वार से लेकर पूरे स्टेशन परिसर में गंदगी का अंबार लगा रहता है. यात्री शेड गंदगी के पास लोगों के बैठना पड़ता है.
सफाई की खानापूर्ति
रेलवे स्टेशन पर कहने के लिए नाम प्राइवेट एजेंसी द्वारा सफाई का काम होता है. लेकिन, स्टेशन परिसर में फैली गंदगी के अंबार को देख कर कोई भी कह सकता है कि केवल सुबह में सफाई की खनापूर्ति होती है. बाकी पूरे दिन-रात यात्री गंदगी के बीच रहने को विवश होते है. स्टेशन परिसर में अवैध तरीके से ठेला व खोमचा वालों का कब्जा है. जानकारी मिली कि सफाई का टेंडर लेने वाली एजेंसी मुंशी बहाल करके काम कराती है. मुंशी जैसे-तैसे मुनाफा कमाने के चक्कर में सफाई करा कर दोपहर में ही शेखपुरा चला जाता है.
सुधार की जरूरत
रेलवे स्टेशन पर यात्री शेड का भी अभाव है. एक नंबर प्लेटफॉर्म पर दो बड़े शेड है, जबकि प्लेटफॉर्म नंबर दो पर एक ही शेड है. गाड़ियों के मेल के समय धूप में खड़े होकर गाड़ियों का इंतजार करना पड़ता है. सार्वजनिक बन जाने से यात्रियों की परेशानी घटी है. लेकिन, संचालक द्वारा मनमाना राशि वसूला जाता है. साथ ही शौचालय साफ-सफाई की स्थिति भी बदतर है.
पीने को मिले ठंडा पानी
रेलवे स्टेशन पर ठंडा पानी की सख्त आवश्यकता है. गरमी के दिनों में स्टेशन पर इंतजार करने वाले यात्रियों के साथ ट्रेन से आने वाले परेशान यात्रियों को स्टेशन पर पीने के पानी का घोर अभाव है. लोहे के टंकी के माध्यम से आने वाले पानी पूरी तरह से गरम हो जाता है, जो पीने लायक नहीं रहता है. केवल स्टेशन परिसर में सैकड़ों बोतल बंद पानी की बिक्री होती है. स्टेशन पर ठंडा पानी के मशीन लगाने क सख्त जरूरत है.