हिसुआ : जायके का खजाना प्याज आम लोगों की पहुंच से दूर होते जा रहा है. बाजार में प्याज 50 से 60 रुपये किलो बिक रहा है. पर सुलभ नहीं दुर्लभ है. आम समय की तरह सभी सब्जी व किराना दुकानों पर नहीं देख जा रहा है. भाव बहुत अधिक रहने की वजह से थोक व खुदरा व्यापारी इसे नहीं मंगा रहे हैं.
अब सावन माह खत्म हो चुका है. अब अधिकतर घरों के किचन में इसकी अब जरूरत है. सावन में ज्यादातर घरों में प्याज व लहसुन वजिर्त था. भादो माह के पहले दिन से ही इसकी बिक्री में अप्रत्याशित वृद्धि हो जाती है.
दुकानदार इसे पहले से मंगा कर रखते हैं. लेकिन कीमत अधिक होने से दुकानदार इस बार पूंजी नहीं फसाना चाह रहे हैं. सावन खत्म होते ही प्याज की मांग मांस, मुरगी आदि में प्रयोग के लिए अधिक मात्र में होता है. पर क्षेत्र में इस बार मांस, मुरगी तो मिल जायेंगे पर प्याज मिलना मुश्किल होगा.
थोक व्यापारियों के यहां कोई स्टॉक नहीं है. बाहर से आमद बिल्कुल बंद है. हिसुआ के थोक व्यापारी गोरे लाल, मदन लाल, दिलीप कुमार, संजय साव, शंभु साव आदि का कहना है कि यहां प्याज पटना से मंगाया जाता है. कभी–कभी गया मंडी से भी आती है. पर इन दिनों पटना व गया से हम प्याज नहीं मंगा रहे हैं. दाम अधिक रहने से बिक्री प्रभावित है.
सावन खत्म होने के बाद भी मंगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. स्थानीय क्षेत्र बिजू बिगहा, लौंद, मडुआ, दोना समेत अन्य ग्रामीण किसानों के यहां के प्याज मंगा रहे हैं. जिसकी मात्र बहुत कम है. हिसुआ क्षेत्र में प्याज की पैदावार होती है पर कोल्ड स्टोरेज आदि नहीं होने से प्याज का समुचित स्टॉक किसान नहीं कर पाते हैं. जानकार बताते हैं कि इस वर्ष प्याज का उत्पादन लगभग 16.2 मिलियन टन हुआ है. जो पिछले वर्ष की उपज से पांच फीसदी कम है.