पुलिसिया चाक-चौबंद के बाद भी तेजी से बढ़ रहीं अपहरण की घटनाएं
बेखौफ हैं अपराधी
नवादा (सदर) : वैसे तो इक्के -दुक्के अपहरण का दौर चलता ही आ रहा है. लेकिन, बीते साल में अपहरण की लंबी फेहरिस्त यह बयां कर रही है कि अपराधियों के लिए पैसे का उगाही का सेफ जोन बन गया है फिरौती. तमाम पुलिसिया चाक -चौबंद के बाद भी अपहरण उद्योग मुरझाने की बजाय और गति से फैल रहा है.
मसलन नवादा मिर्जापुर निवासी विपिन कुमार, नरहट के थाने के सौरभ कुमार, नवादा नगर के रामचंद्र प्रसाद, भदोखरा के धनंजय वर्मा व अमरजीत कुमार, रजाैली के अजय कुमार के अपहरण कर उद्देश्यों के सफलीभूत के बाद पीड़ित को छोड़ा जाना, इस बात के प्रमाण के लिए काफी है. तमाम तरह के पुलिसिया वादे धरातल पर आकर धूमिल सी जैसी प्रतीत हो रही है और अपराधी इस उद्योग को बेखौफ चलाने में मशगूल दिख रहे है.
अगर उच्च स्तरीय कार्यवाही के तहत इस धंधे में लिप्त अपराधियों के विरुद्ध दमनात्मक कार्रवाई नहीं की गयी तो संभव है कि नव वर्ष इनके आतंकों से कांपता रहेगा.
पुलिस प्रशासन की हुई थी किरकिरी : जदयू नेत्री सह मिर्जापुर निवासी रेणु कुशवाहा के बेटे का अपहरण 14 अप्रैल, 2014 को मित्र द्वारा घर से बुला कर किया गया था. समय से नहीं लौटने के बाद परिजनों द्वारा खोजबीन शुरू की गयी थी. ज्यो-ज्यों समय बीतता गया, परिजनों की बेचैनी बढ़ती गयी. पुलिस विपिन को हर-हाल में सकुशल बरामदगी का आश्वासन देता रहा. परंतु, सकुशल बरामदगी का आश्वासन कोरा बकवास निकला.
इधर परिजनों की बेचैनी बढ़ रही थी, जिस कारण पुलिस पर बरामदगी का दबाव भी बढ़ता गया. नतीजतन चार-पांच दिनों बाद विपिन की बरामदगी जिंदा तो नहीं, रजाैली के जंगल से उसकी लाश पुलिस बरामद कर सकी थी. जिस कारण विपिन अपहरण कांड में पुलिस की किरकिरी खूब हुई थी.
अपहरण के कई प्रकार : लोगों का मानना है कि अक्सर अपहरण फिरौती के लिए किया जाता है. परंतु, कानून की नजर में अपहरण के कई प्रकार होते हैं, जिसमें सर्वप्रथम फिरौती के लिए अपहरण, दूसरा सामान्य अपहरण, तीसरा शादी हेतु भी अपहरण किया जा रहा है. यही नहीं किसी मजदूर को कोई अगर बहला-फुसला कर काम करवाने को लेकर दूसरे प्रदेशों में ले जाना भी अपहरण के श्रेणी में है.