नवादा : कल्पना पटवारी मूलत: असम की रहने वाली हैं. पर इन्होंने लंबे समय से बॉलीवुड नगरी मुंबई को अपना ठिकाना बना रखा है. इनकी पहचान पूर्वांचल से होती है. विशेष रूप से बिहार और यूपी के उन क्षेत्रों में यह जानी जाती हैं, जिनकी बोलचाल की भाषा भोजपुरी है. पर कल्पना केवल इस परिधि में बंधी रहने वाली हस्ती नहीं रहीं. दायरों को तोड़ते हुए कल्पना देश की विभिन्न 30 भाषाओं पर अपनी पकड़ बना चुकी हैं.
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नवादा : कल्पना पटवारी मूलत: असम की रहने वाली हैं. पर इन्होंने लंबे समय से बॉलीवुड नगरी मुंबई को अपना ठिकाना बना रखा है. इनकी पहचान पूर्वांचल से होती है. विशेष रूप से बिहार और यूपी के उन क्षेत्रों में यह जानी जाती हैं, जिनकी बोलचाल की भाषा भोजपुरी है. पर कल्पना केवल इस परिधि […]
इन 30 भाषाओं में बेहद ही उम्दा गीतों को वह अपना स्वर दे चुकी हैं. राष्ट्रीय स्तर पर इसी विलक्षण प्रतिभा के कारण कल्पना पटवारी विविधता में एकता की जीवंत मिसाल बनी हुई हैं. इनकी इसी प्रतिभा को परवाज देने प्रभात खबर ने इन्हें नवादा में रंगमंच देना सुनिश्चित किया है. 19 जून को गांधी इंटर स्कूल के परिसर में खचाखच भरे मगही श्रोताओं के बीच भोजपुरी गायिका की खनकती आवाज लोगों को मंत्रमुग्ध करेगी.
नाम-आशा लता सिन्हा, चयन का क्षेत्र-साहित्य व कला
जन्म स्थान-गया, जन्मतिथि-नौ जनवरी, 1947
पति- स्व. गुरु प्रेम प्रकाश सिन्हा(अधिवक्ता)
शिक्षा- बी.ए.(संस्कृत),एम.ए.(संगीत)कार्य क्षेत्र- सामाजिक, सांस्कृतिक व साहित्यिक
निर्देशन-कहानी एक प्यार की (पटना आईएमए हॉल, 1975)
आकाशवाणी पटना में नाटककार के रुप में कार्यरत (1975 से)
आकाशवाणी में प्रसारित नाटक- अपाहिज सपने, एक और गांधारी और पलाश झड़ गया, धूमकेतु, हिमानी, छोट काका, रेत के इंद्रधनुष.
इनके द्वारा लिखित फिल्म ‘टेसू’ मुंशी प्रोडक्शन तले बन रही थी, जो किन्हीं कारणों से बन नहीं पायी.
1983 -84 में नवादा में प्रादेशिक स्तर की संस्था ‘रंगसंस्था शोभा दी ‘की संस्थापक सदस्या, संगठन मंत्री व उसी संस्था में कई बार बतौर निर्देशिका काम किया. सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक प्रकाश झा द्वारा आयोजित प्रादेशिक स्तरीय फिल्म शिविर में नवादा का प्रतिनिधित्व किया.
नाम- मौसम कुमारी, चयन का क्षेत्र-समाजसेवा-किशोरी स्वास्थ्य, माता -कविता देवी,पिता- छोटे लाल सिंह
जन्म स्थान- हरदिया,रजौली,नवादा
पेशा- समाजसेवा और पढ़ाई, मथुरासिनी इंटर कॉलेज में इंटर की छात्रा
किशोरियों के बीच स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता लाने को लेकर 18 साल की यह बेहद चर्चित है. अपने इलाके में लगभग 750 किशोरियों का एक समूह बनाकर यह सरकार के उद्देश्यों को मूर्त रूप दे रही हैं.
11 दिसंबर 2018 को दिल्ली में पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित यूथ कॉनक्लेव पार्टनर नॉलेज बाजार कार्यक्रम में हिस्सा लेकर इन्होंने सबको चौंक दिया. वैसे मूल रूप से मौसम गांव में गठित किशोरी क्लब एकता समूह की टीम लीडर हैं. इसके जरिये इन्होंने किशोरियों में उत्पन्न स्वास्थ्य संबंधी बातों को लेकर जागरूकता चला रखी है. गांव की इस बेटी ने अपने मुखर स्वभाव से दिल्ली के मंच पर भी अपनी छाप छोड़ी है.
जय प्रकाश नारायण द्वारा गठित ग्राम निर्माण मंडल की प्रेरणा और प्रशिक्षण के सहारे मौसम कुंठित स्वभाव वाली किशोरियों की आवाज बन चुकी हैं. इन दिनों यह सेनेटरी नैपकीन बैंक बना कर इलाके में किशोरियों की मदद कर रही हैं. इंटर की पढ़ाई करनेवाली इस छात्रा के सामाजिक गतिविधियों की इलाके में खूब चर्चा होती है. साथ ही जिस उम्र में स्वास्थ्य संबंधी कमियों को लेकर किशोरियां अपने माता-पिता तक से बात करने में परहेज करती हैं. वैसी किशोरियों के लिये मौसम एक बेहतर सहेली के रूप में काम आ रही हैं.
नाम-दीपशिखा कुमारी,चयन का क्षेत्र-खेल, ताइक्वांडो
माता-सुमित्रा देवी,पिता-अवधेश कुमार
जन्मस्थान- नेहालुचक, सदर प्रखंड, नवादा
आज भी गांव व शहरों में लड़कियां ताइक्वांडो को भलीभांति नहीं जानती हैं.जानने वाले कई परिवारों में लड़कियों को इससे दूर रखने की नसीहत दी जाती है. यही नसीहत हमारी दोयम मानसिकता की परिचायक है. दीपशिखा जैसी लड़कियों ने ऐसी ही रूढ़ियों को तोड़ा है. अपने माता पिता से मिले सहयोग के बूते इन्होंने ताइक्वांडो गर्ल के रूप में अपनी पहचान बनायी है. दीपशिखा ने कहा कि बचपने में मुझे अक्सर लगता था कि मेरी अपनी पहचान क्या होगी.
मैं अपना नाम माता पिता को दे सकूंगी या नहीं. इसी जिजिविषा ने मुझे आज इस मुकाम पर ला खड़ा किया है. ताइक्वांडो के जरिये मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है.इसे मैं अपने गांव, समाज को देने के लिए कृसंकल्पित हूं. दीपशिखा के ट्रेनर व गुरू सोनू कुमार हैं, जो खूद अंडमान निकोबार में इनकम टैक्स ऑफिस में कार्यरत हैं.
सोनू कहते हैं-दीपशिखा जैसी बेहद ही अनुशासित लड़की का गुरू होना मेरे लिये फख्र की बात है. यह इन दिनों 11 से 16 जून तक चले सेकेंड इंडिया ओपेन चैंपियनशिप में बैदराबाद में हिस्सा ले रही हैं.यह इंटरनेशनल लेवल का गेम है, जहां अपनी प्रतिमा दिखाने का मौका दीपशिखा ने सिर्फ अपनी मेहनत के बल पर हासिल किया है. वर्ष 2011 में ब्लैक बेल्ट पाने वाली दीपशिखा निरंतर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाती रही हैं.
राज्य स्तर पर बिहार के दर्जनों जिलों में ताइक्वांडो खेल चुकी दीपशिखा राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, अरूणाचल प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर, महाराष्ट्र, ओडीशा और आंध्रप्रदेश में अपना जलवा दिखा चुकी हैं. फिलहाल दीपशिखा जिले के केएलएस कॉलेज में इतिहास से स्नातक की छात्रा भी हैं.
नाम- इंदु कुमारी,शिक्षिका,प्राथमिक विद्यालय,लाल बिगहा,नरहट
चयन का क्षेत्र-पारिवारिक प्रताड़ना
बचपन में पिता का साथ छूटा, तो मानो संघर्षों की कड़ियां जीवन से जुड़ गईं. इन कड़ियों को एक-एक कर जोड़ती इंदु आज अपराजिता शब्द की पर्याय बन चुकी हैं. मूलत: अकबरपुर के पहाड़पुर गांव की नन्हीं इंदु जब चार साल की थी, तो पिता चल बसे. मां ने नरहट के झिकरूआ में ननिहाल भेज दिया. कुछ दिनों तक यहां रह कर इंदु अपनी फुआ के पास आ गयी. हिसुआ के बलियारी गांव में रहकर इन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की. इसी दौरान विधवा मां ने अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होने को इंदु की शादी कर दी. तब इनकी उम्र 11-12 वर्ष की रही होगी.
शादी के दिनों के न सपने मन में थे, न ही इनके पूरे होने की कोई लालसा. पढ़ाई पूरी कर जब इंदु अपने ससुराल पहुंची, तो यहां शुरू हुआ पारिवारिक प्रताड़ना का दौर. तब तक यह तीन बेटों की मां भी बन चुकी थीं. बच्चों के बोझ को न पति समझ रहे थे, न ही परिवार के लोग. पर जलालत की जिंदगी किसी भी तरह पति के साथ रहने की इजाजत नहीं दे रहा था.
इसी बीच इंदु अचानक अपने दो बेटों को साथ लेकर मायके आ पहुंची और अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीना शुरू कर दिया. ससुराल के लोगों का शिक्षित और जागरूक नहीं होना इंदु के लिये बड़ी परेशानी थी. तमाम झंझावतों को झेलते हुये इंदु ने एक निजी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया. फिर इग्नू से लाइब्रेरी साइंस में इन्होंने डिप्लोमा भी किया. इसके बाद द्वितीय शिक्षक नियोजन में यह नरहट के पुंथर पंचायत के लाल बिगहा में बतौर शिक्षिका नियोजित हुई.
इनके साथ रहे दो बेटों की पढ़ाई ठीकठाक हुई. बड़ा बेटा,जो अपने पिता के साथ रह रहा है, वह भी मां के सहयोग से ही मैट्रिक तक की पढ़ाई कर पाया. दूसरा बेटा ग्रेजुएट है. तीसरा बेटा मधुबनी के पोलिटेक्निक स्कूल में पढ़ रहा है. इंदू ने जीवन के इस लड़ाई को अपने दम पर लड़ कर खुद को अपराजिता बना डाला है.जीवन से जुड़े कई तथ्य इनके आग्रह पर इसमें शामिल नहीं किये गये हैं.
नाम-कल्याणी कुमारी
चयन का क्षेत्र-समाजसेवा
जन्मस्थान -ओरैना,नवादा
बदले परिवेश में शिक्षा और पढ़ाई का मूल उद्देश्य नौकरी करना और पैसे कमाना हो चुका है. ऐसे में कोई युवा महिला समाजसेवा का जज्बा लिये अपने मिशन में जुटती है, तो यह औरों के लिये प्रेरणा बन जाती है. अपने मायके ओरैना में रहकर नवादा शहर में पढ़ाई लिखाई करने वाली 30 साल की कल्याणी कुमारी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. फिजिक्स से स्नातक पास कल्याणी का मकसद आज समाज को दिशा देना है. रूढ़ियों के मकड़जाल से निकालना है.
सामाजिक बुराईयों को लेकर लोगों को जागरूक करना है. कल्याणी अपने इस मिशन के तटवासी समाज न्यास जैसी संस्था से जुड़कर पूरा कर रही हैं. गया जिले के वजीरगंज थाना के मनैनी गांव में ब्याही गयी कल्याणी अपने पति के साथ नवादा में ही रहती हैं. इनके पति ऑनलाईन पार्सल एजेंसी से जुड़े हैं.
चाइल्ड ट्रैफिकिंग को समाज का कोढ़ बताते हुये कल्याणी कहती हैं कि इससे दर्जनों बच्चियों का जीवन बचा कर बड़ा सुकून मिला है. इसके अलावा बाल श्रम के धंधे को आज भी लोगों ने अपना रखा है. जिले में इन दोनों क्षेत्रों में अवैध तरीके से धंधा हो रहा है. प्रशासन के सहयोग से इस दिशा में बड़ा काम हो रहा है. आज भी जयपुर के चूड़ी फैक्टरी में जिले के दर्जनों बच्चे पड़े हैं. इन्हें वहां से निकाल कर माता पिता को सौंपना हमारी जिम्मेदारी है.एक अपराजिता के रूप में कल्याणी अपने अपने काम से बेहद सुकून महसूस कर रही हैं.
नाम-अंजना दीक्षित, प्राइवेट शिक्षिका
शिक्षा-दीक्षा पोर्टब्लेयर में हुई
चयन का क्षेत्र-शिक्षण कार्यों के प्रति समर्पण
वर्ष 1966 में जन्मी अंजना दीक्षित की पढ़ाई लिखाई अपने पिता के साथ पोर्टब्लेयर में हुई है. उन दिनों इनके पिता वहां के केंद्रीय स्कूल में प्रिसिंपल थे. लिहाजा बेहद ही अनुशासित जीवन जीने वाली अंजना दीक्षित का शिक्षण कार्यों के प्रति गहरा लगाव रहा. यह जुड़ाव इन्हें अपने पिता के कार्यों से मिला. इसके बाद इन्होंने कई डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद आखिर में इंगलिश से स्नातक की. अंजना दीक्षित की शादी नवादा व्यवहार न्यायालय के एडवोकेट संजीव कुमार मिश्रा से हुई है.
यह मूलत: अकबरपुर थाना के महेशडीह गांव की रहनेवाली हैं. पर, नवादा में इनका पैतृक आवास होने के कारण यह यहीं रह कर बतौर शिक्षिका काम करती हैं. इन्होंने बताया कि शादी के बाद नवादा रहना शुरू हुआ था. इन्हीं दिनों मानस भारती नामक एक स्कूल की वैकेंसी देखी. पहली बार यहीं शिक्षिका के रूप में मेरा चयन हुआ. इसके बाद लंबे समय से मैं मानस माडर्न इंगलिश स्कूल को अपनी सेवा दे रही हूं. इनकी एक बेटी कोल्हापुर में बैंक ऑफ महाराष्ट्र में पीओ के पद पर काम कर रही है.
बेटा अध्ययनरत है. इनके स्कूल के निदेशक डा अनुज सिंह कहते हैं-अपने अनुशासन प्रिय जीवनशैली, शिक्षा के प्रति अप्रतिम जुड़ाव के कारण यह बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. स्कूल में बच्चों की पढ़ाई लिखाई से जुड़ा निर्णय लेने के पहले इनका सुझाव आवश्यक समझा जाता है. बच्चों को लेकर हर तरह का अनुभव और कमियों का समाधान इनके पास होता है. अंजना दीक्षित ने कहा कि-मेरे बचपन से जो कुछ हासिल किया है अब इन बच्चों के बीच शेयर करती हूं.
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