नवादा : पाॅलीथिन के उपयोग से प्रदूषण तेजी से फैल रहा है़ हालांकि इसके लिए सरकार भी रोक लगाने को लेकर निर्णय ले चुकी है और नगर निकायों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जायेगा. पाॅलीथिन के उपयोग के साथ-साथ शहर में कचरे की जो स्थिति है, वह चौंकानेवाली है. नगर पर्षद क्षेत्र में हर दिन 52 क्विंटल कचरा निकलता है़ बगैर डंपिंग जोन के शहरी क्षेत्र से कचरा साफ कर उसे शहर से दूर फेंकने की समस्या मुंह बाये खड़ी है़ इसको लेकर नगर पर्षद की ओर से कई बार डीएम और सीओ को पत्र लिख कर डंपिंग जोन के लिए जमीन की मांग भी की गयी है़
बावजूद जमीन नहीं मिली़ अब हालत यह है कि खुरी नदी में कचरा फेंका जाता है़ अभी तो किसी तरह काम चल रहा है, पर ऐसा लगता है कि आनेवाले दिनों में शहर ही कचरा जोन बन जायेगा़ वर्तमान में जिस स्तर पर कचरा व पाॅलीथिन शहर से निकल रहा है, अगर यही हाल रहा तो भविष्य के लिए खतरनाक साबित होगा़ नगर पर्षद की ओर से वहां भी कचरा फेंका जा रहा है, जहां गड्ढे हैं़ पाॅलीथिन पर रोक नहीं लगने से स्थिति गंभीर हो जायेगी़ इसके दुष्प्रभाव से लोग बीमारियों के गिरफ्त में समा जायेंगे़
कचरा डंप करने के लिए चाहिए पांच एकड़ जमीन
घरों से निकलनेवाले कचरे दो तरह के होते हैं़ इसमें सूखा व गीला कचरा होता है़ गीला कचरा से खाद बनायी जा सकती है़ वह खेती के लिए कारगर होगा और रासायनिक खादों से मुक्ति भी मिल जायेगी. सूखा कचरा को रिफाइन कर कबाड़ीवालों के पास बेचा जा सकता है. इससे कचरा फेंकने की समस्या से निजात मिल जायेगी़ विभाग को आमदनी होगी़ यहां भी जमीन की समस्या उत्पन्न है. हाल यह है कि कचरा रखने के लिए जमीन की भी कमी है़ प्रतिदिन निकलनेवाले कचरे को डंप करने के लिए ढ़ाई से पांच एकड़ भूमि की जरूरत है़ नगर पर्षद क्षेत्र में लगभग डेढ़ लाख की आबादी है़ बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 99 के तहत राज्य योजनान्तर्गत नागरिक सुविधा मद (मुख्यमंत्री सफाई योजना) 13वें वित्त आयोग, पंचम वित्त, नगरपालिका निधि से नगर पर्षद को नगरीय ठोस अपशिष्ट (कूड़े-कचरे) के संग्रहण व इसके निस्तारण के लिए कम से कम ढाई एकड़ व अधिकतम पांच एकड़ जमीन की आवश्यकता है़ इसे नगर पर्षद क्रय, लीज व किराया पर लेना चाहती है़ इसके लिए कुछ मानदंड निर्धारित किया गया है, जिसके आधार पर जमीन लेने के लिए चार बार टेंडर भी निकाला जा चुका है.
प्लास्टिक पर रोक के लिए पत्र का है इंतजार
प्लास्टिक पर रोक को लेकर सरकार का जब तक कोई पत्र नहीं आता है, कुछ कहा नहीं जा सकता है. वैसे विभाग से निर्देश मिला है कि इस संबंध में कोई भी आदेश आने के बाद बोर्ड की बैठक बुला कर निर्णय लेने के बाद रिपोर्ट भेजी जायेगी. इसमें मैपिंग, कैपेनिंग, स्काउट्स व गाइड्स तथा विद्यालयों के माध्यम से जागरूकता फैलाने की तैयारी भी है. व्यवसायी एरिया में पोस्टर व हैंडबिल के माध्यम से जागरूकता फैलाया जायेगा. इसके साथ ही जुर्माना का भी प्रावधान होगा. व्यवसायियों को इसके लिए बताया जायेगा कि प्लास्टिक के थैले का इस्तेमाल नहीं करें. बिहार में प्लास्टिक डिस्पोजल की व्यवस्था नहीं है. दूसरे प्रदेशों में इसकी व्यवस्था है. इसके डिस्पोजल से दाना बनाया जाता है़ उसे सड़क निर्माण व सीमेंट निर्माण कंपनियां खरीदती हैं. फिलवक्त पाॅलीथिन रोक के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है.
देवेंद्र सुमन, कार्यपालक पदाधिकारी नगर पर्षद नवादा