प्रशासन मौन, जाम से नहीं मिल रही निजात
नवादा : शहर की सड़कें पूरी तरह अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. इससे शहर कराह रहीं है. ये अतिक्रमणकारी शहर के छोटे-छोटे कारोबारी हैं. यह आम आदमी की छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करते हैं. पर, इसके एवज में लोगों को खासी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. इसकी भरपाई कर पाना प्रशासन के लिए हमेशा से चुनौती रही है.
प्रशासनिक अधिकारियों में दृढ़ इच्छा शक्ति का नहीं होना इसका सबसे बड़ा कारण है. शहर की लगभग तमाम सड़कें इसी तरह के अतिक्रमणकारियों से पटी पड़ी हैं. सड़क के किनारे फुटपाथ नाम की चीज नहीं रह गयी है. वहां पसरा होता है, तो कारोबारियों का सामान. इसमें सब्जी, फल, जूते-चप्पल, कपड़े, होजियरी के सामान, खाने-पीने की वस्तुएं, आइसक्रीम वाले, बरतन बेचने वाले सभी के सामान होते हैं. सामने होता है ग्राहकों का झुंड, जो खरीदारी में मशगूल दिखता है और इसके बाद जाम का नजारा.
धूप व गरमी से परेशान स्कूली बच्चे, अस्पताल जाने को छटपटाते मरीज, वाहन पकड़ने की जल्दबाजी में लोग. यह सब अनायास ही हर रोज दिख जाते हैं. पर, एक चीज जो नहीं दिखता, तो वह है प्रशासन की कवायद. अधिकारी बेफिक्र हैं, शहर की इस रोजर्मे की परेशानियों से. कहीं-कहीं ट्रैफिक पुलिस नजर आती है, तो महज औपचारिकता के लिए. आखिर कौन दिलायेगा इससे निजात? शहर की सड़कें कैसे होंगी जाम मुक्त, यक्ष प्रश्न बन गया है. उत्तर कौन दे. सबके लिए यह गले की फांस जैसा दिखता है. लिहाजा सब चुप हैं. पर, शहर कराह रही है.